"तुम्हारी कुमुद" भाग-2 लेखक-मनी मिश्रा
"आगे "
जो धीरे-धीरे हम दोनों को एक बंधन में बांधती जा रही है,,,
, मैं देख रहा हूं; तुमने अब तक एक बार भी अपनी आंखों को नहीं खोला है, ना ही तुमने "मुझे"एक नजर देखने की कोशिश की है।
जबकि मैं बस तुम्हें ही देखे जा रहा हूं !इस अविश्वास के साथ कि तुम्हारी शादी "मुझसे "हो रही है ।
,,,लेकिन तुम ,,कुछ भी देखो उससे पहले ही मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूं।" दिल से जवाब देना "
क्या तुमने मेरी तस्वीर देखी थी?
शायद नही!,,,,,"नहीं देखी होगी, क्योंकि अगर तुमने देखी होती तो तुम मुझे पसंद नहीं करती।।लेकिन अगर तुमने देखी है फिर तुमने क्यों शादी के लिए "हां ' कहा है? यह सोचते-सोचते आज हमारी शादी को दो दिन हो गए हैं और मैं तुमसे मिलने तुम्हारे कमरे में अब तक नहीं जा सका हूं।
जब तक रिश्तेदार थे ,तब तक तुम अकेली नहीं रही। लेकिन अब तो...
जो धीरे-धीरे हम दोनों को एक बंधन में बांधती जा रही है,,,
, मैं देख रहा हूं; तुमने अब तक एक बार भी अपनी आंखों को नहीं खोला है, ना ही तुमने "मुझे"एक नजर देखने की कोशिश की है।
जबकि मैं बस तुम्हें ही देखे जा रहा हूं !इस अविश्वास के साथ कि तुम्हारी शादी "मुझसे "हो रही है ।
,,,लेकिन तुम ,,कुछ भी देखो उससे पहले ही मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूं।" दिल से जवाब देना "
क्या तुमने मेरी तस्वीर देखी थी?
शायद नही!,,,,,"नहीं देखी होगी, क्योंकि अगर तुमने देखी होती तो तुम मुझे पसंद नहीं करती।।लेकिन अगर तुमने देखी है फिर तुमने क्यों शादी के लिए "हां ' कहा है? यह सोचते-सोचते आज हमारी शादी को दो दिन हो गए हैं और मैं तुमसे मिलने तुम्हारे कमरे में अब तक नहीं जा सका हूं।
जब तक रिश्तेदार थे ,तब तक तुम अकेली नहीं रही। लेकिन अब तो...