बेईमान लालची सेठ।
कुछ समय पहले की बात है कि आरामपुर नामक एक छोटे से पिछड़े हुए कस्बे में एक धनवान सेठ रहता था । सेठ के पास इतने रुपये थे की वह आराम से अपना जीवन गुजार सके । उस सेठ ने आरामपुर में एक दुकान खोल रखी थी जिससे सभी लोग समान लेकर जाते थे ।
सेठ जी पैसो के बड़े लालची थे और इस कारण जब भी उन्हें कोई पैसे लेकर आते दिख जाता तो वह उसके पैसे किसी तरह से निकालने के बारे मे सोचते रहते थे और जब वे लोग दुकान से समान लेकर जाते थे तो किसी तरह से उन्हे ज्यादा समान दे देते थे और वो साथ ही दिया हुआ सामान मिलावटी भी होता था ।
कभी कभी तो सेठ जी लोगो को हिसाब में गड़बड़ी करके भी बता देते थे और क्योकि आरामपुर जैसे छोटे से कस्बे के लोग ज़्यादा पढें लिखे थे नहीं और इस कारण उन्हें पता भी नहीं चलता था । सेठ जी के इस तरह से व्यवहार के कारण ज़्यादातर लोग उन्हें पंसन्द नहीं करते थे ।
पर कस्बे के अधिकतर ...
सेठ जी पैसो के बड़े लालची थे और इस कारण जब भी उन्हें कोई पैसे लेकर आते दिख जाता तो वह उसके पैसे किसी तरह से निकालने के बारे मे सोचते रहते थे और जब वे लोग दुकान से समान लेकर जाते थे तो किसी तरह से उन्हे ज्यादा समान दे देते थे और वो साथ ही दिया हुआ सामान मिलावटी भी होता था ।
कभी कभी तो सेठ जी लोगो को हिसाब में गड़बड़ी करके भी बता देते थे और क्योकि आरामपुर जैसे छोटे से कस्बे के लोग ज़्यादा पढें लिखे थे नहीं और इस कारण उन्हें पता भी नहीं चलता था । सेठ जी के इस तरह से व्यवहार के कारण ज़्यादातर लोग उन्हें पंसन्द नहीं करते थे ।
पर कस्बे के अधिकतर ...