फुल सा कोमल हृदय
वह अपंग पैदा नहीं हुआ था, मगर शरीर में छुपी बिमारियों का क्या किया जाए न उम्र देखती न अमीरी गरीबी जब जिससे चिपकना चाहती है जा
चिपकती और सामना करने कराने वाले का जीवन बदल के रख देती । वह ब्राह्मण कुल में पैदा हुआ था और वे सात भाई चार बहनें और माता पिता के साथ कुल तेरह लोगों का परिवार था उसका नाम था मनोहर श्री रहने का स्थान अर्ध शहरी था और
पढ़ने लिखने को सरकारी स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकारी अस्पताल ।
यह वह समय था जब अंग्रेजो से भारत को आजाद हुए लगभग दस बारह वर्ष हुए थे तब
आबादी ऐसी बदहाल सी नहीं थी मगर क्या हिंदू और क्या मुसलमान सभी लगता था आबादी बढ़ाने को ही आजादी समझने लगे थे कुछ समझदार तो कुछ गंवार
तब कमजोर सा मनोहर श्री देखता उसकी मां
कुल्हाड़ी लेकर लकड़ी चीर रही है वह बड़ा दुखी
होता मन में सबसे छोटा था तो उसकी बात सुनता भी तो कौन बड़े भाई तो कमाने के चक्कर में दौड़ते रहते और बहनें सफाई और रसोई के कामों में व्यस्त रहती...
चिपकती और सामना करने कराने वाले का जीवन बदल के रख देती । वह ब्राह्मण कुल में पैदा हुआ था और वे सात भाई चार बहनें और माता पिता के साथ कुल तेरह लोगों का परिवार था उसका नाम था मनोहर श्री रहने का स्थान अर्ध शहरी था और
पढ़ने लिखने को सरकारी स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकारी अस्पताल ।
यह वह समय था जब अंग्रेजो से भारत को आजाद हुए लगभग दस बारह वर्ष हुए थे तब
आबादी ऐसी बदहाल सी नहीं थी मगर क्या हिंदू और क्या मुसलमान सभी लगता था आबादी बढ़ाने को ही आजादी समझने लगे थे कुछ समझदार तो कुछ गंवार
तब कमजोर सा मनोहर श्री देखता उसकी मां
कुल्हाड़ी लेकर लकड़ी चीर रही है वह बड़ा दुखी
होता मन में सबसे छोटा था तो उसकी बात सुनता भी तो कौन बड़े भाई तो कमाने के चक्कर में दौड़ते रहते और बहनें सफाई और रसोई के कामों में व्यस्त रहती...