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वो कौन था?
रात के करीब 2 बज गए थे..
आकाश अपनी कार उस खाली हाई-वे पर और तेजी से भगा रहा था, खाली और सुनसान रोड पर उसकी स्पीड 100km प्रति घंटे से 120 और 140 के ऊपर हो चुकी थी

स्ट्रीट लाइट की रोशनी आने वाले तूफान की वज़ह से उतनी साफ़ नहीं दिख रही थी

गाड़ी की windscreen पर धूल के साथ बारिश की बूंदे भी गिरना शुरू हो गई थी

बाहर जैसा बवंडर चल रहा था वैसा ही बवंडर आकाश के के भीतर भी चल रहा था, बाहर तेज हवा और गाड़ी के अंदर न्यूनतम तापमान पे चल रहे AC मे भी आकाश पसीने से लथपथ था

वो बार बार एक हाथ से अपने पसीने को पोंछ रहा था और पसीना उसके माथे और कान के पीछे आते रह रहा था

ना जाने वो क्यु डर रहा था और ना जाने क्यु इतनी स्पीड से गाड़ी चला रहा था

अचानक रेयर मिरर से आकाश को कुछ दिखा, वही परछाई उसके गाड़ी की बैक सीट पर दिखी उसने पीछे देखा और.......


कुछ मिनिटों बाद उसकी गाड़ी हाई वे के डिवाइडर से टकरा कर उल्ट गई

***

करीब करीब सुबह 4 बजे Inspector विक्रम उनकी टीम के साथ घटना स्थल पर पहुच गए

आकाश की लाश को पोस्टमॉर्टम केलिए भेजा गया

Inspector विक्रम के साथी हवलदार ने कहा "सर, एक नॉर्मल एक्सीडेंट का केस है, फिर भी इतना वक़्त क्यु बर्बाद करने का, पोस्टमार्टम वगैरह..."

विक्रम "ये कार्यवाही है, पर तुमको नहीं लगता ये इंट्रेस्टिंग केस है"

"कैसे सर?"

"होना चाहिए... क्यु की मुझे कभी...आज तक सीधे साधे केस नहीं मिले... तुमने देखा एक्सीडेंट इतना बड़ा नहीं है.. बॉडी को चोट भी ना के बराबर आई है.. "

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12 बजे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आकाश के घर वालों के साथ नॉर्मल पूछताछ करने के बाद पंचनामा करके बॉडी उनको सौंप दी

रिपोर्ट के जरिए पता चला कि आकाश की मौत कार एक्सीडेंट से नहीं पर उससे ही कुछ सेकंड पहले हो गई थी..

मौत की वज़ह, परेशानी, सदमा या भय या कुछ और क्यु के आकाश की एक्सीडेंट के धड़कन पहले ही बंद हो गई थी..

आकाश को जहा चोट आई थी वहा खून का बहाव बिल्कुल ना के बराबर था, ऐसा तभी होता है, जब हार्ट ने पंपिंग करना बंद कर दिया हो या कम हो गया हो.. और इतनी कम थी, कंही गहराई वाला घाव भी नहीं दिखा था...

शायद हार्ट अटैक... पर क्यु.. किसलिए.. आकाश की मेडिकल हिस्ट्री.. से भी संभावना कम लग रही थी

सोच मे डूबे विक्रम को उनके साथी ने कहा "क्या सहाब आपको मर्डर मिस्ट्री सॉल्व करते करते.. हर छोटा मोटा केस भी बड़ा लगता है... इतना मत सोचिए... गाड़ी मे कोई नहीं था... कीसी ने खून नहीं किया..."

पर हमेशा की तरह विक्रम सोच रहा था.. ये केस नॉर्मल नहीं है...

***
रात को 11 बजे सुधीर वाशी बस-स्टॉप पर उरण जाने वाली लास्ट लोकल बस पर चढ़ा

कन्डक्टर से पूछा "सर, ये बस गव्हान जाएगी?"

"नहीं सिर्फ गव्हान फाटा तक, २६ रुपये"

"सर, प्लीज बता देना जब गव्हान फाटा आए तब, मैं मुंबई मे नया हू... प्लीज"

"ठीक है"

सुधीर ने मोबाइल निकाला battery 10% थी, उसने मोबाइल switch off करके रख दिया

उसका ट्रांसफ़र दिल्ली से यहा हुआ था, और कंपनी से कोई लेने आने वाला नहीं था, ट्रेन लेट हो गई और वाशी तक आते आते ही रात हो गई, अच्छा हुआ लास्ट बस मिल गई...

बस की गती धीरे धीरे तेज हो रही थी, वाशी की स्ट्रीट लाइट की रोशनी और शहर की रोशनी से दूर अब सुनसान सड़क पर बस चल रही थी, अब दूर दूर तक कोई रोशनी नहीं दिख रही थी, बस मे सिर्फ तीन लोग थे, ड्राइवर, कन्डक्टर और सुधीर..

सुधीर की आंख 2 मिनट के लिए लगी तब अचानक उसे लगा के बस मे उन तीनों के अलावा भी कोई है, जो उसके पीछे बैठा हुआ है.. उसने पीछे देखा..

कोई नहीं था.. शायद सपना आया होगा

सुधीर के माथे पर हल्का हल्का पसीना हो गया था

कन्डक्टर ने बेल बजाया और गाड़ी रुकी, कन्डक्टर ने कहा "उतरो, गव्हान फाटा आ गया"

सुधीर उतरा, बहोत अजीब जगह थी, बड़ा सा पानी का टैंक था, और चारो तरफ पहाड़ी, कम रोशनी मे बस यही दिखा, और उसके उतरने के बाद जब बस गई तब वो सब भी दिखना बंद हो गया

उसको लगा बस मे से और कोई भी उतरा है, पर पीछे देखा कोई नहीं था...

बस जहा रुकी थी वो बस स्टॉप एक खण्डहर जैसा था, बैठ ने लायक कुछ नहीं था, बहोत सारी दारू की खाली बोतल, बीयर के कैन के अलावा प्लास्टिक की थैलियां थी.. भयानक बदबू आ रही थी

आसपास ना इंसान, ना परिंदा, ना जानवर कोई नहीं था, कुत्ते भी भौंक कर सो गए थे, वो जहा खड़ा था वहा से दूर 4 halogen light दिख रही थी, शायद container storage yard था, सुधीर को लगा शायद यही उसकी कंपनी होगी अगर नहीं भी हुई तो इनलोगों को पता होगा मेरी कंपनी के बारे मे, आसपास ही होगी...

सुधीर अपना बेग लेकर नीचे की तरफ जा रहा था,

पैर मे सूखे पत्ते की कुचलने की आवाज आ रही थी, पत्थर की वज़ह से एक दो बार ठोकर भी लगी पर बच गया

अपना मोबाइल स्विच ऑन किया, मोबाइल की रोशनी के सहारे पहाड़ के नीचे उतर कर इस container yard तक पहुंच गया...

सिक्युरिटी गार्ड को उठाकर बोला "XYZ कंपनी कहा है?"

सिक्युरिटी गार्ड "मालूम नहीं, अड्रेस क्या है"

सुधीर ने अड्रेस बताया

सिक्युरिटी गार्ड बोला "ये तो गव्हान गांव मे है, यहा से 5 किलोमिटर दूर, ये गव्हान फाटा है"

सुधीर "रास्ता कहा है..? मैं पैदल चला जाऊँगा"

सिक्युरिटी गार्ड "बस स्टॉप से यहा तक आ गए हों, यही बड़ी बात है, आगे सोचना भी मत, कोई मार के पहाड़ी मे फेंक देगा पता नहीं नहीं चलेगा..."

सुधीर और डर गया बोला" मैं सुबह तक यहा रुक सकता हू?"

सिक्युरिटी गार्ड "बिल्कुल नहीं, आप बस स्टॉप चले जाए, वैसे तो कुछ गाड़ी मिलेगी नहीं, आप की किस्मत अच्छी हो तो कुछ मिल जाएगा, नहीं तो सुबह पांच बजे गाड़ी आयेगी, उरण केलिए वहा से जसई और जसई से ऑटो मे गव्हान चले जाना"

सुधीर वापस उसी खंडहर जैसे बस स्टॉप को तरह चल पड़ा, अब उसको सब ठीक नहीं लगा रहा था, कंपनी के दिए हुए नंबर पर फोन कर रहा था, पर जल्द बाजी मे उसने एक नंबर कम लिखा था, इसलिए फोन कनेक्ट नहीं हो पाया...

कुछ प्रयत्न के बाद battery खत्म हो गई

धीरे धीरे.. वो बस स्टॉप को तरफ बढ़ रहा था और साथ साथ कोई और भी उसके पीछे आ रहा था.. उसकी धड़कन तेज हो रही थीं... साँसे फूल रही थी...

सुधीर अंधेरे मे भी तेज भागने की कोशिश कर रहा था.. सूखे पतों मे उसके पैर के आवाज के साथ साथ, दूसरे पैरों की आवाज भी सुनाई दे रही थी, पीछे मूड कर देखा तो उसे दो चमकती हुई आंखे दिखी,

एक लंबी चीख निकली, जो चीख पहाड़ों के पत्थर के अलावा किसी ने नहीं सुनी और अब सब आवाज शांत हो गई..

सुधीर की सांसो को आवाज भी

****

Inspector विक्रम और उनका साथी चंदू पुलिस स्टेशन से निकल रहे थे, तब inspector विक्रम के फोन की रिंग बजी

"हेल्लो, सर, inspector विक्रम speaking"

"विक्रम गव्हान फाटा टैंक के सामने के छोटे बस स्टॉप के पीछे किसी युवक की लाश मिली है, जल्दी वंहा रिपोर्ट करो"

"OK, सर"

विक्रम ने फोन रक्खा और चंदु को कहा गाड़ी गव्हान फाटा की तरफ ले चलो

चंदु "OK सर"

चंदु हवलदार ने विक्रम से पूछा "क्या बात है सर? अखिर आपने स्मार्ट फोन ले ही लिया!!! कौनसी कंपनी का फोन है..? मॉडल?"

विक्रम "iPhone 7, हाँ यार लेना प़डा, सोचा था, जब अच्छे फोन made in India बनेंगे तब लूँगा, पर मुझे नहीं लगता, आज कल के बच्चे फोन पर खेलने के अलावा कोई और काम करेगे तब भी तो कुछ सम्भव होगा... संभावना कम दिखाई देती है... और कुछ कुछ मौकों पर अच्छे फोटोग्राफ की जरूरत रहती है.. और.... "

चंदू" बस, बस.. सहाब.. ज्यादा फायदे मत गिनाईए, मैं तो कब से बोल रहा था, आपको एक अच्छा फोन चाहिए... पर आप सही इस्तमाल करे तो ठीक है... मेरा बेटा भी ऐसे बहोत सारे फायदे गिनाकर एक मंहगा स्मार्ट फोन खरीद आया.. बोला मुझे मैथ्स मे ज्यादा प्रैक्टिस मे काम आएगा.. और इस साल मैथ्स मे ही फैल हुआ.. पूरा दिन मोबाइल पे लगा रेहता है... कुछ बोलो तो.. आसमान सर पर ले लेता है "

विक्रम" ये तो अच्छी बात नहीं है, आजकल सब जगह यही हाल है, आज कल कितने सारे मिया बीवी के झगड़े, तलाक के केस इसी फोन की वज़ह से भी आते है... और तुमको क्या लगता है..? मेरे जैसा मर्डर मिस्ट्री सुलझाने वाला... बच्चों की तरह इस मे खेल खलने लगेगा..?... रुको.. चंदु, यहा से सामने एक बस स्टॉप के पीछे लाश है... "

वहा मौजूद टीम से विक्रम को पता चला, लड़के (लाश) का नाम सुधीर था, गव्हाण गांव मे किसी कार्गो container storage company की एक branch पर उसका ट्रांसफ़र हुआ था, आज उसको यहा रिपोर्ट करना था...

बॉडी पर ना कोई खून का धब्बा था, ना कुछ साँप या जंगली जानवर के कटने की निशान थे, ना किसी और के हाथो के निशान, बस एक बैग थी उसमे उसके कपड़े थे, अजीब बात है, ये यहा नया था, इसे कौन मारेगा...

पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट शाम को आयी वज़ह वहीं थी आघात, डर या सहमने से या सदमे मे दिल की धड़कन रुक गई थी

विक्रम "डॉक्टर, पिछली रिपोर्ट कॉपी पेस्ट की है क्या?"

डॉक्टर "नहीं सर, इत्तफाक से इसकी मौत की वज़ह भी यही है"

विक्रम ने कुछ फोटो लिए और पंचनामा किया आसपास पूछताछ के बाद वहा से स्टेशन जाने केलिए रवाना हुए

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विक्रम सोच रहा था एक ही हफ्ते मे दो ऐसे वारदात... ये इत्तेफाक नहीं हो सकता कुछ तो है.....

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इत्तेफाक, यह इत्तेफाक नहीं हो सकता

चंदू "क्या हुआ हुआ सहाब..?"

चंदू "देखो जैसे ही मैं इत्तेफाक बोला और इस एप्लीकेशन में किसने इत्तेफाक नाम की कुछ पोस्ट डाली है... लिखा है -
(इत्तेफाक इत्तेफाक नहीं होता वजह जरुर होती है - 122 122
Sunita Arora)

चंदू" अरे, साहब किस चक्कर में पड़ गए आप? फोन पोस्ट application... वैसे तो मुझे इस केस में कुछ दम नहीं लग रहा है, पर आप पता नहीं क्यों इतने उलझे हुए हैं? यह आप किसकी बात कर रहे हैं या मोबाइल देख कर कुछ बोल रहे हैं.

विक्रम" नहीं.. हाँ.. यार दोनों.. देखो कल एक application डाली थी यहा लोग शायरी, कहानी, quotes लिखते है... बड़ा अच्छा application है"

चांदू "बुरा ना माने सहाब, आज ये application, कल वो, फिर कोई और... मुझे लगता है आपको मेरे बेटे कि तरह मोबाइल की लत लग जाएगी और आपका career और department का सबसे होनहार मर्डर मिस्ट्री सुझाने वाला इंस्पेक्टर हम खो बैठेंगे "

विक्रम" नहीं चंदू, ऐसा नहीं होगा, इसलिए मैंने मेरे मोबाइल पर कोई application નહીં download की, सिर्फ यही application है, कॉलेज के दिनों मे मुझे शायरी और कहानी का बड़ा शौक था, free time मे कुछ पढ़ लेता हू और कभी कभी कुछ लिख लेता हू, आज कल के बच्चों की मानसिकता भी देखनी चाहिए, देखता हू आज कल बच्चे इसी दुनिया मे खोए हुए है "

चंदू" बात तो सही है सहाब "

***

फॉरेंसिक डिपार्टमेंट से एक फोन आया
" सर, यही मौत जैसा एक और रिपोर्ट आया है, मध्यप्रदेश के जौहरा गांव से, उनकी पुलिस को पता चला के ऐसे दो केस यहा हुए है तो यहा की रिपोर्ट मांगी है और उनकी भी रिपोर्ट शेयर की है... देखिए जरा"

विक्रम ने रिपोर्ट पाढ़ी और विशाल की मौत हुई थी उनके पिता से संपर्क किया

" विशाल के पिता बोल रहे है? "

" जी, सरकार, विशाल हमौ ही मोड़ों थाओ"

" क्या हुआ था, उस रात..? "

" कछू नही, सरकार, हमौ मोडो एकदम सीधो भयो कल्ल राते रोज की तरह छत पर सोयो हतो, 10 15 मिनट के भीतर उसके चीखने की आबाज आयो, हमोऊ सब ऊपर गए.. और मोड़ों........हम सब को छोड़ कर जा चूको थो.."

विक्रम" ओहो.. सुनकर बहोत दुख हुआ... आसपास कुछ था? "

" नहीं सरकार, हमोऊ, घर गांव से बाहर है, यहा कोई नहीं आतो जातो "

विक्रम" ठीक है.. मैं रखता हू... बाद मे कुछ होगा तो आपसे बात कर्ता हू "

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विक्रम" चंदू, ये सब क्या हो रहा है, तीन तीन, केस ऐसे है, जहा वारदात के आसपास ना कोई सुराग, ना किसी के हाथ के निशान, सब की मेडिकल हिस्ट्री भी ठीक थी, फिर अचानक हो क्या रहा है...?"

चंदु" सहाब, आज कल बच्चों को भी हार्ट अटैक आना आम बात हो गया है, ये नॉर्मल केस आप इतना seriously क्यु ले रहे है...?.... सहाब कल मेरा बेटा अजय पूना से घर आ रहा है.. मैं एक दिन छुट्टी लूँगा... "

विक्रम" ठीक है, मुजे कुछ काम होगा तो.. जल्दी आ जाना "

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चंदू का बेटा अजय पूना मे पढता था, इंजीनियर exams खत्म हो गए थे, हास्टल से सब छात्र अपने घर निकल गए थे, आज रात की ट्रेन से अजय भी जा रहा था, अपना बेग पैक करके वो, मुह हाथ धोने केलिए वोशरूम की तरफ़ जा रहा था

आज उसे सब अजीब लग रहा था.. रात के 11 बजे, वोशरूम मे वोश बेसीन के नल से पानी टपक ने की आवाज बड़े जोर से सुनाई दे रही थी..

शायद हॉस्टल मे कोई नहीं था, सब खाली था, इसलिए

ध्यान से सुना तो.. कोई प्लास्टिक बाल्टी को जोर जोर से थोक रहा था..

कौन होगा ये जानने केलिए आवाज की दिशा मे धीरे धीरे बड़ा..

अवाज और तेज होती जा रही थी

अजय और पास गया.. Bathroom का दरवाजा खोला..

कबूतर के फाड़ फाड़ने की आवाज आयी

कबूतर वहां से उड़ गया

उसने राहत की साँस ली

हाथ पैर दो कर बाहर जा रहा था..दरवाजे के पीछे.. एक साया दिखा..

उस तरफ देखा, जल्दी से साये के पास पहुचा.. वो साया वहा से गायब हो गया..

तेजी से अपने कमरे मे गया, सोचा चल बेटा बेग उठा और भाग जा...

उसके कमरे मे कोई अजीब आवाज से किसी के गाने की आवाज़ सुनाई दी

जैसे जैसे कमरे तरफ बढ़ा आवाज और तेज और भयानक हो रही थी..

कमरे मे कोई नहीं था और आवाज भी शांत हो गई थी.. एक दम सन्नाटा था..

वो जल्दी जल्दी अपना टी शर्ट, पेंट, जुते पहनकर, बेग ले कर भगा..

सीडी से नीचे उतर रहा था.. उसको लगा पीछे कोई है..

उसके कदमों की आवाज के साथ साथ, किसी और के कदमों की आवाज भी बढ़ रही थी...

अजय ने सीडी से उतरकर नीचे देखा..

और.....

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सुबह चंदु का फोन आया "विक्रम सहाब, मेरा बेटा..... पूना मे.....उसकी लाश.... "

विक्रम चंदु के साथ पूना गया... चंदु को सांत्वना दी...

दुपहर को पूना जा कर अजय की बॉडी ली और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, वहा के inspector से अजय ने बात की

पूना के Inspector ने कहा "पोस्टमॉर्टम मे कुछ नहीं है, डर या सदमे से हार्ट फैल हो गया है "

विक्रम ने सब डिटेल्स मांगी और अजय का केस कानूनी तौर पर अपने हाथ मे लिया

अजय का सब समान अपने custody मे लिया...

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बहोत उलझन मे था विक्रम ये अचानक एक साथ क्या हो रहा है कुछ समझ नहीं आ रहा था...

कहा से छानबीन की शुरुआत करे कुछ...

परेशान हो कर अपने मोबाइल मे वो application on करके देखा...

एक पोस्ट था "कभी कभी सारी समस्याओं का हल अपने भीतर ही होता है, सब समस्याओं को छोड़कर अपने अंतर्मन से बाते करे, सारे जवाब मील जायेगे"

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विक्रम को कंही कोई जवाब नहीं मिल रहा था, विक्रम ने अजय का फोन देखा, last call, Google search history, SMS सब देखा...

अजय, सुधीर और आकाश के मोबाइल मे एक application common मिली, वो तीनों कहानिया लिखते थे

मध्यप्रदेश फोन करके पूछा विशाल के फोन पर भी वही application मिली, उसके अकाउंट की डिटेल्स ली...

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चारो लोगों मे एक बात कॉमन थी वो application और horror कहानी...

ये लोग aaplication admin के prompt जॉइन करते रहते थे... और कोई ना कोई.. उनको सुझाव देते रेहता था... "आप हॉरर स्टोरी लिखिए..."

***

विक्रम ने सोचा सिर्फ कहानी लिखने से क्या होता है??

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विक्रम ने भी अपना मोबाइल निकाला और हॉरर कहानी लिखना शुरू किया...

कहानी लिखते लिखते बहोत सोच रहा था.. कैसे इसको बेह्तरीन बनाया जाय..

कहानी ठीक से नहीं बन रही थी..

फिर से प्रयत्न किया..

अपने आसपास सब किरदार को खड़ा किया... सब परिस्थिति का निर्माण किया.. और आधी कहानी लिखकर उसके हाथ मे दर्द होने लगा....

वो थककर अपने बिस्तर पर जा कर सोने गया...

उसको लगा बिस्तर के नीचे कोई है

नीचे देखा तो कोई नहीं था..

उसने अपनी गन निकाली.. दूसरे रूम से किसी के हंसने की आवाज आ रही थी.. कोई औरत की...

वहा गया.. कोई नहीं था.. विक्रम के कान के नीचे से पसीने का रेला निकला...

उसको अपने पीछे कोई है ऐसा मेहसूस हुआ..

पिछे उसने दो बड़े नाखुन वाले हाथ देखे

वो हाथ उसकी तरफ बढ़ रहे थे

विक्रम ने हाथ पकड़ ने की कोशिश की पर वो हाथ पकड़ नहीं आ रहे थे...

विक्रम उसकी गोली चलाने जा रहा था पर उसके हाथ काम नहीं कर रहे थे..

पूरे बदन से पसीना बेह रहा था...

और विक्रम उधर ही गिर पड़ा

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सुबह उसकी लाश मिली

पोस्ट मोर्टम की रिपोर्ट मे यही लिखा था डर या सदमे की वज़ह से हार्ट फैल..

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समाप्त
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