...

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किताबों से प्रेम ..❣️
वो रातों को उठ कर पढाई करना
कितना बोझ लगता था हमको,

बस एक ही ख्याल दिमाग में घूमता रहता था, कि हम कब जल्दी से बड़े हो जाए और इन किताबों से छुटकारा मिल जाये।

आज मैं सोचती हूँ तो एक मुस्कान होठों पर आ जाती हैं।
मुझे आज यहीं किताबें अपनी नई दोंस्त नजर आती हैं।

कितनी अपनी सी लगतीं हैं ये किताबें,
कभी कभी मुझे अपने सुख दुःख की साथी लगती हैं,
तो कभी मेरे जीवन का खालीपन दूर कर देती हैं। सच में एक अनोखा बंधन बंध जाता हैं ,इन किताबों से एक बार निभा कर तो देखों......।।

मगर आज कल की नयी पीढियां किताबों से कम मोबाइल फोन से ज्यादा प्रेम करती हैं,
बहुत ही कम लोग है जो आज कल किताबों को अपना साथी बनाते हैं।

✍️ranu
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