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नई दिशाएं

बृजमोहन मित्तल शहर के प्रतिष्ठित हीरे की व्यापारी थे। शहर में उनका बहुत सम्मान था। वे प्रतिदिन सुबह उठकर अखबार पढ़ते थे। एक दिन उनका नजर एक शीर्षक पर जाकर टिक गया।लिखा था " आई ए एस अफसर भर्ती "! वे मन ही मन कुछ सोचने लगे।
अपने दूकान पहुंच कर दिगांत को आवाज लगाए। दिगांत एक गरीब शिक्षित नौजवान था। वह दूकान में काम करने के साथ-साथ प्रतियोगिताओं की तैयारी भी कर रहा था।
मित्तल जी ने उसे 'आई ए एस' परीक्षा की तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित किये । दूकान से उसे कुछ दिनों की छुट्टी भी दे दिए। उसका वेतन में कोई कटौती नहीं किये।
समय बीतता गया। आज दिगांत एक अफसर है। जो उसके मेहनत और मित्तल जी के सहयोग से संभव हुआ। वाकई में अगर सही वक्त पर वे एक हीरे को न तराशते तो आज ये संभव नहीं हो पाता। समाज में ऐसे लोगों की बहुत आवश्यकता है।
रीता चटर्जी
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