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आत्मा से निकले आंसू
जिंदगी में अनेकों अड़चने आई अकेले ही जिन्दगी का अंत होना निश्चित है । इतने सारे झूठें और मक्कार लोगो से भरा ये संसार है, कि मानो लगता है जिंदगी का अंत तो यही है | खुशियों की तितलियों को खोजती रहती हूं ,काश कोई ये बोलदे तुमसे मुझे कोई शिकायत नही , काश कोई मेरी खामोशी को समझ पाता मेरी भावनाओ की कद्र कर पाता यहां तो ये ज़ाहिर होने लगा है , मित्रो स्वार्थ की दुनिया है , एक सिक्का रिश्तों से ज्यादा भारी होता है ये मैंने अपनी आंखों से देखा है |शायद इस संसार मे प्यार और भावनाओं का कद्र करने वाला कोई अपना मिल जाएं , जीवन मे बहुत अंधेरा है कोई रोशनी भरदे ,अपनो के दिये हुए चोट कभी नही भरते है , हमेशा जिंदा रहते है इनसे बहने वाले आंसू बया तक नही कर पाएंगे कितना दर्द है इन आँखों मे, कभी प्यार नसीब नही हुआ है , स्वार्थ इंसान का कही न कही आ ही जाता है सुना था आपके माँ बाप भाई बहन से बढ़कर कोई प्यार नही दे सकता है । वो सब गलत साबित हुए, और मैं सही ,मित्रों !खुद की कद्र करना शुरू कर दीजिए अब वो अपने नही रह गए है , काश मैं गलत साबित होती , वो सब गलत निकले जिन्होंने ये वाक्यों को बताया था , मैं तो बचपन मे कभी माँ और पापा का प्यार देखी थी, जबसे बड़ी हुई तबसे आज तक प्यार निःस्वार्थ भाव से नही मिला, बहुत तकलीफ होती है मुझे ये बताने में मैं जिंदा हूँ कैसे! ये मुझे खुद नही पता , इंसान का अकेलापन और दर्द से भरे इन आँसुओ को कितना रोकू रुकते ही नही , काश कोई समझ पाता बहुत अकेली हूँ ,बहुत दर्द है अंदर, चोट कितनी है वो गिनना मुश्किल है , मेरा कंधा कोई बना नही , विकलांग हो गयी हूँ मैं चल नही पा रही ,कोई सम्भालने के लिए पीछे नही मेरे ,अकेले इन दर्द से गुजरना है जिंदगी के हर मोड़ पे बहुत मेहनत की हूँ ,हर परिस्थिति में जी हूँ , मुझे अंधेरों से डर लगता है ले चलो मुझे रोशनी की ओर इस शरीर में सिर्फ मरी हुई आत्मा ही बची हुई है ,हर बार उन आँसुओ की कीमत की नीलामी की जाती है भरे बाज़ारों में. मेरी जिंदगी मौत के करीब है, मैं हर बार मौत को गले लगा लेती हूं , मैं गुहार लगा रही हूँ, मुझे मौत नसीब हो , बहुत अच्छा रहना भी एक गुनाह है बुरे रहकर लोग काफी कुछ कमा लेते है। अच्छाईयों की कद्र इस कलयुग में नही रही