इवेंट हॉराइज़न...
ब्लैक होल स्पेस में वो जगह है जहाँ भौतिक विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता। इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बहुत शक्तिशाली होता है।
इसके खिंचाव से कुछ भी नहीं बच सकता। प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है, यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है।
ब्रह्माण्ड के ऐसे ही जटिल रहस्यों के बारे में जानने के लिए एक स्पेस प्रोग्राम के तहत 15 अगस्त 2083 को भारत से दो रॉकेट स्पेस में छोड़े गये , इस स्पेस प्रोग्राम को "इवेंट हॉराइज़न" का नाम दिया गया। ब्लैक होल के बाहरी हिस्से को इवेंट हॉराइज़न कहते हैं। क्वांटम प्रभाव के चलते इससे गर्म कण टूट-टूट कर ब्रह्माण्ड में फैलने लगते हैं। आइंस्टाइन बता चुके हैं कि किसी भी चीज़ का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके आसपास लपेट देता है और उसे कर्व जैसा आकार दे देता है। हो सकता है कि आप किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में निकले हों या फिर अंतरिक्ष यान से बाहर निकले हों और तभी ब्लैक होल की चपेट में आए जाएं। अगर आप ब्लैकहोल की चपेट में आ गए हों, तो आपके साथ दो बातें होती हैं। या तो आप तुरंत ही जलकर राख हो जाएंगे या फिर आप बिना कोई नुकसान झेले ब्लैक होल में हमेशा के लिए फंस जाएंगे।
ऐसी ही कुछ परिस्थितियों का सामना किया था "इवेंट हॉराइज़न" की एस्ट्रोनॉट्स टीम ने, एक ऐसी यात्रा जिस पर शायद ही कोई जाना चाहेगा, जहाँ कई प्रकाश वर्ष दूर तक का सफर तुरंत तय करने का तरीका भारत के युवा जीनियस वैज्ञानिक हिमांशु चट्टोपाध्याय ने ढूँढ निकाला था। जिसके तहत भारत के ही स्पेस कक्ष के आसपास एक बड़े पोर्टल द्वार का निर्माण किया गया, ये पृथ्वी के साथ घूमने के काबिल था अर्थात भारत के...
इसके खिंचाव से कुछ भी नहीं बच सकता। प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है, यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है।
ब्रह्माण्ड के ऐसे ही जटिल रहस्यों के बारे में जानने के लिए एक स्पेस प्रोग्राम के तहत 15 अगस्त 2083 को भारत से दो रॉकेट स्पेस में छोड़े गये , इस स्पेस प्रोग्राम को "इवेंट हॉराइज़न" का नाम दिया गया। ब्लैक होल के बाहरी हिस्से को इवेंट हॉराइज़न कहते हैं। क्वांटम प्रभाव के चलते इससे गर्म कण टूट-टूट कर ब्रह्माण्ड में फैलने लगते हैं। आइंस्टाइन बता चुके हैं कि किसी भी चीज़ का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके आसपास लपेट देता है और उसे कर्व जैसा आकार दे देता है। हो सकता है कि आप किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में निकले हों या फिर अंतरिक्ष यान से बाहर निकले हों और तभी ब्लैक होल की चपेट में आए जाएं। अगर आप ब्लैकहोल की चपेट में आ गए हों, तो आपके साथ दो बातें होती हैं। या तो आप तुरंत ही जलकर राख हो जाएंगे या फिर आप बिना कोई नुकसान झेले ब्लैक होल में हमेशा के लिए फंस जाएंगे।
ऐसी ही कुछ परिस्थितियों का सामना किया था "इवेंट हॉराइज़न" की एस्ट्रोनॉट्स टीम ने, एक ऐसी यात्रा जिस पर शायद ही कोई जाना चाहेगा, जहाँ कई प्रकाश वर्ष दूर तक का सफर तुरंत तय करने का तरीका भारत के युवा जीनियस वैज्ञानिक हिमांशु चट्टोपाध्याय ने ढूँढ निकाला था। जिसके तहत भारत के ही स्पेस कक्ष के आसपास एक बड़े पोर्टल द्वार का निर्माण किया गया, ये पृथ्वी के साथ घूमने के काबिल था अर्थात भारत के...