मानसिक जकड़ पकड़.....एक टॉक्सिक रिलेशनशिप (अंतिम भाग )
फिर आखरी सेमेस्टर चल रहा था...उसका एक क्लासमेट था उसका नाम था प्रणव, प्रणव से सौम्या की दोस्ती हो गई क्युकी वो प्रोजेक्ट पार्टनर थे, वो सौम्या को अपनी बहन मानता था .....उसे तो पता ही था की सौम्या रिलेशन में हैं.....फिर जब सौम्या कॉलेज में आती और परेशान रहती थी ,तो उससे रहा ही नही गया...एक दिन लाइब्रेरी में प्रणव ने सौम्या को अकेले देख कर पूछा की क्या हुआ, "सौम्या तुम हमेशा परेशान सी रहती हो ??"
"तुम्हे कोई परेशानी है क्या?" एक भाई बहन के नाते हम बात कर सकते है..!
तब सौम्या ने वो बात टालकर कहा .." नही प्रणव, सब ठिक है...! और वहासे चली गई...!
पर प्रणव से रहा नही गया ...और शाम को हॉस्टल पर उसने सौम्या को कॉल लगाई और फिर वोही सवाल पूछा तो तब भी वोही बात सौम्या ने टाल दी और कहां कुछ नही...!
जब दूसरे दिन कॉलेज में गई तब भी उसने वोही सेम सवाल पूछा....तब सौम्या ने अपनी परेशानी को पता नही क्यों उससे खुल कर बताया....की भूषण उसका बॉयफ्रेंड है और मुझे उसका नेचर अच्छा...
"तुम्हे कोई परेशानी है क्या?" एक भाई बहन के नाते हम बात कर सकते है..!
तब सौम्या ने वो बात टालकर कहा .." नही प्रणव, सब ठिक है...! और वहासे चली गई...!
पर प्रणव से रहा नही गया ...और शाम को हॉस्टल पर उसने सौम्या को कॉल लगाई और फिर वोही सवाल पूछा तो तब भी वोही बात सौम्या ने टाल दी और कहां कुछ नही...!
जब दूसरे दिन कॉलेज में गई तब भी उसने वोही सेम सवाल पूछा....तब सौम्या ने अपनी परेशानी को पता नही क्यों उससे खुल कर बताया....की भूषण उसका बॉयफ्रेंड है और मुझे उसका नेचर अच्छा...