नजरिया
नजरिया क्या है, यह बात कैसे पता होती?
वो तो बंद किताब थी,
एक पहेली जो लाजवाब थी,
जीती थी जिंदगी मगर, उसकी पहचान,
भी उसके लिए ख्वाब थी,
सोचती थी क्या कभी ख्वाब पूरा होता है,
सुना था किसी का होता है किसी का नही,
मगर प्रश्न उसका था,
जिसने पाना चाहा सब कुछ था मगर,
पाकर भी...
वो तो बंद किताब थी,
एक पहेली जो लाजवाब थी,
जीती थी जिंदगी मगर, उसकी पहचान,
भी उसके लिए ख्वाब थी,
सोचती थी क्या कभी ख्वाब पूरा होता है,
सुना था किसी का होता है किसी का नही,
मगर प्रश्न उसका था,
जिसने पाना चाहा सब कुछ था मगर,
पाकर भी...