...

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माँ
"कितना बोलती हो चुप रह करो और थोड़ा कम खाया करो रोटियां सारी तुम्हारे लिए नही है यहाँ तुम्हे तो बस खाना आता हैं पता नहीं बुढ़िया मर क्यों नही जाती मर जाए तो मेरी मुसीबत खत्म हो"

ये वीर के शब्द थे एक दिन पहले अपनी माँ के लिए जो आज उसके सामने सफेद चादर में लिपटी जमीन पर सो रही थी| बेटा माँ को देख नजदीक गया और बोला ये लाश को अब तक घर में क्यों रखा हैं लेके जाओ कोई इसे जल्दी| तभी एक भारी स्वर में आवाज आती है पर बेटा इनका अंतिम संस्कार तो तुम्हे ही करना है तो तुम भी साथ चलो| वीर बोलता है पंडित जी मैं कहीं नही जा रहा आग ही तो लगानी हैं वो तो कोई भी लगा देगा| तभी रीना जिसने मायके में कदम ही रखा था कि बोलती है भाई ये कैसी बात कर रहे हो वो हमारी माँ थी आपका फ़र्ज़ है आप अंतिम संस्कार करो| वीर रीना का हाथ पकड़ बोलता है लो पण्डित जी ये लगा देगी लाश के आग मुझे काम हैं| रीना पण्डित जी के साथ जा अंतिम संस्कार कर आती और लौट ते ही अपना सामान ले वापस ससुराल को चलती हैं| तभी वीर बोलता है बहन आज ही तो आयी हो कुछ दिन रुक जाओ जवाब आता है नहीं भाई अब वही मेरा घर हैं| बस आपसे एक बात कहूंगी भगवान ना करे आप जैसा बेटा किसी को मिले यह कह वो चली जाती हैं| वीर को इस बात पर बहुत गुस्सा आता है और बोलने लगता है इतना किया उस बुढ़िया के लिए और वो मुझे ये सब सुनवा रही हैं| तभी वो अपनी माँ के कमरे में जाता हैं और सारा सामान उठा उठा के बाहर फेंकने लगता हैं वहीं उसे एक कैमरा मिलता हैं| जिसे देखते हुए उसे कुछ तस्वीरों में एक वीडियो मिलती है जिसे देखने के बाद वो फुट फुट रोने लगता हैं | उसमे उसकी माँ अपनी बहू पूछे जाने पर की आपका बेटा कैसा है तारीफ कर रही होती है कि वो मेरा बहुत ध्यान रखता हैं| वो बहुत अच्छा है मुझसे बहुत प्यार करता है मेरे मरने पर सबसे ज्यादा रोयेगा तो उसे सब सम्भाल लेना| वो यह देख ही रहा होता है तभी संजना आती है और कहती है अच्छा है ना मैंने बनाया वीर कुछ कह नही पाता रोने की वजह से उसकी सांस फूल रही होती हैं| तभी वो थोड़ी कोशिश कर बोलता हैं माँ ने झूठ क्यों बोला और संजना जवाब में बोलती हैं वो तुम्हारी माँ थी कभी तुम्हारा बुरा नही कह सकती| अगर तुम उसे मार भी देती तो वो ऊपर जा सिर्फ दुआएं देती वीर आज सब हार चुका था वो अपनी माँ की कद्र तो समझ पर तब बहुत देर हो चुकी थी|