आखिर कब तक
"अरे सर्दियों की सबसे खूबसूरत चीजों में से एक नॉर्थ एरिया की बर्फबारी है.हिमालयन रेंज पूरी बर्फ से ढ़की हुई एक शानदार सीनरी बनाती हैं.
घाटियों और पहाड़ों की चोटियों सब बर्फ की चादर से ढके लगते हैं. जो देखने में बेहद खूबसूरत लगता है. शिमला, दार्जिलिंग और गुलमर्ग जैसे हिल स्टेशन को देखने के लिए सर्दियों में सबसे अच्छा वक़्त होता है,
क्योंकि वे बर्फबारी से ढके पहाड़ों की खूबसूरती दिखाते हैं. ख़ैर मैं कहाँ इन सब बातों में लग गयी. बताओ नूर क्या काम था. "सीमा जी जो अभी अभी शिमला घूमकर आयी थी सभी से उस ट्रिप का बखान करने से नहीं चूकती थी.
" सीमा जी मुझे फेशियल कराना है क्या कोई अच्छा सा फेशियल है आपके पास जो इंस्टेंट ग्लो दे दे."
"लो बताओ अच्छी खासी ग्लोइंग स्किन है ख़ैर से अब क्या कहीं आग लगानी है." खाला की आवाज़ सुनते ही मैं चौंक गयी थी.
"सीमा जी आज आप रहने दे हम बाद में बात करते हैं." मैंने धीरे से कहकर फोन रख दिया था लेकिन कमाल है खाला जी के कानों का...
" हाँ.. हाँ.. बता दो खाला आ गयी हैं.. अब तेरी मनमानी चलने नहीं देंगी. "
" नहीं खाला, ऐसी बात नहीं है.." मैंने बेबसी के साथ कहा
"वैसे कब आयी हो ससुराल से.. या गयीं ही नहीं. "
" आपा नूर कल ही आयी है और एक दो दिन में चली जायेगी." इस बार अम्मी ने खाला जी के निशाने से मुझे बचाते हुए कहा क्यूँकी उनको पता था कि मुझे अपने घर में देखते ही उनको प्रॉब्लम हो जाती थी.
" चलो ठीक है वरना सही बताऊँ खालिदा से आँख नहीं मिला पाती हूँ. बड़े शान से इसका रिश्ता लेकर गयी थी अपनी सहेली के पास.
क्या पता था कि अपना खून ही बेइज्जत करायेगा."
खाला कहाँ मानने वाली थीं.
"अब ऎसा क्या कर दिया मैंने" मैंने अपनी हँसी रोकते हुए कहा
"अरे आपा.. छोड़े ना.. आप बताएँ इतनी ठंड में कैसे आना हुआ.. सब खैरियत तो है."अम्मी नहीं चाह रही थी कि खाला जी की बातों की तोप मुझ पर चलती रहे.
" भई इन्हीं की वजह से आना हुआ है, भाई ने बताया था कि नूर आयी हुई है तो बस मिलने चली आयीं ठंड का क्या है.. हर साल ही होती है."खाला जी ने कोयले की दहकती अँगीठी पर हाथ तापते हुए कहा
" उफ्फ.. बाबा भी कोई बात की पर्दादारी कर नहीं पाते हैं. मना किया था मैंने कि खाला को ना बताइयेगा मैं खुद जाकर मिल आऊँगी." मैंने अपने दिल में सोचा.
"परसों खालिदा मिली थी चूडियों की दुकान पर.. बड़ी हसरत से काँच की चूडियों की तरफ़ देख रही थी. मैंने कहा अपनी बहु के लिए ले लो अगर इतनी अच्छी लगती हैं..
बहुत ही मायूसी से बोली हमारी बहु ये सब कहाँ पहनती है. लेकिन उसे...
घाटियों और पहाड़ों की चोटियों सब बर्फ की चादर से ढके लगते हैं. जो देखने में बेहद खूबसूरत लगता है. शिमला, दार्जिलिंग और गुलमर्ग जैसे हिल स्टेशन को देखने के लिए सर्दियों में सबसे अच्छा वक़्त होता है,
क्योंकि वे बर्फबारी से ढके पहाड़ों की खूबसूरती दिखाते हैं. ख़ैर मैं कहाँ इन सब बातों में लग गयी. बताओ नूर क्या काम था. "सीमा जी जो अभी अभी शिमला घूमकर आयी थी सभी से उस ट्रिप का बखान करने से नहीं चूकती थी.
" सीमा जी मुझे फेशियल कराना है क्या कोई अच्छा सा फेशियल है आपके पास जो इंस्टेंट ग्लो दे दे."
"लो बताओ अच्छी खासी ग्लोइंग स्किन है ख़ैर से अब क्या कहीं आग लगानी है." खाला की आवाज़ सुनते ही मैं चौंक गयी थी.
"सीमा जी आज आप रहने दे हम बाद में बात करते हैं." मैंने धीरे से कहकर फोन रख दिया था लेकिन कमाल है खाला जी के कानों का...
" हाँ.. हाँ.. बता दो खाला आ गयी हैं.. अब तेरी मनमानी चलने नहीं देंगी. "
" नहीं खाला, ऐसी बात नहीं है.." मैंने बेबसी के साथ कहा
"वैसे कब आयी हो ससुराल से.. या गयीं ही नहीं. "
" आपा नूर कल ही आयी है और एक दो दिन में चली जायेगी." इस बार अम्मी ने खाला जी के निशाने से मुझे बचाते हुए कहा क्यूँकी उनको पता था कि मुझे अपने घर में देखते ही उनको प्रॉब्लम हो जाती थी.
" चलो ठीक है वरना सही बताऊँ खालिदा से आँख नहीं मिला पाती हूँ. बड़े शान से इसका रिश्ता लेकर गयी थी अपनी सहेली के पास.
क्या पता था कि अपना खून ही बेइज्जत करायेगा."
खाला कहाँ मानने वाली थीं.
"अब ऎसा क्या कर दिया मैंने" मैंने अपनी हँसी रोकते हुए कहा
"अरे आपा.. छोड़े ना.. आप बताएँ इतनी ठंड में कैसे आना हुआ.. सब खैरियत तो है."अम्मी नहीं चाह रही थी कि खाला जी की बातों की तोप मुझ पर चलती रहे.
" भई इन्हीं की वजह से आना हुआ है, भाई ने बताया था कि नूर आयी हुई है तो बस मिलने चली आयीं ठंड का क्या है.. हर साल ही होती है."खाला जी ने कोयले की दहकती अँगीठी पर हाथ तापते हुए कहा
" उफ्फ.. बाबा भी कोई बात की पर्दादारी कर नहीं पाते हैं. मना किया था मैंने कि खाला को ना बताइयेगा मैं खुद जाकर मिल आऊँगी." मैंने अपने दिल में सोचा.
"परसों खालिदा मिली थी चूडियों की दुकान पर.. बड़ी हसरत से काँच की चूडियों की तरफ़ देख रही थी. मैंने कहा अपनी बहु के लिए ले लो अगर इतनी अच्छी लगती हैं..
बहुत ही मायूसी से बोली हमारी बहु ये सब कहाँ पहनती है. लेकिन उसे...