वहम
क्या कहूं पता नहीं,
अब तो भरोसा भी नहीं कि तू मेरी है,
शायद बस खेल रही होगी मेरे साथ,
जैसे सब खेलते है मेरे दिल से,
तूने भी शायद उस गंगा में हाथ धो लिए,
मै पागल हर किसी...
अब तो भरोसा भी नहीं कि तू मेरी है,
शायद बस खेल रही होगी मेरे साथ,
जैसे सब खेलते है मेरे दिल से,
तूने भी शायद उस गंगा में हाथ धो लिए,
मै पागल हर किसी...