गरीब की जिंदगी 🙂
इस संसार में कोई भी गरीब नहीं होना चाहता। गरीब होना इस महंगाई में एक अभिशाप हो गया है। नरक का दूसरा नाम गरीबी होता है। गरीब से सब लोग घृणा करते हैं। गरीब का साथ कोई नहीं देता है। गरीबों को अपने किसी भी कार्यक्रम में कोई नहीं बुलाता। लोग उसे ही बुलाते हैं जिसके पास सब भरा होता है। इस संसार में गरीबों का कोई नहीं है। और उन गरीबों को लोग उस गरीबी से बाहर आने का मौका भी नहीं देते। अच्छी-अच्छी स्कूलों में अगर गरीब माता-पिता अपने बच्चों को डालना चाहते हैं तो उन्हें दाखिला नहीं दिया जाता है। 100 में से किसी एक गरीब को अगर पढ़ने का मौका मिल जाए तो उसे घर का काम बाहर का भी काम करके स्कूल जाना पड़ता है। इतना सब कुछ दबाव होने पर भी गरीबों के बच्चे पढ़ाई में अच्छा करते हैं। दिन रात मेहनत करके कुछ गरीब अपने बच्चों की फीस भरते हैं। अपना पेट काट काट कर उनकी फीस जमा करते हैं। लेकिन फिर भी उन्हें संसार के भेदभाव को भी झेलना पड़ता है।लोग कहते है की गरीब लोग अपने कर्म से गरीब होते हैं।चलो माना की वो अपने कर्म से गरीब होते हैं।पर अब जब वो अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए मेहनत करके अपने बच्चो को पढ़ाना लिखाना चाहते हैं तो अच्छे विद्यालय में उन्हें दाखिला नहीं मिलता। अगर बहुत कह सुन के किसी स्कूल में दाखिला भी हो जाए तो उस विद्यालय के कार्यकर्ता उन बच्चो के साथ भेदभाव करते है उन्हें गन्दा समझते है पूरी क्लास में उनकी बेज्जती करते है।जिससे उस क्लास के बच्चे भी उन बच्चो के साथ भेदभाव करने लगते है।और यह सब देख के गरीब बच्चे भी अपने आप को नीचा समझने लगते है।एक बार एक राम नाम का लडका एक छोटे से गांव में अपने गरीब माता पिता के साथ रहता था।उसकी मां दूसरो के घरों में झाड़ू पोछा करती थी। उसके पिता एक कारखाने में काम करते थे। दोनो के दिन रात काम करने पर भी वो राम का अच्छे विद्यालय में दाखिला नहीं करवा पाते है। इसीलिए उसका दाखिला एक सरकारी स्कूल में केरवा देते हैं। राम एक मेहनती और ईमानदार लडका था। वह कभी भी अपनी परीक्षा में नकल नहीं करता था। फिर भी अपनी कक्षा में सबसे अच्छे अंक से पास होता था।जिससे उसके माता पिता उससे बहुत खुस रहते थे। लेकिन एक दिन उसके पिता से किसी ने कहा कि अगर जीवन में कुछ करना है तो अच्छे विद्यालय में पढ़ना पड़ता है।उसके पापा भी उसका नाम एक अच्छे विद्यालय में लिखवाना चाहते थे। लेकिन पैसे ना होने के कारण उसका दाखिला अच्छे विद्यालय में नहीं हो पा रहा था। फिर उसके पिता एक अच्छे स्कूल जिसका नाम सफायर था उसके प्रिंसिपल से मिलना चाहते थे और उनसे मिलकर या बताना चाहते थे कि वह अपने बच्चे का नाम उनके स्कूल में लिखवाना चाहते हैं तथा उनका बच्चा पढ़ने में बहुत अच्छा है। लेकिन वहां के एक अध्यापक ने उन्हें प्रिंसिपल से मिलने से साफ मना कर दिया और कहा कि हम अपने विद्यालय में गरीब बच्चों का दाखिला नहीं करेंगे। फिर वह बहुत निराश हो गया और घर वापस जाने लगा। रास्ते में उसे एक सवारी मिली और वह सवारी को अपने रिक्शे पर बैठाकर उसे उसकी जगह पर पहुंचाने गया। फिर उसे पहुंचा कर वह अपने घर वापस आ गया और अपने रिक्शे को एक जगह खड़ा करने लगा लेकिन तभी उसने देखा कि उसमें किसी का पर्स छूट गया है और उस पर्स में बहुत सारे पैसे थे।bउसने सोचा कि जाकर अभी उस पैसे को दे आते हैं लेकिन वह इंसान एक पार्टी में गया था और उसमें उसकी एंट्री नहीं हुई इसलिए वह घर वापस लौट आया। घर वापस आने पर उसकी पत्नी ने कहा कि यह भगवान के दिए हुए पैसे हैं इससे अपने बच्चे के स्कूल का ड्रेस ले लीजिए। और उस आदमी ने वैसा ही किया अपने बच्चे का ड्रेस लेने के बाद वह अपने बच्चे को सीधा स्कूल ले गया अपने बच्चों को उसने उस ड्रेस को पहना दिया तभी बारिश होने लगी तेज बारिश में वह दोनों वहीं गेट के बाहर खड़े रहे और प्रिंसिपल के आने का इंतजार करने लगे जैसे ही प्रिंसिपल की गाड़ी आने लगी तभी वह लोग उसके पास गए और शीशा खोलने को कहा जैसे ही शीशा खुला तो प्रिंसिपल ने पूछा कि आप लोग अभी तक अपने घर क्यों नहीं गए उसने कहा कि मेरे बच्चे का दाखिला अपने स्कूल में करवा लीजिए यह पढ़ने में बहुत अच्छा है। बहुत गिड़गिड़ाने के बाद वह प्रिंसिपल उसका दाखिला करने के लिए तैयार हो गई। और फिर दाखिला करने के लिए उसका इंटरव्यू हुआ इंटरव्यू में वह पास हो गया और सभी अध्यापक जिन्होंने उसका इंटरव्यू लिया था वह उसे बहुत बधाई दे रहे थे और कह रहे थे कि तुम बहुत अच्छा करोगे। जैसे तैसे करके उसके पापा ने उसका नाम विद्यालय में लिखवा दिया। उस विद्यालय के कई अध्यापकों ने उसका विरोध भी किया और उसे बहुत तंग भी किया लेकिन आगे चलकर बच्चे ने उस विद्यालय में टॉप किया। झूठ चोरी के जुल्म में कुछ अध्यापकों ने मिलकर उसके पिता को जेल करवा दिया। फिर उसकी फीस भरने के लिए कोई नहीं था। तभी उसके बारे में एक आईपीएस अफसर को पता चला और उस आईपीएस अफसर ने उसे ट्यूशन दिया और उसकी फीस भी भरी आगे चलकर जब उसने टॉप कर दिया तो उस अफसर का कुछ टीचरों ने मिलकर ट्रांसफर करवा दिया।गरीबी किसी भी व्यक्ति या इंसान के लिये अत्यधिक निर्धन होने की स्थिति है। ये एक ऐसी स्थिति है जब एक व्यक्ति को अपने जीवन में छत, जरुरी भोजन, कपड़े, दवाईयाँ आदि जैसी जीवन को जारी रखने के लिये महत्वपूर्ण चीजों की भी कमी लगने लगती है। निर्धनता के कारण हैं अत्यधिक जनसंख्या, जानलेवा और संक्रामक बीमारियाँ, प्राकृतिक आपदा, कम कृषि पैदावर, बेरोज़गारी, जातिवाद, अशिक्षा, लैंगिक असमानता, पर्यावरणीय समस्याएँ, देश में अर्थव्यवस्था की बदलती प्रवृति, अस्पृश्यता, लोगों का अपने अधिकारों तक कम या सीमित पहुँच, राजनीतिक हिंसा, प्रायोजित अपराध, भ्रष्टाचार, प्रोत्साहन की कमी, अकर्मण्यता, प्राचीन सामाजिक मान्यताएँ आदि गरीबी संसार के सबसे विकट समस्याओं में से एक है। गरीबी की यह समस्या हमारे जीवन को आर्थिक तथा सामाजिक दोनो ही रुप से प्रभावित करती है। गरीबी एक ऐसी समस्या है, जो हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करने का कार्य करती है।गरीबी का सबसे बड़ा कारण परिस्थिति नहीं बल्कि लोगों की गरीब सोच है। शिक्षा का अभाव, रोजगार का अभाव, अपंगता आदि गरीबी के अन्य कारण है।गरीबी एक ऐसी बीमारी है जो इंसान को हर तरीके से परेशान करती है। इसके कारण एक व्यक्ति का अच्छा जीवन, शारीरिक स्वास्थ्य, शिक्षा स्तर आदि जैसी सारी चीजें खराब हो जाती है। यही कारण है कि आज के समय में गरीबी को एक भयावह समस्या माना जाता है।ये बहुत जरुरी है कि एक सामान्य जीवन जीने के लिये, उचित शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, पूर्ण शिक्षा, हरेक के लिये घर, और दूसरी जरुरी चीजों को लाने के लिये देश और पूरे विश्व को साथ मिलकर कार्य करना होगा। गरीबी के अंत के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। सरकार को अवसर उपलब्ध कराना चाहिए और जनता को उस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
निष्कर्ष गरीबी से मुक्ति के लिए हमें शिक्षा और कौशल युक्त होना होगा। सरकार का यह दायित्व है की वह जनता को अवसर और योजनाए प्रदान करे , जिससे एक आम आदमी भी रोजगार प्राप्त कर सके।गरीबी एक ऐसी मानवीय परिस्थिति है जो हमारे जीवन में निराशा, दुख और दर्द लाती है। गरीबी पैसे की कमी है और जीवन को उचित तरीके से जीने के लिये सभी चीजों के कमी को प्रदर्शित करता है। गरीबी एक बच्चे को बचपन में स्कूल में दाखिला लेने में अक्षम बनाती है और वो एक दुखी परिवार में अपना बचपन बिताने या जीने को मजबूर होते हैं। निर्धनता और पैसों की कमी की वजह से लोग दो वक्त की रोटी, बच्चों के लिये किताबें नहीं जुटा पाने और बच्चों का सही तरीके से पालन-पोषण नहीं कर पाने के जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो जाते है।
हमलोग गरीबी को बहुत तरीके से परिभाषित कर सकते हैं। भारत में गरीबी देखना बहुत आम-सा हो गया है क्योंकि ज्यादातर लोग अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को भी नहीं पूरा कर सकते हैं। यहाँ पर जनसंख्या का एक विशाल भाग निरक्षर, भूखे और बिना कपड़ों और घर के जीने को मजबूर हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के कमजोर होने का यही मुख्य कारण है। निर्धनता के कारण लगभग भारत में आधी आबादी दर्द भरा जीवन जी रही है।गरीबी एक स्थिति उत्पन्न करती है जिसमें लोग पर्याप्त आय प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं इसलिये वो जरुरी चीजों को नहीं खरीद पाते हैं। एक निर्धन व्यक्ति अपने जीवन में मूल वस्तुओं के अधिकार के बिना जीता है जैसे दो वक्त का भोजन, स्व्च्छ जल, घर, कपड़े, उचित शिक्षा आदि। ये लोग जीने के न्यूनतम स्तर को भी बनाए रखने में विफल हो जाते हैं जैसे अस्तित्व के लिये जरुरी उपभोग और पोषण आदि।
भारत में निर्धनता के कई कारण हैं हालांकि राष्ट्रीय आय का गलत वितरण भी एक कारण है। कम आय वर्ग समूह के लोग उच्च आय वर्ग समूह के लोगों से बहुत ज्यादा गरीब होते हैं। गरीब परिवार के बच्चों को उचित शिक्षा, पोषण और खुशनुमा बचपन का माहौल कभी नसीब नहीं हो पाता है। निर्धनता का मुख्य कारण, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, अमीरी और गरीबी के बीच बढ़ती खाई आदि है।गरीबी मानव जीवन की वह समस्या है, जिसके कारण इससे ग्रसित व्यक्ति को अपने जीवन में मूलभूत सुविधाएं भी नही मिल पाती है। यही कारण है कि वर्तमान समय में गरीबी से निवारण के कई उपाय ढ़ूढे जा रहे है, ताकि विश्व भर के लोगों के जीवन स्तर को सुधारा जा सके।निर्धनता जीवन की खराब गुणवत्ता, अशिक्षा, कुपोषण, मूलभूत आवयश्यकताओं की कमी, निम्न मानव संसाधन विकास आदि को प्रदर्शित करता है। भारत में जैसे विकासशील देशों में निर्धनता एक प्रमुख समस्या है। ये एक ऐसा तथ्य है जिसमें समाज में एक वर्ग के लोग अपने जीवन की मूलभूत जरुरतों को भी पूरा नहीं कर सकते हैं।
पिछले पाँच वर्षों में गरीबी के स्तर में कुछ कमी दिखाई दी है। ये राज्य स्तर पर भी घटा है जैसे उड़ीसा में 47.15% से 48.56%, मध्य प्रदेश में 37.43% से 43.52%, उत्तर प्रदेश में 31.15% से 40.85% और पश्चिम बंगाल में 27.02% से 35.66% तक। हालांकि इसके बावजूद इस बात पर कोई विशेष खुशी या गर्व नही महसूस किया जा सकता है क्योंकि अभी भी भारत में लगभग 26 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करने को मजबूर है।
भारत में गरीबी कुछ प्रभावकारी कार्यक्रमों के प्रयोगों के द्वारा मिटायी जा सकती है, हालांकि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये केवल सरकार के द्वारा ही नहीं बल्कि सभी के समन्वित प्रयास की जरुरत है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, परिवार कल्याण, रोज़गार सृजन आदि जैसे मुख्य संघटकों के द्वारा गरीब सामाजिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिये भारत सरकार को कुछ असरकारी रणनीतियों को बनाना होगा।गरीबी के ये कुछ निम्न प्रभाव हैं जैसे:
निरक्षरता: पैसों की कमी के चलते उचित शिक्षा प्राप्त करने के लिये गरीबी लोगों को अक्षम बना देती है।
पोषण और संतुलित आहार: गरीबी के कारण संतुलित आहार और पर्याप्त पोषण की अपर्याप्त उपलब्धता ढ़ेर सारी खततरनाक और संक्रामक बीमारियाँ लेकर आती है।
बाल श्रम: ये बड़े स्तर पर अशिक्षा को जन्म देता है क्योंकि देश का भविष्य बहुत कम उम्र में ही बहुत ही कम कीमत पर बाल श्रम में शामिल हो जाता है।
बेरोज़गारी: गरीबी के वजह से बेरोजगारी भी उत्पन्न होती है, जोकि लोगो के सामान्य जीवन को प्रभावित करने का कार्य करता है। ये लोगों को अपनी इच्छा के विपरीत जीवन जीने को मजबूर करता है।
सामाजिक चिंता: अमीर और गरीब के बीच आय के भयंकर अंतर के कारण ये सामाजिक चिंता उत्पन्न करता है।
आवास की समस्या: फुटपाथ, सड़क के किनारे, दूसरी खुली जगहें, एक कमरे में एक-साथ कई लोगों का रहना आदि जीने के लिये ये बुरी परिस्थिति उत्पन्न करता है।
बीमारियां: विभिन्न संक्रामक बीमारियों को ये बढ़ाता है क्योंकि बिना पैसे के लोग उचित स्वच्छता और सफाई को बनाए नहीं रख सकते हैं। किसी भी बीमारी के उचित इलाज के लिये डॉक्टर के खर्च को भी वहन नहीं कर सकते हैं।
स्त्री संपन्नता में निर्धनता: लौंगिक असमानता के कारण महिलाओं के जीवन को बड़े स्तर पर प्रभावित करती है और वो उचित आहार, पोषण और दवा तथा उपचार सुविधा से वंचित रहती है।इस ग्रह पर मानवता की अच्छाई के लिये त्वरित आधार पर गरीबी की समस्या को सुलझाने के लिये ये बहुत जरुरी है। कुछ समाधान जो गरीबी की समस्या को सुलझाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं वो इस प्रकार है:
फायदेमंद बनाने के साथ ही अच्छी खेती के लिये किसानों को उचित और जरुरी सुविधा मिलनी चाहिये।
बालिग लोग जो अशिक्षित हैं को जीवन की बेहतरी के लिये जरुरी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।
हमेशा बढ़ रही जनसंख्या और इसी तरह से गरीबी को जाँचने के लिये लोगों के द्वारा परिवार नियोजन का अनुसरण करना चाहिये।
गरीबी को मिटाने के लिये पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार का खात्मा करना चाहिये।
हरेक बच्चों को स्कूल जाना चाहिये और पूरी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिये।
रोजगार के रास्ते होने चाहिये जहाँ सभी वर्गों के लोग एक साथ कार्य कर सकें।
निष्कर्ष गरीबी से मुक्ति के लिए हमें शिक्षा और कौशल युक्त होना होगा। सरकार का यह दायित्व है की वह जनता को अवसर और योजनाए प्रदान करे , जिससे एक आम आदमी भी रोजगार प्राप्त कर सके।गरीबी एक ऐसी मानवीय परिस्थिति है जो हमारे जीवन में निराशा, दुख और दर्द लाती है। गरीबी पैसे की कमी है और जीवन को उचित तरीके से जीने के लिये सभी चीजों के कमी को प्रदर्शित करता है। गरीबी एक बच्चे को बचपन में स्कूल में दाखिला लेने में अक्षम बनाती है और वो एक दुखी परिवार में अपना बचपन बिताने या जीने को मजबूर होते हैं। निर्धनता और पैसों की कमी की वजह से लोग दो वक्त की रोटी, बच्चों के लिये किताबें नहीं जुटा पाने और बच्चों का सही तरीके से पालन-पोषण नहीं कर पाने के जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो जाते है।
हमलोग गरीबी को बहुत तरीके से परिभाषित कर सकते हैं। भारत में गरीबी देखना बहुत आम-सा हो गया है क्योंकि ज्यादातर लोग अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को भी नहीं पूरा कर सकते हैं। यहाँ पर जनसंख्या का एक विशाल भाग निरक्षर, भूखे और बिना कपड़ों और घर के जीने को मजबूर हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के कमजोर होने का यही मुख्य कारण है। निर्धनता के कारण लगभग भारत में आधी आबादी दर्द भरा जीवन जी रही है।गरीबी एक स्थिति उत्पन्न करती है जिसमें लोग पर्याप्त आय प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं इसलिये वो जरुरी चीजों को नहीं खरीद पाते हैं। एक निर्धन व्यक्ति अपने जीवन में मूल वस्तुओं के अधिकार के बिना जीता है जैसे दो वक्त का भोजन, स्व्च्छ जल, घर, कपड़े, उचित शिक्षा आदि। ये लोग जीने के न्यूनतम स्तर को भी बनाए रखने में विफल हो जाते हैं जैसे अस्तित्व के लिये जरुरी उपभोग और पोषण आदि।
भारत में निर्धनता के कई कारण हैं हालांकि राष्ट्रीय आय का गलत वितरण भी एक कारण है। कम आय वर्ग समूह के लोग उच्च आय वर्ग समूह के लोगों से बहुत ज्यादा गरीब होते हैं। गरीब परिवार के बच्चों को उचित शिक्षा, पोषण और खुशनुमा बचपन का माहौल कभी नसीब नहीं हो पाता है। निर्धनता का मुख्य कारण, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, अमीरी और गरीबी के बीच बढ़ती खाई आदि है।गरीबी मानव जीवन की वह समस्या है, जिसके कारण इससे ग्रसित व्यक्ति को अपने जीवन में मूलभूत सुविधाएं भी नही मिल पाती है। यही कारण है कि वर्तमान समय में गरीबी से निवारण के कई उपाय ढ़ूढे जा रहे है, ताकि विश्व भर के लोगों के जीवन स्तर को सुधारा जा सके।निर्धनता जीवन की खराब गुणवत्ता, अशिक्षा, कुपोषण, मूलभूत आवयश्यकताओं की कमी, निम्न मानव संसाधन विकास आदि को प्रदर्शित करता है। भारत में जैसे विकासशील देशों में निर्धनता एक प्रमुख समस्या है। ये एक ऐसा तथ्य है जिसमें समाज में एक वर्ग के लोग अपने जीवन की मूलभूत जरुरतों को भी पूरा नहीं कर सकते हैं।
पिछले पाँच वर्षों में गरीबी के स्तर में कुछ कमी दिखाई दी है। ये राज्य स्तर पर भी घटा है जैसे उड़ीसा में 47.15% से 48.56%, मध्य प्रदेश में 37.43% से 43.52%, उत्तर प्रदेश में 31.15% से 40.85% और पश्चिम बंगाल में 27.02% से 35.66% तक। हालांकि इसके बावजूद इस बात पर कोई विशेष खुशी या गर्व नही महसूस किया जा सकता है क्योंकि अभी भी भारत में लगभग 26 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करने को मजबूर है।
भारत में गरीबी कुछ प्रभावकारी कार्यक्रमों के प्रयोगों के द्वारा मिटायी जा सकती है, हालांकि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये केवल सरकार के द्वारा ही नहीं बल्कि सभी के समन्वित प्रयास की जरुरत है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, परिवार कल्याण, रोज़गार सृजन आदि जैसे मुख्य संघटकों के द्वारा गरीब सामाजिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिये भारत सरकार को कुछ असरकारी रणनीतियों को बनाना होगा।गरीबी के ये कुछ निम्न प्रभाव हैं जैसे:
निरक्षरता: पैसों की कमी के चलते उचित शिक्षा प्राप्त करने के लिये गरीबी लोगों को अक्षम बना देती है।
पोषण और संतुलित आहार: गरीबी के कारण संतुलित आहार और पर्याप्त पोषण की अपर्याप्त उपलब्धता ढ़ेर सारी खततरनाक और संक्रामक बीमारियाँ लेकर आती है।
बाल श्रम: ये बड़े स्तर पर अशिक्षा को जन्म देता है क्योंकि देश का भविष्य बहुत कम उम्र में ही बहुत ही कम कीमत पर बाल श्रम में शामिल हो जाता है।
बेरोज़गारी: गरीबी के वजह से बेरोजगारी भी उत्पन्न होती है, जोकि लोगो के सामान्य जीवन को प्रभावित करने का कार्य करता है। ये लोगों को अपनी इच्छा के विपरीत जीवन जीने को मजबूर करता है।
सामाजिक चिंता: अमीर और गरीब के बीच आय के भयंकर अंतर के कारण ये सामाजिक चिंता उत्पन्न करता है।
आवास की समस्या: फुटपाथ, सड़क के किनारे, दूसरी खुली जगहें, एक कमरे में एक-साथ कई लोगों का रहना आदि जीने के लिये ये बुरी परिस्थिति उत्पन्न करता है।
बीमारियां: विभिन्न संक्रामक बीमारियों को ये बढ़ाता है क्योंकि बिना पैसे के लोग उचित स्वच्छता और सफाई को बनाए नहीं रख सकते हैं। किसी भी बीमारी के उचित इलाज के लिये डॉक्टर के खर्च को भी वहन नहीं कर सकते हैं।
स्त्री संपन्नता में निर्धनता: लौंगिक असमानता के कारण महिलाओं के जीवन को बड़े स्तर पर प्रभावित करती है और वो उचित आहार, पोषण और दवा तथा उपचार सुविधा से वंचित रहती है।इस ग्रह पर मानवता की अच्छाई के लिये त्वरित आधार पर गरीबी की समस्या को सुलझाने के लिये ये बहुत जरुरी है। कुछ समाधान जो गरीबी की समस्या को सुलझाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं वो इस प्रकार है:
फायदेमंद बनाने के साथ ही अच्छी खेती के लिये किसानों को उचित और जरुरी सुविधा मिलनी चाहिये।
बालिग लोग जो अशिक्षित हैं को जीवन की बेहतरी के लिये जरुरी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।
हमेशा बढ़ रही जनसंख्या और इसी तरह से गरीबी को जाँचने के लिये लोगों के द्वारा परिवार नियोजन का अनुसरण करना चाहिये।
गरीबी को मिटाने के लिये पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार का खात्मा करना चाहिये।
हरेक बच्चों को स्कूल जाना चाहिये और पूरी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिये।
रोजगार के रास्ते होने चाहिये जहाँ सभी वर्गों के लोग एक साथ कार्य कर सकें।