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अनसुने किस्से (लोटा और गिलास )
🏺कभी भी गिलास में पानी ना पियें,

जानिए लोटे और गिलास के पानी में अंतर

⚱भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है,

ये गिलास जो है विदेशी है. गिलास भारत का नही है.

गिलास यूरोप से आया. और यूरोप में पुर्तगाल से आया था.

ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना (भारत का) नहीं हैं।

अपना लोटा है. और लोटा कभी भी एकरेखीय नही होता.

वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं.
इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता.

लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है.

इस पोस्ट में हम गिलास और लोटे के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.

फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही गुण उसमें आते है.

पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं. जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं.

दही में मिला दो तो छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा. दूध में मिलाया तो दूध का गुण.

लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा.

और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का सरफेस टेंशन कम रहता...