...

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नारी कोई वस्तु नही
नारी वो शब्दो का आगाज है
जिससे सृष्टि का होता निर्माण है।
नारी कोई वस्तु नही न ही उसे बेचने का किसी को अधिकार है
नारी ही एक पुरुष को पूरक बनाती है
पूरे समाज का पोषण करती हैं लेकिन ये समाज फिर भी
नारी का शोषण करता है
तो कभी अपनी झूठी मान प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए
नारी को विजय चिन्ह बनाकर किसी और को सौप देना कहा का न्याय है
तो कही खेल के नाम पर जुए में दाव पर लगा देना कहा
का इंसाफ है
एक नारी को बोझ समझकर ही मां के गर्भ में ही मार देना कोन सी वीरता का प्रमाण है
कम आयु में विवाह कराके उस नारी से उसकी स्वतंत्रता छीनकर शिक्षा से वंचित कर देना जिम्मेदारियों का भार
डाल देना कोन सा धर्म का काम है
नारियों को कम आंकने बालो नारियों के सम्मान पर कुठारघात करने वालो अब भूल जाओ नारी को अपने
अधीन करना क्योंकि नारी अब अपने आप में सक्षम और सशक्त और सम्पन्न है।।
© Mamta