घरौंदा
"तुमसे माफ़ी मांगनी चाहिए अपनी गलती के लिए जो शायद तुम्हारी बात को सबसे पहले रखने में हो जाती है, हमने इन दिनों में ही बहुत कुछ एक से आधा/आधा बांटा, ..सुख, दुःख, सोच, खुशी, गम, गुस्सा, ज़िंदगी का गुजरा हिस्सा, आज और आने वाला कल उम्मीद के साथ बांटा, हम दोनों में से जो जिसको जितना जान पाया उतने में ही अपने आप को जोड़ कर गुणा करता रहा, जो हम नहीं जान पाए थे एक दूजे के बारे में अब तक ज़िन्दगी में उसी मौके ने घटाने की कोशिश की, मैं कभी नहीं मिटाता कुछ भी, अब तक अकेला खुद से क्या क्या मिटा सका, जब देखा कि लहरें मेरे साहिल पर बना एक छोटा सा घरोंदा ही बहा देंगी तो फिर उन लहरों की तरफ़ ही घरोंदे के टुकड़े हवाले कर दिए, क्या करता, तूफ़ान मिन्नतें नहीं सुनते,
खास तौर पर नदी के किनारे आने वाले, सबसे पहली लहर साहिल पे बनीं इमारत से ही टकराती है, मेरी तो बनी ही उसी नदी की मिट्टी से थी, इसलिए खुद ने ही लहरों के हवाले कर दिए "
@अज़ीज़निखिल
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खास तौर पर नदी के किनारे आने वाले, सबसे पहली लहर साहिल पे बनीं इमारत से ही टकराती है, मेरी तो बनी ही उसी नदी की मिट्टी से थी, इसलिए खुद ने ही लहरों के हवाले कर दिए "
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