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किमियागर भाग 1(b)
पिछला नहीं पढा तो ये समझ नहीं आएगा..
"बेटा, तमाम दुनिया के लोग इस गाँव से होकर गुज़रे हैं,” उसके पिता ने कहा। "वे नयी चीज़ों की खोज में आते हैं, लेकिन जब वे यहाँ से जा रहे होते हैं तो वे वैस-के-वैसे बने रहते हैं जैसे पहले थे। वे क़िले को देखने पहाड़ पर चढ़ते हैं, और वे अन्त में यही सोचते हैं कि गुज़रा ज़माना आज के ज़माने से बेहतर था। भले ही उनके बाल भूरे हों, या चमड़ी काली हो, लेकिन वे बुनियादी तौर पर होते वैसे ही हैं जैसे यहाँ के लोग हैं।"

लेकिन मैं क़स्बों में जाकर वहाँ के वे क़िले देखना चाहता हूँ, जिनमें लोग रहते हैं, लड़के ने समझाया।

"वे लोग जब हमारे गाँव देखते हैं, तो कहते हैं कि वे यहाँ हमेशा के लिए बस जाना चाहते हैं, उसके पिता ने अपनी बात जारी रखी।

"ठीक है, मैं भी उनके मुल्क देखूँगा, और देखूँगा कि वे किस तरह रहते हैं, बेटे ने कहा।

"जो लोग यहाँ आते हैं, उनके पास ढेर सारा पैसा होता है, इसलिए वे यात्रा कर पाते हैं," उसके पिता ने कहा। "हमारे बीच तो सिर्फ़ वही लोग यात्राएँ करते हैं जो गड़रिये होते हैं।"

"तो ठीक है, मैं गड़रिया ही बनूँगा!"

उसके पिता ने फिर कुछ नहीं कहा। अगले दिन उसने बेटे के लिए एक बटुआ दिया जिसमें सोने के तीन प्राचीन स्पेनिश सिक्के थे।

"ये सिक्के मुझे एक दिन खेत में मिले थे। मैं चाहता था कि ये तुम्हें विरासत में मिलते। लेकिन अब तुम इनसे अपनी भेड़ें खरीदना। जाओ चारागाहों में, लेकिन एक दिन आएगा जब तुम्हें समझ में आएगा कि हमारे गाँव से अच्छी...