तुम नहीं हो,फिर भी तुम हो जैसे कहीं
यूं तो जानती हूं कि तुम मुझसे और मेरी जिंदगी से दूर बहुत दूर जा चुके हो पर फिर भी ऐसा क्यूं है?
कोई करीब आने की कोशिश करता है दोस्ती का हाथ बढ़ता है तो मन बहुत जोर लगता कर उसे दूर धकेल देता है।
ये नही तैयार आज भी किसी से दोस्ती तक करने को।
जानते हो सबके बाद भी तुमसे नहीं कर पाई कभी नफ़रत हाला की चाहा बहुत की करूं ।नफ़रत के सहारे ही तुम्हे, तुम्हारी यादों को खुद से दूर कर...
कोई करीब आने की कोशिश करता है दोस्ती का हाथ बढ़ता है तो मन बहुत जोर लगता कर उसे दूर धकेल देता है।
ये नही तैयार आज भी किसी से दोस्ती तक करने को।
जानते हो सबके बाद भी तुमसे नहीं कर पाई कभी नफ़रत हाला की चाहा बहुत की करूं ।नफ़रत के सहारे ही तुम्हे, तुम्हारी यादों को खुद से दूर कर...