रोहिणी की एक आशा भरा पल
मेरे जीवन का वह एक घटना जो मेरे शरीर के अंग–अंग से सोचने के लिए मजबूर हो जाता हूं ।जब उस घर को पहुंचता हूं जहां मैने सोचा भी नहीं था कि हमे इस प्रकार की घटनाओं से भिज्ञ होना पड़ेगा। बात 23 सितम्बर 2021 की हैं जब मैं खुद को कई विचारो में डूबा हुआ पाता था। रोहिणी और उसके परिवार दिनों दिन निकल जाते थे। दो वक्त की रोटी के लिए इस मर्मज्ञ जीवन को जीने के लिए उनके भी बच्चे भी पढ़ना चाहते हैं। लेकिन हमारे देश का प्रणाली उनके लिए विचार करे तब तो जाए उनके बच्चे अपने जीवन की कुछ पहलुओं को जीने के लिए उनका भी सपना है कि वे अपने इस काम से विदा ले ले । रोहिणी का काम नमक के खेती करना था जो उनके पुरखे किया...