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साहसी लड़की
एक समय की बात है जहां गाँव में शालिनी नाम की लड़की रहती, उसके साहसी के चर्चे पुरे गाँव में थे. वो एक गरीब घर की बेटी थी, जिसके घर की स्थिति अत्यंत दयनीय थी पिता जी लोहार थे. वो जैसे तैसे कर के घर चलाया करते थे. लेकिन बेटी को बहुत प्यार करते एवं कोई चीज़ की कमी नहीं होने देते थे, शालिनी को पढ़ने का सौख था लेकिन विद्यालय तो गाँव से मिलो दूर, नदी पार कर जाना पड़ता था.
फिर भी पिताजी ने शालिनी का दाखिला करा दीया वो रोज स्कूल जाया करती और आया करती, उसके सहपाठी उसकी ड्रेस एवं कपड़ों को देख कर मज़ाक उड़ाया करते थे, उसे अंग्रेजी भी बोलनी नहीं आती थी, फिर भी शालिनी मुस्कुराते रहती, और बातों को टाल देती केवल पढ़ाई पर ध्यान देती.

एक दिन वाक्य यह हुआ की बच्चे आपस में खेलते खेलते नदी के किनारे फिसलन की वजह से दो बच्चे नदी में गिर गए, तो उसने देखा की सहायता करने की वजह सब मुकदर्सन बन सहपाठियों के डूबने का इंतज़ार कर रहे है. तभी शालिनी अपनी जान की परवाह किए बिना ही नदी में कूद जाती है और दोनों सहपाठियों को बचा लेती है.

तब सब लोग मिलकर बाहर निकालने के लिए आते है. तब सब खड़े इंसान एवं स्कूल के बच्चे शालिनी की साहस के लिए तालियों से उसका अभिनन्दन करते है.

दूसरे दिन शालिनी के जाबाज कारनामे का पता चलने पर उसे स्कालरशिप एवं पुरे समारोह में उसे साहसी पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है..सभी शिक्षक शालिनी की प्रशंसा करते नहीं
थकते नहीं थे. विद्यालय के सभी बच्चे शालिनी के मित्र बन जाते हो और उसको पढ़ने में मदद करते हैं.

इस तरह से शालिनी ने अपने साहसी का प्रदर्शन किया एवं सबके दिलो में अपनी एक जगह बना ली.
© Paswan@girl