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जिंदगी के रास्ते
मानव जीवन समस्त सजीव प्राणी मे एक मात्र ऐसा है जिसको परमात्म मे बुद्धिजीवी बनाया है मानव अपनी इच्छा और अभिलाषा की प्राप्ति हेतु सदैव कर्म करता है अपनी अभिलाष को पूरा करने के लिए वह जिस मार्ग का चयन करता है वह उसकी मानसिकता पर आधारित होती है व्यक्ति की मानसिकता ही उसे धर्म और अधर्म के रास्तों को चयन करने में सहायता करती है जब यही मानसिकता और अभिलाष को और चारों तरफ से नकारात्मक शक्तियां घेर लेती है तो व्यक्ति बहुत से ऐसे कर्म करता है जो उसके स्वयं की नजरों में एक अपराध होता है लेकिन नकारात्मकता से हम इतना घिर जाते हैं न चाहते हुए भी अपनी नजरों से गिर जाते हैं हमें ज्ञात भी नहीं होता हम अधर्म के रास्ते पर चला करते हैं एक वक्त जिंदगी में ऐसा आता है सारी अभिलाषा खुद में सिमट सा जाता है न कुछ पाने की तम्मना होती है वही वक्त जिंदगी को एक नई उम्मीद देती है एक नई पहचान पाने को खुद को संभालने पाने को