सुखद सुहागरात की कहानी p2
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सुबह जब मैं उठी, तो मेरी जांघों में तेज दर्द था और चूत में भी दर्द का अहसास हो रहा था। लेकिन इसके बावजूद, मेरी चूत की आग बुझी नहीं थी। यह रात हमारे लिए बेहद खास और यादगार थी, और मैं उस आनंद को फिर से महसूस करना चाहती थी। रवि भी पूरी तरह से तैयार था और वह भी इस खुशी को और बढ़ाना चाहता था।
रवि ने जब देखा कि मैं जाग चुकी हूँ, उसने प्यार भरी मुस्कान के साथ mujhe banhon main bhara aur मुझे गले लगाया। उसकी छूने से ही मेरे शरीर में फिर से वही उत्तेजना की लहर दौड़ गई। उसने धीरे-धीरे मेरे चेहरे को चूमा और फिर मेरे होंठों पर गहरा चुंबन लिया। उसकी गर्म सांसें मेरी त्वचा पर महसूस हो रही थीं और मेरा दिल फिर से तेज धड़कने लगा।
रवि ने मुझे बिस्तर पर धीरे-धीरे लिटाया और मेरे शरीर को फिर से अपने हाथों से प्यार करना शुरू किया। उसने मेरे स्तनों को चूमा और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसकी हर छुअन से मेरी उत्तेजना और बढ़ रही थी। मैंने भी अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ा और उसे हल्के-हल्के से शलाना शुरू किया। उसका लंड फिर से बड़ा और कड़क हो गया था।
रवि ने धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी चूत के पास लाकर अंदर डालना शुरू किया। उसकी हर धक्का मुझे और भी आनंदित कर रहा था। उसने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाई और मेरी चूत में धक्के मारता रहा। उसकी हर हरकत से मेरे शरीर में एक नई ऊर्जा आ रही थी और मैं उसके साथ इस आनंद की चरम सीमा तक पहुंच रही थी।
हम दोनों ने सुबह 10 बजे तक एक-दूसरे के साथ प्यार और वासना में डूबकर बिताया। रवि ने मुझे कई बार चोदा और हर बार मेरा पानी निकाला। उसकी हर धक्का और हर स्पर्श से मुझे असीम आनंद मिल रहा था।
सुबह की रोशनी और हमारे प्यार की गर्मी ने उस कमरे को और भी खूबसूरत बना दिया था।
हम एक-दूसरे की बाँहों में प्यार कर रहे थे, हमारे शरीर एक-दूसरे के साथ मिलकर अद्भुत आनंद का अनुभव कर रहे थे। तभी अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। मेरे देवर ने दरवाजा खटखटाया। मैं तुरंत चौंक गई और नंगी ही चादर में छुप गई। रवि ने दरवाजा खोला और अपने छोटे भाई से बात करने लगा।
रवि ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह सीधे बेडरूम के अंदर आ गया। वह मुझसे मिलना चाहता था, उसकी उम्र 19 वर्ष थी और वह काफी उत्सुक था। उसकी नजरें मेरे ऊपर पड़ीं, जो चादर में लिपटी हुई थी। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे थोड़ी असहज कर रही थी।
रवि ने उसे समझाने की कोशिश की, "अभी नहीं, तुम्हें बाद में मिलवा दूंगा। अभी हम दोनों आराम कर रहे हैं।" लेकिन वह जिद पर अड़ा हुआ था। उसने कहा, "भाभी से अभी मिलना है।
मैं चुपचाप चादर में लिपटी हुई थी और रवि की ओर देख रही थी। रवि ने उसे बाहर ले जाने की कोशिश की, लेकिन वह बार-बार मुझसे बात करने की जिद कर रहा था। मेरी स्थिति थोड़ी अजीब हो गई थी, लेकिन मैं समझ गई कि उसे समझाना जरूरी था।
मैंने धीरे से कहा, "रवि, उसे अंदर आने दो। शायद वो कुछ जरूरी बात करना चाहता है।" रवि ने थोड़ी झिझक के साथ उसे अंदर आने दिया। वह मेरे पास आकर बैठ गया और अपनी आंखों से मुझसे माफी मांगने का इशारा किया।
मैंने उसे शांत करने की कोशिश की, "कोई बात नहीं, uski baaton se aisa lag raha tha vo galat samay aa gaya hai. aur usne galat jagah kadam rakha hai. mano vo andar Ane ke baad pchta Raha hai. उसकी बातें सुनकर मुझे उसकी मासूमियत का एहसास हुआ और मैंने उसकी स्थिति को समझा। lekin vo, Jaise chadar main kuch Khoj Raha tha.
रवि ने स्थिति को संभालते हुए उसे जल्दी से बाहर भेज दिया और दरवाजा बंद कर दिया। उसने मेरी ओर देखा और मुस्कुराया, "चलो, अब कोई परेशानी नहीं है।" Maine Ravi ko batya Ravi ab bus karte hain nahi to phir se koi aa jayega. Hum dono ek dusare ko chumte hue. thoda. fresh hue.
मेरा जीवन मजे में चल रहा था। एक दिन मैं, रवि और मेरा देवर राकेश, तीनों हंसी-मजाक कर रहे थे। मैंने मजाक में कहा, "राकेश, तुमने मुझे शादी में कोई गिफ्ट नहीं दिया।"
राकेश ने हंसते हुए कहा, "अरे भाभी, गिफ्ट तो मैं देने वाला था, पर मैंने सोचा कि पता नहीं तुम्हें पसंद आएगा या नहीं।"
मैंने हंसते हुए कहा, "मुझे राकेश का छोटा-बड़ा सब गिफ्ट पसंद आएगा।"
राकेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, कल कॉलेज से आने के बाद मैं तुम्हें गिफ्ट दे दूंगा।"
अगले दिन जब राकेश कॉलेज से आया, तो मैंने उससे लंच करने के बाद फिर से गिफ्ट के बारे में पूछा। उसने मुझे एक मोबाइल फोन दिया। मैंने उसे धन्यवाद कहा और उसका हाथ पकड़कर कहा, "ये तो बहुत महंगा है। इसकी क्या जरूरत थी?"
उसने कहा, "नंदिनी भाभी, आपके लिए कुछ भी।"
फिर उसने थोड़ा संकोच करते हुए कहा, "नंदिनी भाभी, इसमें आपके लिए कुछ वीडियो हैं, उन्हें आप अकेले में देखना, रवि को मत दिखाना।" उसने मुझसे अकेले देखने की कसमें भी लीं और मेरा हाथ अपने सिर पर रख दिया।
पहले तो मैं हिचकिचाई, लेकिन फिर मैंने उसकी बात मानकर कसमें खा लीं। रात्रि को जब मैं अकेली थी, मैंने वह मोबाइल खोला और वीडियो देखने लगी। लेकिन उसमें ऐसा कुछ भी नहीं था जो अकेले देखने लायक हो। उसमें केवल एक फिल्म का मजेदार क्लिप था। आखिरी में एक मैसेज आया: "अप्रैल फूल!"
जब मेरी नजर कैलेंडर पर गई, तो देखा कि आज पहली अप्रैल थी। मेरी जिज्ञासा और बढ़ गई थी।
अगले दिन, मैंने राकेश से कहा, "राकेश, तुमने मुझे खूब फूल बनाया।"
उसने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरा मजाक कैसा लगा, भाभी?"
मैंने भी हंसते हुए कहा, "बहुत अच्छा.
lekin उसकी मासूमियत और उसके प्रति मेरे मन में उठती जिज्ञासा ने मुझे एक नए एहसास aur curiosity से भर दिया। main soch rahi thi sayad uske dimag main mere liye kuch chal raha hai.
to be continued
सुबह जब मैं उठी, तो मेरी जांघों में तेज दर्द था और चूत में भी दर्द का अहसास हो रहा था। लेकिन इसके बावजूद, मेरी चूत की आग बुझी नहीं थी। यह रात हमारे लिए बेहद खास और यादगार थी, और मैं उस आनंद को फिर से महसूस करना चाहती थी। रवि भी पूरी तरह से तैयार था और वह भी इस खुशी को और बढ़ाना चाहता था।
रवि ने जब देखा कि मैं जाग चुकी हूँ, उसने प्यार भरी मुस्कान के साथ mujhe banhon main bhara aur मुझे गले लगाया। उसकी छूने से ही मेरे शरीर में फिर से वही उत्तेजना की लहर दौड़ गई। उसने धीरे-धीरे मेरे चेहरे को चूमा और फिर मेरे होंठों पर गहरा चुंबन लिया। उसकी गर्म सांसें मेरी त्वचा पर महसूस हो रही थीं और मेरा दिल फिर से तेज धड़कने लगा।
रवि ने मुझे बिस्तर पर धीरे-धीरे लिटाया और मेरे शरीर को फिर से अपने हाथों से प्यार करना शुरू किया। उसने मेरे स्तनों को चूमा और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसकी हर छुअन से मेरी उत्तेजना और बढ़ रही थी। मैंने भी अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ा और उसे हल्के-हल्के से शलाना शुरू किया। उसका लंड फिर से बड़ा और कड़क हो गया था।
रवि ने धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी चूत के पास लाकर अंदर डालना शुरू किया। उसकी हर धक्का मुझे और भी आनंदित कर रहा था। उसने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाई और मेरी चूत में धक्के मारता रहा। उसकी हर हरकत से मेरे शरीर में एक नई ऊर्जा आ रही थी और मैं उसके साथ इस आनंद की चरम सीमा तक पहुंच रही थी।
हम दोनों ने सुबह 10 बजे तक एक-दूसरे के साथ प्यार और वासना में डूबकर बिताया। रवि ने मुझे कई बार चोदा और हर बार मेरा पानी निकाला। उसकी हर धक्का और हर स्पर्श से मुझे असीम आनंद मिल रहा था।
सुबह की रोशनी और हमारे प्यार की गर्मी ने उस कमरे को और भी खूबसूरत बना दिया था।
हम एक-दूसरे की बाँहों में प्यार कर रहे थे, हमारे शरीर एक-दूसरे के साथ मिलकर अद्भुत आनंद का अनुभव कर रहे थे। तभी अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। मेरे देवर ने दरवाजा खटखटाया। मैं तुरंत चौंक गई और नंगी ही चादर में छुप गई। रवि ने दरवाजा खोला और अपने छोटे भाई से बात करने लगा।
रवि ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह सीधे बेडरूम के अंदर आ गया। वह मुझसे मिलना चाहता था, उसकी उम्र 19 वर्ष थी और वह काफी उत्सुक था। उसकी नजरें मेरे ऊपर पड़ीं, जो चादर में लिपटी हुई थी। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे थोड़ी असहज कर रही थी।
रवि ने उसे समझाने की कोशिश की, "अभी नहीं, तुम्हें बाद में मिलवा दूंगा। अभी हम दोनों आराम कर रहे हैं।" लेकिन वह जिद पर अड़ा हुआ था। उसने कहा, "भाभी से अभी मिलना है।
मैं चुपचाप चादर में लिपटी हुई थी और रवि की ओर देख रही थी। रवि ने उसे बाहर ले जाने की कोशिश की, लेकिन वह बार-बार मुझसे बात करने की जिद कर रहा था। मेरी स्थिति थोड़ी अजीब हो गई थी, लेकिन मैं समझ गई कि उसे समझाना जरूरी था।
मैंने धीरे से कहा, "रवि, उसे अंदर आने दो। शायद वो कुछ जरूरी बात करना चाहता है।" रवि ने थोड़ी झिझक के साथ उसे अंदर आने दिया। वह मेरे पास आकर बैठ गया और अपनी आंखों से मुझसे माफी मांगने का इशारा किया।
मैंने उसे शांत करने की कोशिश की, "कोई बात नहीं, uski baaton se aisa lag raha tha vo galat samay aa gaya hai. aur usne galat jagah kadam rakha hai. mano vo andar Ane ke baad pchta Raha hai. उसकी बातें सुनकर मुझे उसकी मासूमियत का एहसास हुआ और मैंने उसकी स्थिति को समझा। lekin vo, Jaise chadar main kuch Khoj Raha tha.
रवि ने स्थिति को संभालते हुए उसे जल्दी से बाहर भेज दिया और दरवाजा बंद कर दिया। उसने मेरी ओर देखा और मुस्कुराया, "चलो, अब कोई परेशानी नहीं है।" Maine Ravi ko batya Ravi ab bus karte hain nahi to phir se koi aa jayega. Hum dono ek dusare ko chumte hue. thoda. fresh hue.
मेरा जीवन मजे में चल रहा था। एक दिन मैं, रवि और मेरा देवर राकेश, तीनों हंसी-मजाक कर रहे थे। मैंने मजाक में कहा, "राकेश, तुमने मुझे शादी में कोई गिफ्ट नहीं दिया।"
राकेश ने हंसते हुए कहा, "अरे भाभी, गिफ्ट तो मैं देने वाला था, पर मैंने सोचा कि पता नहीं तुम्हें पसंद आएगा या नहीं।"
मैंने हंसते हुए कहा, "मुझे राकेश का छोटा-बड़ा सब गिफ्ट पसंद आएगा।"
राकेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, कल कॉलेज से आने के बाद मैं तुम्हें गिफ्ट दे दूंगा।"
अगले दिन जब राकेश कॉलेज से आया, तो मैंने उससे लंच करने के बाद फिर से गिफ्ट के बारे में पूछा। उसने मुझे एक मोबाइल फोन दिया। मैंने उसे धन्यवाद कहा और उसका हाथ पकड़कर कहा, "ये तो बहुत महंगा है। इसकी क्या जरूरत थी?"
उसने कहा, "नंदिनी भाभी, आपके लिए कुछ भी।"
फिर उसने थोड़ा संकोच करते हुए कहा, "नंदिनी भाभी, इसमें आपके लिए कुछ वीडियो हैं, उन्हें आप अकेले में देखना, रवि को मत दिखाना।" उसने मुझसे अकेले देखने की कसमें भी लीं और मेरा हाथ अपने सिर पर रख दिया।
पहले तो मैं हिचकिचाई, लेकिन फिर मैंने उसकी बात मानकर कसमें खा लीं। रात्रि को जब मैं अकेली थी, मैंने वह मोबाइल खोला और वीडियो देखने लगी। लेकिन उसमें ऐसा कुछ भी नहीं था जो अकेले देखने लायक हो। उसमें केवल एक फिल्म का मजेदार क्लिप था। आखिरी में एक मैसेज आया: "अप्रैल फूल!"
जब मेरी नजर कैलेंडर पर गई, तो देखा कि आज पहली अप्रैल थी। मेरी जिज्ञासा और बढ़ गई थी।
अगले दिन, मैंने राकेश से कहा, "राकेश, तुमने मुझे खूब फूल बनाया।"
उसने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरा मजाक कैसा लगा, भाभी?"
मैंने भी हंसते हुए कहा, "बहुत अच्छा.
lekin उसकी मासूमियत और उसके प्रति मेरे मन में उठती जिज्ञासा ने मुझे एक नए एहसास aur curiosity से भर दिया। main soch rahi thi sayad uske dimag main mere liye kuch chal raha hai.
to be continued