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बिछोह
"बिछोह"
बिछोह" मतलब,वियोग बिछड़ना उनसे जिनसे हम मरते दम तक नहीं बिछड़ना चाहते मगर, नसीब में लिखा होता हैं "बिछोह"...!!
और होता हैं वो मृत्यु सम कष्ट कारी, ना जिया जाए और ना ही मौत आए..।यहां "बिछोह" के असहनीय दर्द को महसूस किया गया है उम्मीद है किसी की भी भावनाएं आहत नही हो..! 🙏

"बिछोह"
अमर की तस्वीर के सामने बैठी हुई भावना सिसकियां ले रही थी,उसका कोमल मन मानने को तैयार ही नहीं है कि अब अमर इस दुनिया में नहीं..! माने भी तो आख़िर कैसे..? सात जन्मों तक साथ निभाने वाला महज़ सात महीनों में साथ छोड़ कर चला गया..!!अभी तो... अभी तो भावना की आंँखों ने वैवाहिक जीवन के सारे सपने भी नहीं संजोए थे..!
उठो बेटी..! भावना , आख़िर कब तक तुम यूंँ रोती रहोगी..?निर्मोही था वो जो हमें इस हाल में छोड़ कर चला गया, उम्र भर रोएं तभी भी वह हमसे मिलने नही आयेगा..! भावना की सास ससुर भावना को समझा कर उसे जीवन जीने की प्रेरणा देते रहते है..।
लेकिन अकेले में खुद दहाड़े मार मार कर रोते रहते है सिर्फ़ भावना भूखी ना रहे इसलिए उनके घर चूल्हा जलता है।
सास ससुर के समझाने पर भी भावना रोती रही।
अमर और भावना की शादी घर वालों की पसंद से हुईं थी लेकिन उन दोनों का प्यार लव मैरिज वालो से कम नहीं था सुबह आंँख खुलते से रात सोने तक दोनो चाय,नाश्ता,खाना पीना और बाहर घूमना सब साथ ही करते थे। उन दोनों को खुश देख कर दोनो परिवार बहुत खुश थे।
मगर तक़दीर को कौन ही पढ़ पाया है..,अभी भावना की शादी को सात महीने हुऐ और दो महीने की प्रेगनेंसी थी,अमर को नॉर्मल बुखार आया और दो दिन में ही शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया।हालत खराब होने लगी और दो दिन बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया... 😭!
सिर्फ़ सात महीने और जीवन भर का ये " बिछोह"...आखिर कोई भी हो इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता हैं।
अमर के शव के पास मातम छाया हुआ है, मांँ बाप, भाई बहन, सास ससुर और भी बहुत सारे रिश्तेदार , गाँव परिवार के सभी लोग कोई भी व्यक्ति शेष नहीं था जो रोया नहीं था..😭
मगर चुपचाप, निःशब्द बैठी भावना टकटकी लगाए देखती रही अमर को...उसका ये मौन बाहर ही था , आत्मा तो चीत्कार रही थी पूछ रही थी अमर से आख़िर क्यों..?कोई कसूर बताओ मेरा ? क्यों छोड़ दिया मुझे बीच सफ़र में.?कैसे जिऊंगी तुम बिन..?बताओ मुझे क्यों छोड़ गए तुम..??.😭😭
सभी लोग भावना को कह रहे थे _बेटी तुम्हारा पति तुम्हें छोड़ कर चला गया, देखो उसे तुम कैसे चुपचाप सोया है,रोओ तुम चुप चाप मत रहो..! बार बार भावना को झकझोरा गया लेकिन ,जैसे उस पर कोई भी असर नहीं हुआ वो चुपचाप बेहोशी की हालत में पड़ी रही।
भावना की चूड़ी तोड़ी गई,बिंदी हटाई गई और सिंदूर भी पोंछ दिया गया लेकिन जैसे उस पर कोई असर नहीं हुआ,सभी लोग परेशान हो गए कि अब भावना को कैसे संभाल पाएंगे..!
तभी रोता बिलखता भावना का भाई उसके पास आता है,भावना का हाथ पकड़ कर कहता है _अमर को तैयार कर दिया है, हम लोग उसे ले जा रहे है 😭तुम उसे अंतिम बार मिल कर अंतिम विदाई नही दोगी..? फिर भावना का चेहरा अपनी हथेली में भर वह उसे गले लगा कर फूट फूट कर रोया 😭..!
तब भावना को होश आया वह भागी अमर की अर्थी के पास पछाड़े खा कर,छाती पीट पीट कर रोती रही,बिलखती रही,उसका संताप देख सभी लोग भी बहुत दुखी होकर जोर जोर से रोने लगे 😭।
रो रो कर भगवान को कहा_ आपको थोडी सी भी दया नहीं आई ,अरे..! मेरा नही तो कम से कम बच्चे का तो सोचते,जैसे पैदा होने से पहले ही आपने उसे अनाथ कर दिया..!
अमर उठ जाओ ,एक बार उठ जाओ मेरे लिए नहीं, अपने बच्चे के खातिर लौट आओ,तुम्हारे बिना सांस तक नहीं आती मुझे ,ये जीवन का ज़हर कैसे पिऊंगी..?😭मुझे भी अपने साथ ले चलो कहते हुए भावना धरती पर सर पीटती है लेकिन सब लोग उसे संभालते कर रोकते हैं।
बड़ी मुश्किल से अमर की अंतिम क्रिया की गई।
दोनो घरों का अन्न जहर हो गया।माता पिता ने बड़े दुलार से बेटी को दुल्हन बना विदा किया,उसी बेटी को विधवा के रूप में देख मानों उनके कलेजे पर आरा चल रहा हो। सास ससुर जवान बेटे की मौत से जीते जी मर गए।भावना ना सोती ना जागती बस रात दिन रोती रहती।बच्चे के खातिर खाना खाना पड़ रहा था वो भी जहर तुल्य लग रहा था।
वक्त धीरे धीरे बीतता गया भावना ने सात महीने बाद प्यारे से बेटे को जन्म दिया..!अमर की कमी को कोई भी पूरी नहीं कर सकता लेकिन नन्हे मेहमान के आने से सबने उसमे अमर की छबि देखी।
घर की चीत्कार अब किलकारी में बदल गई,बच्चे में अमर की छबि देख भावना पल दो पल मुस्कुरा देती।सभी लोग अमर के जाने से अकथनीय पीड़ा, दुख और क्लेश में है लेकिन फिर भी बच्चे को देख खुश हैं आखिर अमर लौट आया..अपनी भावना के पास!

मेरी भगवान से प्रार्थना है कि इस तरह का "बिछोह" कभी भी किसी को भी नहीं मिले..! ना पति पत्नी, ना माता पिता और ना भाई बहन..!दोस्त भी कभी इस तरह रूठ कर ना बिछड़े.!
लेखक_#shobhavyas
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