...

1 views

संगति का प्रभाव
रमेश अपने वर्क का सबसे होशियार विद्यार्थी था lहर क्षत्र में उ ब्बल होने के वजह से वह सर्वश्रेष्ठ छात्र घोषित हुआ था ल
उसके पिता भी शिक्षक थे और माता भी शिक्षक थी
वह सब उसे अत्यंत प्रसन्न रहते थे lउनके सभी शिक्षक भी उसे बहुत पसंद करते थेl
एक दिन की बात है एक नया छात्र उसके वर्ग में नामांकित हुआ, वह लड़का पढ़ने में कुछ खास नहीं था ,लेकिन उसे बनावटी दुनियादारी बहुत पसंद थीl
हमेशा खर्च करने में लगा रहता था ,धीरे-धीरे उसकी दोस्ती रमेश हो गई l
रमेश को उसमें जाने क्या नजर आया, उसने उससे दोस्ती कर ली यह लड़का सुरेश अत्यंत ही बिगड़l हुआ था l
किसी से ठीक से बात नहीं करता था और नहीं पढ़ाई करता था l
धीरे-धीरे रमेश भी उसके संगति में रहते रहते बुरा बनने लगा, लोगों की हंसी ठिठोली करना , किसी भी बात पर ध्यान नहीं देना, पढ़ाई में पीछे जाना यह सभी बुराइयां उसमें बढ़ गईl
समय का चक्र चल गया, कुछ समय बाद रमेश के पिता अत्यंत बीमार पड़ गए ,जिस वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, ऑपरेशन और बाकी सभी खर्च मिलकर बहुत ज्यादा खर्च हो गया ,जी स चक्कर में उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गईl
रमेश जो बहुत ही बेफिजूल की खर्च करने का आदी हो गया था, वह अब खर्चा नहीं कर पा रहा था ,उसके पास जरूर के समान के लिए भी पैसे नहीं बच रहे थे ल
उसी समय उसके विद्यालय में एक फॉर्म भरने की घोषणा हुई जिसमें करीब हजार रुपए देने पड़ते ,घर की हालत खराब होने की वजह से उसने अपने सबसे परम मित्र सुरेश से मदद मांगने की सोची, लेकिन सुरेश उसके खराब हालत देखकर उसे दूर होता चला गया ल
अंत में उसके पिता के मित्र जिसका बेटा रमेश के साथ पढ़ता भी था, सुमित नाम के इस लड़के ने ही उसके फार्म भरने के लिए उसे पैसे दिए और वह फॉर्म भर सका
उसी दिन पहली बार उसे पता चला कि सुरेश उसे नहीं बल्कि उनके बल्कि उसके पैसे से प्यार करता था
आज जब उसे पैसे की कमी हो गई, तब उसने उसे हाथ खींच ली ,तब उसे पता चला कि सच्चा मित्र क्या होता हैl सुमित जिसकी हर समय वह ठिठोली किया करता था, आज उसी ने उसकी मदद कीl
जरूरत पड़ने पर मदद करने वाला ही सच्चा मित्र होता है और संगति की असर से आदमी किस हद तक बर्बाद हो सकता हैl यह हम रमेश को देखकर पता कर सकते हैं l
उनके पिता जब स्वस्थ हो गए तो उनके विद्यालय के शिक्षकों ने उनसे
रमेश की शिकायत कीl उसके पिता ने जब पता किया, को सारी बात पता चली l उन्हें पता चला कि अब मेरे बेटे को किसी की जरूरत नहीं है क्योंकि वह पूर्ण तया ,गिर का संभाल चुका है और उसे यह भी पता चल चुका है की संगति के प्रभाव का क्या नतीजा भुगतना पड़ता हैl
© All Rights Reserved