...

4 views

बाबा की बेटी हुईं सयानी
कुछ पंक्ति... कहानी शुरू करने से पहले..

बाबा कि गुड़िया हुईं सयानी,देखों कितनी जल्दी परायी गली,
अभी तो आँगन में खेल रही,कब डोली चढ़ विदा हो चली!

एक गाँव था जहाँ रंग बिरंगी गुडियो का मेला लगा करता था, रंग मच पर गुडियो का खेल दिखाया जाता था, बच्चे देख कर प्रसन्न से हो जाते,छोटी छोटी कहानी को गुडियो के माध्यम से दर्शाया जाता था,
तरह तरह के गुड़िया देखने को मिलते थे.

वही थोडी दूर में गरीबो कि बसती हुआ करती थी,जहाँ पर एक परिवार बड़ी हसीं ख़ुशी जीवन बसर कर रहा होता है जिसका नाम परमेश्वर था उसकी एक बेटी थी जिसका नाम गुड़िया था, उसे गुडियो से अताह प्रेम था लगाव था,वो गुड़िया से सारी बातें बताया करती थी,
उसके साथ खेला करती थी,वो उसी के साथ अधिकता समय व्यतीत किया करती थी,

लेकिन विधि के विधान को कौन रोक पाएगा,कैंसर से पीड़ित माँ, बेटी के हाथ पिले होने से पहले ही चल बसी, अब वो खुद को अकेला महसूस करने लगी,पिता को उतना काम काज से फुर्सत ना मिलती कि बेटी के साथ कुछ वक्त बिताए.

गुड़िया अब बड़ी हो गई,पढ़ाई भी पूरी हो गई थी, पिता ने सोचा अच्छा वर मिल जाए तो शादी कर दूँ और गंगा नहा लूँ, एक दिन पिता काम पर चल गए, इधर गुड़िया भी काम खतम कर अपने सहेलियों के साथ खेलने चली गई अपनी गुड़िया को ले कर.

तो उसकी सहेलियो ने उसकी गुड़िया का मज़ाक उड़ाया कि तू तो इतनी बड़ी हो गई है अभी भी गुड़िया से खेलती है,क्या तू पागलो कि तरह बातें करती है तेरी गुड़िया तेरी बातें सुनती है क्या तेरा दर्द समझती है, जो इसके साथ तू बात कर समय जाया करती है.
एक ने गुड़िया को उठा कर फेक दिया और जोर जोर से हसने लगी.

तब गुड़िया को गुस्सा आया उस लड़की को धक्का दे कर, वहाँ से गुड़िया ले कर वो आ गई. और गुड़िया से कहने लगी तुम्हे चोट तो ना लगी, ये सब पागल ये बेज़ुबान के दर्द को समझते नहीं, केवल अत्याचार करना जानते है!

इधर गुड़िया कि शादी ठीक हो जाती है एक अच्छे वर से, गुड़िया बाबा का घर छोड़ कर पराई हो जाती है डोली चढ़ कर विदा हो जाती है, मन में अताह सवाल होते है उसके लेकिन बेटी है इसलिए कह नहीं पाती, उसे चिन्ता रहती है कि मेरे बाबा का तो कोई नहीं मेरे जाने के बाद बाबा का क्या होगा उसकी चिन्ता हर रोज सताती है,जाते जाते वो अपने पिता के हाथ में अपनी अनमोल गुड़िया को बाबा के हाथ सौप जाती है.

कुछ दिन सब ठीक चलता है, अचानक से बेटी कि तबियत ख़राब हो जाती है, तो डाक्टर जवाब दे देता है कि इसकी किड़नी तो पूरी खराब हो चुकी है.बस कुछ दिनों कि मेहमान है ये घर ले जाइये
तब गुड़िया का अंतिम समय आ ही जाता... तब कहती बाबा को पुकार कर...

😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭
बाबा अब फिर वो लोरी सुनाओ ना,
सुकून से तेरी गोद में सो जाँऊ वो गीत गुनगुनाओ ना !
😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭

कहती है... बाबा अगली बार मैं जन्म लूँ तो आपकी ही बेटी बन ने का सौभाग्य प्राप्त हो..!
अंतिम सांसो को गुड़िया के साथ ही बाबा के बाहों में दम तोड़ देती है !लेकिन उसका हाथ नहीं छोड़ती है.

यही पर अपनी कहानी एवं कलम को विराम देती हूँ !!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -Dolly prasad ❣❣

© Paswan@girl