बाबा की बेटी हुईं सयानी
कुछ पंक्ति... कहानी शुरू करने से पहले..
बाबा कि गुड़िया हुईं सयानी,देखों कितनी जल्दी परायी गली,
अभी तो आँगन में खेल रही,कब डोली चढ़ विदा हो चली!
एक गाँव था जहाँ रंग बिरंगी गुडियो का मेला लगा करता था, रंग मच पर गुडियो का खेल दिखाया जाता था, बच्चे देख कर प्रसन्न से हो जाते,छोटी छोटी कहानी को गुडियो के माध्यम से दर्शाया जाता था,
तरह तरह के गुड़िया देखने को मिलते थे.
वही थोडी दूर में गरीबो कि बसती हुआ करती थी,जहाँ पर एक परिवार बड़ी हसीं ख़ुशी जीवन बसर कर रहा होता है जिसका नाम परमेश्वर था उसकी एक बेटी थी जिसका नाम गुड़िया था, उसे गुडियो से अताह प्रेम था लगाव था,वो गुड़िया से सारी बातें बताया करती थी,
उसके साथ खेला करती थी,वो उसी के साथ...
बाबा कि गुड़िया हुईं सयानी,देखों कितनी जल्दी परायी गली,
अभी तो आँगन में खेल रही,कब डोली चढ़ विदा हो चली!
एक गाँव था जहाँ रंग बिरंगी गुडियो का मेला लगा करता था, रंग मच पर गुडियो का खेल दिखाया जाता था, बच्चे देख कर प्रसन्न से हो जाते,छोटी छोटी कहानी को गुडियो के माध्यम से दर्शाया जाता था,
तरह तरह के गुड़िया देखने को मिलते थे.
वही थोडी दूर में गरीबो कि बसती हुआ करती थी,जहाँ पर एक परिवार बड़ी हसीं ख़ुशी जीवन बसर कर रहा होता है जिसका नाम परमेश्वर था उसकी एक बेटी थी जिसका नाम गुड़िया था, उसे गुडियो से अताह प्रेम था लगाव था,वो गुड़िया से सारी बातें बताया करती थी,
उसके साथ खेला करती थी,वो उसी के साथ...