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हिन्दी-English(हिन्गlish)
'समीर' एक आज्ञाकारी एंव अनुशासन प्रिय छात्र था, उसके पिता जी गाँव से बाहर एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे...

समीर अपने माँ एवं बहन के साथ गाँव में हीं दादा-दादी के सानिध्य में पला-बढ़ा था। पास के ही एक सरकारी स्कूल में उसका नामांकन था जहाँ वो अपनी छोटी बहन के साथ जाया करता था।

समीर के दादा जी एक रिटायर्ड शिक्षक थे, वे अपने पोते 'समीर' एंव पोती 'स्वर्णा' को बहुत मानते थे और पढ़ाई में सहयोग भी देते थे।

'स्वर्णा' पढ़ाई में 'समीर' से अव्वल थी। समीर को पढ़ाई के अलावे क्रिकेट(Cricket) देखने एंव खेलने का शौक था जबकि स्वर्णा की रूचि पढ़ाई के अलावे पेन्टिंग(Painting) में थी।

स्वर्णा और समीर अपने कक्षा में हमेशा अव्वल आती थे, गाँव के सरकारी स्कूल (school) में दाखिला होने के कारण दोनों के शिक्षा का माध्यम "हिन्दी" हीं था।
लेकिन इन सब से परे स्वर्णा को हिन्दी के अलावे इंगलिश(English) सीखने में भी रुचि थी। वो T. V पर प्रसारित होने वाले इंग्लिश समाचारों को सुनकर उसे समझने का प्रयास करती और जो समझ में नहीं आता उसे स्कूल के इंगलिश वाले सर से पुछ लेती थी।

समीर के दादा जी स्वर्णा के इस गुण से अति प्रसन्न रहते थे और समीर से कहते "थोड़ा तुम भी इंगलिश सिखने पर ध्यान दिया करो!"

"दादा जी जब परिक्षा में प्रश्न का उत्तर हिन्दी में देना है और गाँव में, स्कूल में हर जगह हिन्दी में ही बातचीत करना है तो इंगलिश में उतना क्या ध्यान देना... और वैसे भी इंगलिश के परिक्षा में हम ठीक-ठाक अंक से उत्तिर्ण हो हीं जाते हैं! "
समीर दादा जी को विनयपूर्ण भाव में उत्तर देकर चला जाता..

समीर के जाने के बाद दादी ने समीर के दादा से कहा ' समीर पे क्यों इतना दबाव बनाते हैं अभी कक्षा 9 में हीं तो है धीरे- धीरे समझ जाएगा...'
"हाँ ठीक है लेकिन हम उसके भलाई के लिए हीं कह रहे थे..." दादा जी ने अपने बात को समाप्त करते हुए कहा।

15 अगस्त समीप आ रहा था, स्वर्णा और समीर भाषण प्रतियोगिता के तैयारी में लगे थे।

समीर ने किताब एंव पुराने अख़बार में छपी 15 अगस्त के लेख से प्रेरित होकर हिन्दी भाषा में खुद एक भाषण लिखा एंव अपने हिन्दी के शिक्षक से चेक(check) करवा कर भाषण की तैयारी शुरू कर दी...

उधर स्वर्णा ने अपने भाषण का माध्यम इंगलिश (English) चुना।
उसने अपने भाषण के तैयारी में अपने इंगलिश वाले सर की सहायता ली।

समय बितता गया और वो दिन भी आ गया जीसका दोनों बेसब्री से ईंतजार कर रहे थे, 15अगस्त! विद्यालय के कई छात्र- छात्राओं ने भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया था।

समीर ने बड़े जोश से भाषण दिया और ताली के गुंज से उसे विराम दिया, अब स्वर्णा की बारी थी, उसने भी बड़े सधे शब्दों में भाषण दिया और भाषण समाप्त होते हीं तालियों की गुंज ने उसके प्रोत्साहन दिया।


कुछ अंतराल बाद अब भाषण प्रतियोगिता के परिणाम का उदघोषणा होना था, सभी अभ्यर्थियों में उत्सुकता अपने चरम पर था।
तभी माइक पे उदघोषणा हुआ की प्रधानाध्यापक के आदेशानुसार इस बार भाषण प्रतियोगिता का परिणाम कक्षा के अनुरूप घोषित होगा ... प्रत्येक कक्षा से प्रथम, द्वितीय एंव तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र- छात्राओं का चयन होगा।

इतना सुनते हीं सभी छात्र चहचाह उठे...
परिणाम घोषणा के अनुसार:
समीर एंव स्वर्णा को अपने कक्षा से प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। दोनों काफी खुश थे... पुरस्कार के रूप में दोनों को एक- एक घड़ी मीला था।


घर लौट के साथ हीं दोनों ने दादा जी और परिवार के सभी सदस्य के साथ खुशियाँ मनाई।
दादा जी ने मुस्कुराते हुए कहा धन्य है हमारे गाँव के मुखिया जी जो हर वर्ष 15 अगस्त के अवसर पर छात्र- छात्राओं के लिए इस कार्यक्रम के आयोजन में प्रधानाध्यापक को सहयोग देते हैं... वैसे तुमलोगों का भाषण हम घर पर ही पढ़ लिए थे। बहुत अच्छा था।

दादा जी मेरी घड़ी देखीये, स्वर्णा ने चहकते हुए कहा... दादा जी ने घड़ी देखते हुए कहा, बहुत अच्छा है। तभी हँसते हुए समीर ने कहा इसका भाषण वहाँ उपस्थित आधे से ज्यादा विद्यार्थियों को समझ में नहीं आया... फिर भी सब ताली मार रहे थे...

देखिए दादा जी भैया क्या बोल रहे हैं ? स्वर्णा ने मुंह बनाते हुए कहा।
ठीक हीं तो कह रहे हैं...संस्कृत वाले सर और इसके हीं कई मित्र कह रहे थे की क्या बोल रही है...? समीर ने फिर हँसते हुए कहा।

दादी ने समीर को बीच में हीं टोकते हुए कहा... 'छोड़ो न किसी को समझ में नहीं आया तो यह क्या करेगी' इंगलिश में बोल के आई कम है क्या? तुम अपना देखो...
हम भी खाली हाथ नहीं है! प्रथम पुरस्कार लेके आए हैं। यह कहकर समीर कमरे से बाहर चला गया...

अगले महीने समीर के पापा घर आने वाले है...इसकी जानकारी समीर की मम्मी ने समीर के दादी से साझा की।
जब स्वर्णा को इस बात का पता चला तो वो खुशी से झुम उठी... उसने अपने मम्मी से कहा इस बार पापा को एक 'कम्प्यूटर(computer)' लाने को कहुँगी। समीर जो स्वर्णा के बातों को बगल वाले कमरे से सुन रहा था, ने जोर से कहा और हम 'साइकिल(cycle)' लाने को कहेंगे! मम्मी ने भी जोर से कहा ठीक है कह देना वो जानते हैं इस बात को।

कुछ दिनों बाद समीर के पापा आते हैं... सभी के लिए उपहार स्वर्णा के लिए पेंटिंग कीट(painting kit) और समीर के लिए एक क्रिकेट बैट (Cricket bat)!

दोनों उपहार पाकर काफी खुश थे... अगले सुबह पापा ने स्वर्णा से पुछा स्कूल में छुट्टी कब होगी? जी! फाइनल(Final) परिक्षा के बाद सभी के लिए लगभग 20-25 दिन के लिए।

अच्छा! दादा जी कहाँ है? जी! अपने कमरे में! स्वर्णा ने जवाब दिया।
दादा के कमरे के ओर बढ़ते हुए समीर के पापा ने कहा सभी को दादा के कमरे में आने बोलो।
जी, ठीक है। कहते हुए स्वर्णा सभी को बुलाने चली गई।

प्रणाम बाबु जी! समीर के पापा ने समीर के दादा पैर छुते हुए कहा...
खुश रहो! कैसा रहा सफर? दादा जी ने पुछा।
जी ठीक था, आपसे कुछ जरूरी बात करना था!

हाँ कहो... समीर के दादा ने कहा!
समीर के पापा:
"वो फाइनल परिक्षा के बाद सभी लोग दिल्ली आ जाते... मैं टिकट बनवा दुँगा!"

क्यों? एसा क्या जरूरत आन पड़ी की सबको दिल्ली जाना होगा? दादा जी ने समीर के पापा से पुछा?

'जी, बात यह है कि स्वर्णा कम्प्यूटर दिलवाने के लिए बोल रही थी और स्कूल भी बंद रहेगा। तो मैं सोच रहा था छुट्टी में आपलोगों को दिल्ली घुमा दूँ और समीर और स्वर्णा को बेसिक कम्प्यूटर जानकारी(Basic Computer knowledge) के लिए अपने मित्र के कोचिंग में दाखिला भी दिलवा दूँ, 12-15 दिनों में समाप्त हो जाएगा।
आप तो जानते हीं है की हमारे गाँव के स्कूल में एसी कोई सुविधा नहीं है। '
समीर के पापा ने दादा जी से कहा....

कुछ देर सोचने के बाद दादा जी:
ठीक है... एसा करो की तुम बहु और बच्चों को ले जाओ। हम अब इस उम्र में कहाँ घुमने जाएँगे? अपने छोटे भाई के लड़के को हम यहाँ बुला लेते हैं, उसका भी तो छुट्टी होगा... कई महीनों से आया भी नहीं है। और तुम्हारी माँ का क्या कहना है उसी से पुछ लो!

पुछना क्या है? हम उतने बड़े शहर में जाकर क्या करेंगे...रही बात घुमने की, तो फिर कभी...समीर की दादी ने अपनी बात को जल्दी से कहा।

ठीक है... तब यही तय हुआ! समीर के पापा ने उठते हुए कहा।

कुछ महीनों बाद सभी दिल्ली में थे। समीर के पापा स्वर्णा एंव समीर को लेकर अपने मित्र विवेक के कोचिंग पहुँच गए...
आईए, कैसे इधर का रास्ता भटक गए 'विवेक' ने मुस्कुराते हुए कहा...!

तुमसे फ़ोन पे बच्चों के बारे में बातचीत तो हुईं थी! समीर के पापा ने कहा...

हाँ, याद आया! तो बताओ हम क्या सेवा करे? विवेक ने हँसते हुए कहा।

सेवा क्या करना है मेरे बच्चे, तुम्हारे बच्चे समान है अब तुम इन लोगों को राह दिखाओ... गाँव में हिन्दी माध्यम से सरकारी स्कूल में है, अंग्रेजी माध्यम का तो नाम हीं नहीं अब ऐसे में कैसे ये लोग कम्प्यूटर सीखेंगे? समीर के पापा ने थोड़ा चिंता जताते हुए कहा!

विवेक ने थोड़ा रुकते हुए कहा... तुम फिक्र मत करो और ये चाय पियो, चाय का प्याला समीर के पापा की ओर बढ़ाते हुए समीर ने कहा।

देखो 'विजय'(समीर के पापा) हिन्दी भाषा अब पिछे नहीं रहा...मेरे यहाँ से हिन्दी और इंगलिश दोनों माध्यम के छात्रों ने अनेकों सरकारी और गैर सरकारी परिक्षा में सफलता प्राप्त किया है, और तुमको पता है इस बार UPSC के परिक्षा में टाॅप 10(Top 10) में 3 छात्र हिन्दी माध्यम से है... याद करो हमारे समय में
टाॅप 150(Top 150) में एक भी हिन्दी माध्यम का एक भी छात्र नहीं था!
हम सबको और विशेष कर सरकार को हिन्दी को बढ़ावा देना चाहिए, ये हमारा गर्व है तो शर्मिंदा क्यों? विवेक ने जोश भरे लहजे में कहा!

विजय जो काफी ध्यान से विवेक के बातों को सुन रहा था...ने थोड़ा खुशी जाहिर करते हुए कहा:
' हिन्दी भाषा' के बढ़ते कदम से गौरवान्वित महसूस कर रहा हुँ', इन बच्चों के लिए कुछ बताओ?

तुम्हें चिंता नहीं करना है मैं इनको समझाउँगा हिन्दी में ही कुछ शब्द ऐसे हैं जीनका इंगलिश हिन्दी से आसान है वैसे स्थिति में मैं इनको अर्थ बता के याद करवा दुँगा!

ठीक है। विजय ने खुशी जताते हुए कहा...
और बच्चों को लेकर वापस आ गया।

कुछ हफ़्ते बाद 'विजय', विवेक से...आज तो परिणाम आने वाल है मेरे विद्यार्थियों का! कैसा है रिजल्ट(result)?

खुद देख लो... विवेक ने मुस्कुराते हुए कहा।
दोनों A ग्रेड से उतिर्ण हुए हैं जीसमें स्वर्णा का परफॉरमेंस(Performance) समीर से बेहतर है! समीर की रूचि इंगलिश के प्रति उदासीन है जबकि स्वर्णा हिन्दी और इंगलिश दोनों में लगभग समान पकड़ बनाए हुए है।

कम्प्यूटर के पाठ्यक्रम में कुछ ऐसे शब्द भी हैं जीनको इंगलिश में ही समझना होता है, उम्मीद है आगे पाठ्यक्रम में कुछ सुधार हो और इसका सरल हिन्दी रुपान्तरण हमारे बीच हो... 'विवेक' ने अपने बात को समाप्त करते हुए कहा।

विजय ने विवेक को धन्यवाद देते हुए तय फिस अदा की और समीर की ओर देखते हुए कहा: कम्प्यूटर यहीं खरीदेंगें और तुम्हारा साइकिल गाँव के पास वाले दुकान से, ठीक है न?

जी पापा! समीर ने मुस्कुराते हुए कहा... हमको मत भूल जाना विवेक ने जाते हुए समीर, स्वर्णा एवं विजय से कहा!

नहीं भूलेगें! मुस्कुराते हुए अनायास तीनों एक साथ बोल उठे...












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