गुस्ताख़ दिल Part 4
अगले कुछ दिनों में वो लड़का और वो अध्यापक चर्चा का विषय बने रहें। इधर उधर से सुनने में आया कि वो लड़का उनका बेटा है। उड़ती हुई बातों पर ध्यान न देते हुए हमने लड्डू से पूछना ही बेहतर समझा।
"ये आशुतोष कैसा लगता है, सुनने में आया है कि..." शिल्पी के मुंँह से आशुतोष का नाम सुनते ही लड्डू अपने बिस्तर से उठकर हमारे बिस्तर पर आ गया और धीरे से बोला,"बहुत बिगड़ा हुआ लड़का है। स्कूल में सबको परेशान करता है उसके कारण हमारे स्कूल में कोई पढ़ाने के लिए आना पसंद नहीं करता था। दूर रहना आप दोनों उससे।"
"और विनायक सर!"
"वो? वो हमारे स्कूल के प्रिंसिपल की बेटी के पति हैं। बहुत परेशान करते हैं वो बच्चों को। पहले पीटी टीचर थे, फिर सभी बच्चों ने मिलकर उनकी शिकायत करी और उनसे पीटी सीखने से मना कर दिया तो उनको 11वी और 12वी का हिंदी का टीचर बना दिया। उनको लडकियांँ बिल्कुल नहीं पसंद। तुम दोनों अपनी हरकतों से उनकी नज़रों में मत आना। अच्छे खासे बच्चे को सबके सामने बुरा बना देते हैं। आज ही हमारी क्लास के दीपक ने स्कूल छोड़ दिया उनके कारण। पता नहीं उनसे मुक्ति कब मिलेगी।"
उनकी नज़रों में हम पहले दिन से ही आ चूके थे और अब हर रोज़ ही किसी न किसी बात पर उनसे फटकार सुन रहे थे वो भी बिना बात की। बात घर तक न पहुँचे इसलिए हम लोग उनसे निपटने का दूसरा ही तरीका ख़ोज रहे थे। हमने अपनी सीट बदल ली थी इसलिए वो लड़का हमें अब परेशान नहीं करता था पर वो बाकी बच्चों को किया करता था।
आज हमारे पुराने वाले अड्डे (यानी स्कूल के पास वाला बागिका)...
"ये आशुतोष कैसा लगता है, सुनने में आया है कि..." शिल्पी के मुंँह से आशुतोष का नाम सुनते ही लड्डू अपने बिस्तर से उठकर हमारे बिस्तर पर आ गया और धीरे से बोला,"बहुत बिगड़ा हुआ लड़का है। स्कूल में सबको परेशान करता है उसके कारण हमारे स्कूल में कोई पढ़ाने के लिए आना पसंद नहीं करता था। दूर रहना आप दोनों उससे।"
"और विनायक सर!"
"वो? वो हमारे स्कूल के प्रिंसिपल की बेटी के पति हैं। बहुत परेशान करते हैं वो बच्चों को। पहले पीटी टीचर थे, फिर सभी बच्चों ने मिलकर उनकी शिकायत करी और उनसे पीटी सीखने से मना कर दिया तो उनको 11वी और 12वी का हिंदी का टीचर बना दिया। उनको लडकियांँ बिल्कुल नहीं पसंद। तुम दोनों अपनी हरकतों से उनकी नज़रों में मत आना। अच्छे खासे बच्चे को सबके सामने बुरा बना देते हैं। आज ही हमारी क्लास के दीपक ने स्कूल छोड़ दिया उनके कारण। पता नहीं उनसे मुक्ति कब मिलेगी।"
उनकी नज़रों में हम पहले दिन से ही आ चूके थे और अब हर रोज़ ही किसी न किसी बात पर उनसे फटकार सुन रहे थे वो भी बिना बात की। बात घर तक न पहुँचे इसलिए हम लोग उनसे निपटने का दूसरा ही तरीका ख़ोज रहे थे। हमने अपनी सीट बदल ली थी इसलिए वो लड़का हमें अब परेशान नहीं करता था पर वो बाकी बच्चों को किया करता था।
आज हमारे पुराने वाले अड्डे (यानी स्कूल के पास वाला बागिका)...