उनकी साया( भाग 2)
मेरा नाम तो आज भी सिंदूरी है, पर मेरे माँग में सिंदूर नही। लोग तो आज भी मुझे लाली कहतें है, पर मेरे होठों पर लाली नहीं।
आज दो बरस हो गए, सुखीराम जी को हमारी जिंदगी से गए हुए । आज भी ऐसा ही लगता है कि अभी ही थोड़ी देर में चटपटी चाट लेकर आएंगे और कहेंगे"मेरी ललिया देखो तो क्या लाया हूँ, तुम्हारे लिए!" खैर अब उन्ही की यादों के सहारे जी रही हूँ । सास ससुर भी मुझे रेखा की तरह ही अपनी ही बेटी मानते है।
साँझ होने आ गई थी, रेखा आई मेरे कमरे में और बोली "भाभी आपके माई बाबूजी आए हैं चलिए आपके बारे मे पुछ रहें हैं।" मैं रेखा के साथ ही चली गयी माँ बाबूजी से मिलनें । माँ को देखते ही मेरी आँखे भर आई, माँ के चेहरे पर भी रूवासी भरा भाव झलक रहा था । माँ ने मुझे झट से गले लगा लिया । उसके बाद मैंने बाबूजी के पैर छूकर आशीर्वाद लिए । फिर सासु माँ के कहने पर मैं रसोई घर में चली गई चाय नास्ते का प्रबंध करते।
जब मैं चाय और प्याज की पकौड़ी उसके साथ आम की चटनी...
आज दो बरस हो गए, सुखीराम जी को हमारी जिंदगी से गए हुए । आज भी ऐसा ही लगता है कि अभी ही थोड़ी देर में चटपटी चाट लेकर आएंगे और कहेंगे"मेरी ललिया देखो तो क्या लाया हूँ, तुम्हारे लिए!" खैर अब उन्ही की यादों के सहारे जी रही हूँ । सास ससुर भी मुझे रेखा की तरह ही अपनी ही बेटी मानते है।
साँझ होने आ गई थी, रेखा आई मेरे कमरे में और बोली "भाभी आपके माई बाबूजी आए हैं चलिए आपके बारे मे पुछ रहें हैं।" मैं रेखा के साथ ही चली गयी माँ बाबूजी से मिलनें । माँ को देखते ही मेरी आँखे भर आई, माँ के चेहरे पर भी रूवासी भरा भाव झलक रहा था । माँ ने मुझे झट से गले लगा लिया । उसके बाद मैंने बाबूजी के पैर छूकर आशीर्वाद लिए । फिर सासु माँ के कहने पर मैं रसोई घर में चली गई चाय नास्ते का प्रबंध करते।
जब मैं चाय और प्याज की पकौड़ी उसके साथ आम की चटनी...