...

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एहसास
तुमने जो किया महसूस
मेरी एहसास थी क्या

तुमने ही तो पुछा था क्या छुपा रहे
नहीं बता रहे ,बात कुछ खास थी क्या

क्या है मुझमें जो रह नहीं पा रहे मुझे क्योँ ऐसे आजमा रहे

टूटती हुई कोई आख़िरी मैं ,सांस थी क्या

मैंने देखा तुम्हें
कई मौकों पे मायूस होते हुए
कभी छुप कर भी देखा तुम्हें
छुप-छुप कर रोते हुए

तुमने जो किया महसूस
मेरी एहसास थी क्या

बोल दो न ,कह दो न यार
चुप क्यों हो,मैं कैसे रह सकती हूँ
तुझे देख मुस्कान, खुद की खोते हुये

मैं चाहती हूँ तुम्हें ,पर बोलूं कैसे
मैं बंध चुकी हूँ ,शादी के बंधन में
मैं ये बंधन खोलूँ कैसे

तुमने देखा न, मुझे किसी और, का होते हुए
आज भी प्यार है तुमसे
तुम ही कहते थे न कि, विदाई तेरी मैं करूँगा खुश होते हुए

तुमने जो किया महसूस
मेरी एहसास थी क्या

आज भी मैं तुम्हारे पास थी क्या
मेरे साथ होने की विश्वास थी क्या
ये पागल मैं तेरी इतनी खास थी क्या

तुमने जो किया महसूस
मेरी एहसास थी क्या



कुलदीप राठौर