THE INTRO OF - KHAAR
ये कहानी है, कुछ चुनौतियों की। ये कहानी है एक ऐसी कल्पना की जो हमेशा सच के साथ-साथ चलती है, पर कभी सच का सामना नहीं करती।
ये कहानी है 'खार' की।
असम के हाजो गाँव के पास एक कस्बे में
एक अनाथ बच्चा रहता था। ये बच्चा
बड़ी परेशानी का जीवन काटता था। माँ बाप न होने की वजह से, पेट पालने के लिए अलग अलग जगहों पर काम करता, और रात मन्दिर की सीढ़ियों पर गुजारता। जब उसके माँ बाप गुजरे तब वो बहुत छोटा था। जिस वजह से उसे अपना असली नाम भी नहीं पता था। जीवन ने अब तक उसे सिर्फ आंसू दिये। सिर्फ खारे आंसू।
इसलिए उसने खुद को एक नाम दिया - 'खार' ।
ताकि ये नाम उसे हमेशा याद दिलाए, के उसे अपने जीवन के इन खारे अश्कों को खत्म कर कुछ अलग करना है। कुछ अनोखा।
अनोखे से याद आया, खार बचपन से ही दूसरे बच्चों से कुछ अलग था। बचपन से ही खार के पीठ पर एक निशान था। इसके अलावा और भी बहुत...
ये कहानी है 'खार' की।
असम के हाजो गाँव के पास एक कस्बे में
एक अनाथ बच्चा रहता था। ये बच्चा
बड़ी परेशानी का जीवन काटता था। माँ बाप न होने की वजह से, पेट पालने के लिए अलग अलग जगहों पर काम करता, और रात मन्दिर की सीढ़ियों पर गुजारता। जब उसके माँ बाप गुजरे तब वो बहुत छोटा था। जिस वजह से उसे अपना असली नाम भी नहीं पता था। जीवन ने अब तक उसे सिर्फ आंसू दिये। सिर्फ खारे आंसू।
इसलिए उसने खुद को एक नाम दिया - 'खार' ।
ताकि ये नाम उसे हमेशा याद दिलाए, के उसे अपने जीवन के इन खारे अश्कों को खत्म कर कुछ अलग करना है। कुछ अनोखा।
अनोखे से याद आया, खार बचपन से ही दूसरे बच्चों से कुछ अलग था। बचपन से ही खार के पीठ पर एक निशान था। इसके अलावा और भी बहुत...