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संजोग
#TheWritingProject
एक बार की बात है एक बहुत आम सा बच्चा था जिसे हर बात पर अपमानित किया जाता है। उसकी बात सही हो या गलत उसे हर बात पर टोका जाता था। वह हर बार अपने आपको साबित करने की कोशिश करता था पर हर बार असफल ही होता था। शुरुआत में उसने स्टेशनरी की दुकान में हर वहां से उसे यह कहा गया वहां पर उसने एक महीने काम किया और वह यह व्यवस्थित नहीं कर पाया इसके लिए उसके मामा
ने उस समय अपमानित किया ‌जब वह कक्षा आठवीं में पढ़ता था। बचपन से ही उसे बेवकूफ मूर्ख लोग कहते आ रहे थे।इन सबसे वह बहुत ही
परेशान होता गया। फिर दसवीं कक्षा में उसे किराने की दुकान में तीन दिन काम किया और उसे भी इसने छोड दिया। इसके बाद उसने सिम बेचने वाली कंपनी में काम किया वहां पर उसे
आंखों में समस्या होने लगी इस कारण उसने यह काम भी छोड दिया। इसके बाद उसने अपने मौसा जी की दुकान में भी काम किया वहां पर दस महीने रूका उनके जाने सुनकर अपमानित महसूस कर के वह वहां से ही पैदल ही भाग आया क्योंकि यह उसने घरवालों को नहीं बताया था इसके लिए सबने उसे दोषी समझा पर किसी ने कुछ कहा नहीं इसके बाद उसने एक‌ दूसरी कम्पनी में काम किया । जहां पर उसे बीमारी हो गई वहां पर भी ‌एक महीने काम कर पाया इसके बाद वह ठीक हो गया और इसके बाद उसने एक बड़ी दुकान में काम किया और वहां पर वह ग्यारह महीने काम किया और फिर उसनेे दो साल का बी.एड कोर्स किया। फिर प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया तो एक महीने बाद वापस उसे वह बीमारी हो गई फिर उसने उसका इलाज करवाया। फिर इसके बाद वह फिर से उसी प्राइवेट नौकरी पर दो तीन साल से काम कर रहा है। इस बीच बड़ी भयानक बीमारी आई जिसने काफी लोगों की जिंदगी ले ली । जिसने डेढ़ साल के लिए उसे बेरोजगार बना दिया और उसके बाद उसे फिर नौकरी मिल गई।