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दो अनजान हमराही भाग 1
"एक सुन्दर सी लड़की,जिसके काले घने बाल कमर तक आ रहे थे,उसने सफ़ेद रंग का सलवार सूट पहना था और कानों में खूबसूरत झुमके जो बार बार उसके गालों को छू रहे थे,वो बिलकुल राज के सामने खड़ी थी,उसका चेहरा राज को भीड़ में दिख नहीं पा रहा था,अचानक वो पलटी और राज को उसका चेहरा दिखने ही वाला था कि"

"अरे राज उठ बेटा,उठ ना जल्दी कितना सोएगा,
आज तेरे ऑफिस का पहला दिन है,
पहले दिन ही लेट होना है क्या?
जल्दी उठो बेटा, तब तक हम नाश्ता लगाते हैं।"

ओ तेरी यार ये तो सपना था(राज खुद से ही बात करता है)
हाँ बेटा, सही है 30 के हो गए हो और अभी भी अपनी होने वाली दुल्हन के सिर्फ सपने ही ले रहे हो।😜

क्या भोलेनाथ, ये सपनों की रानी को जरा हकीकत में भी लाइए।🙏😁
अच्छा भोलेनाथ वो ऐसा है कि आज हम निकम्मे राज से कमाऊ राजवीर बनने वाले हैं।बड़ी मुश्किल से एक बहुत अच्छी नौकरी मिली है,तो ये सपनों की रानी वाले मामले के बारे में बाद में सोच लेना पर फ़िलहाल अपनी कृपा रखना भोलेनाथ ताकि हम माँ पापा के सपने पूरे कर सकें।

क्या भोलेनाथ लग गए ना बातों में,😝😋
अब चलते हैं वरना पहला दिन आखरी ना बन जाए।😌

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राज ऑफिस पहुँचा,
ऑफिस पहुंचकर मैनेजर से मिला और मैनेजर ने उसे उसका काम समझा दिया।राज अपने डेस्क की तरफ आ ही रहा था कि एक लड़की से टकरा गया।

'अरे राज तुम'?
"अनाया तुम यहाँ"?
बेटाजी मै तो इसी ऑफिस में काम करती हूँ।तुम बताओ तुम यहाँ कैसे?
आज से तैयार हो जाओ मुझे रोज झेलने के लिए क्योंकि आज से सिर्फ तुम नहीं मै भी इसी ऑफिस में काम करता हूँ।

(अनाया मन ही मन)(मै तो तुम्हें जिंदगी भर झेलने को तैयार हूँ तुम हाँ तो करो)

अनाया राज की स्कूल की दोस्त,दोनों का कॉलेज भी एक ही था।अमायरा राज को स्कूल के दिनों से ही पसंद करती थी पर कभी कह नहीं पाई।

"अरे अनू कहाँ खो गई?"
कुछ नहीं बस तुम्हारी जेब खाली करवाने का प्लान बना रही थी।तो बोलो पार्टी कब दे रहे हो।😁😁

पार्टी सपनों में लेना😜😝

"महाकंजूस सुधर जा"😒😒
(कहकर दोनों हँसने लगे)

तभी ऑफिस में अफरा तफरी मच गई और किसी ने बताया कि हिटलरनी आ रही है।
सब लोग झट से अपने अपने काम में लग गए।अभी तक जिस ऑफिस में बच्चों के खेल के मैदान जैसी चहल पहल थी अब वहाँ शाँति छा गई।

एक 28 साल की लड़की ने ब्लैक ड्रेस में ऑफिस में प्रवेश किया।राज तो देखते ही उसका कायल हो गया।बड़ी बड़ी आँखें,फूलों की पंखुड़ियों जैसे होंठ,लंबे काले बाल, और पर कोई मेकअप नहीं,सादगी में भी खूबसूरती ऐसी की कोई भी दीवाना हो जाए।इतनी कम उम्र में इस मुकाम पर और खूबसूरत भी यानि हर मायने में परफेक्ट।

"बेटा राज यही है"😁
मान गए भोलेनाथ बड़ी जल्दी सुनली😜😂😂
हिटलरनी तो कहीं से नहीं लग रही।

हिटलरनी में चली गई।तब राज ने अनू से पूछा। यार इतना रौब की आते ही सारे स्टाफ की साँसे रोक दी।😅😅
और क्या दिखती है यार,किसी को भी दिवाना बना दे।
पर बंदी की शक्ल और ऐसी खतरनाक पर्सनैलिटी मेल नहीं खा रही।

अनू- राज वो समायरा मालिक है।हमारी कम्पनी की MD ,बहुत खडूस है।सुना है पहले ऐसी नहीं थी पर अब..........

राज- पहले ऐसी नहीं थी मतलब?

अनू - वो क्यों बदल गई कोई नहीं जानता पर अब उससे ज्यादा खतरनाक और खडूस बॉस पूरी दुनिया में नहीं होगा।

राज का ऑफिस में पहला दिन काफी अच्छे से गुजरता है और जबसे उसने समायरा को देखा है उसकी आँखों के आगे सिर्फ उन्हीं का चेहरा घूम रहा है।

ऑफिस से निकलते वक़्त राज अनाया से मिलता है👉
"ओए अनू चल तुझे ड्राप करता हूँ"
"ना रहने दे यार मै टैक्सी से चली जाऊंगी"(अनू)
"अबे चल ना यार जाते हुए  तेरी पसंदीदा पानीपुरी खाते हुए चलेंगे"।(राज)
"वाह बेटा सिर्फ पानीपुरी में टालने की सोच रहे"😜(अनू)
इससे कम नहीं चलेगा पार्टी अलग से देनी पड़ेगी।😝(अनू)
अच्छा बे भुखड़, अभी चलें।😁

राज और अनाया उसकी bike पे निकलते हैं।
रास्ते में पानीपुरी खाने के लिए रुकते हैं।

पर अनू देखती है कि राज कहीं खोया खोया सा है।
"किसके ख्यालों में ख़ौए हो हुजूर'😝
"कुछ नहीं यार बस ऐसे ही"।😌

वहीँ समायरा एक कविता बार बार सुन रही थी।

तुम सोचते हो की मैं दगाबाज हूँ,
पर छुपाए बैठा सीने में मै एक राज़ हूँ ,
ये तुम्हें मालूम नहीं।

तुम सोचते हो की मैंने साथ ना निभाया,
पर तुम्हारी यादों में तो मैंने खुदको भी भुलाया ,
ये तुम्हे मालूम नहीं।

तुम सोचते हो की मेरा हर वादा झूठा था,
पर तुम्हारी खातिर मैं तुमसे रूठा था,
ये तुम्हें मालूम नहीं।

तुम सोचते हो की मेरी सब कसमें कच्ची थी,
पर हर कसम दुनिया की किसी भी चीज से ज्यादा सच्ची थी ,
ये तुम्हें मालूम नहीं।

तुम सोचते हो की मुझे प्यार निभाना ना आया,
पर हर हाल में मैंने प्यार निभाया है ,
ये तुम्हें मालूम नहीं।

तुम सोचते हो की मैंने तुम्हें नहीं अपनाया,
पर तुम्हारी ख़ुशी के लिए था तुम्हें ठुकराया,
ये तुम्हें मालूम नहीं।

तुम सोचते हो की हम जिंदगी का लुत्फ़ उठा रहे हैं,
पर आज भी तुम्हारी यादों के सहारे पल गुजारे जा रहे हैं ये तुम्हें मालूम नहीं।"

सुनते सुनते कुछ बूंदे उसकी आँखों से गालों पर लुड़क चुकी थी। उसने जल्दी से आँसू पौंछे और खुदसे बोला। पता नहीं ये आफ़ताब क्यों अपना सा लगता है।क्यों इसका लिखा हर शब्द दिल छू जाता है।क्यों ऐसा लगता है कि ये वही है।
फिर अचानक उसको गुस्सा आता है और खुदको ही - नहीं, समायरा तू इतनी कमजोर नहीं है।अब किसी तरह के जज्बातों की तेरी जिंदगी में कोई जगह नहीं है। दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं अब जो समायरा मलिक को तोड़ सके।

समायरा उठकर घर निकल जाती है।

to be continued.............