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तेरी मेरी कहानी-slot 1
उम्र का फासला तो था और हालात भी विपरीत,पर ये मौसम का मिजाज था कि कुछ न कुछ उस दिन होना ही था ,या ईश्वर की कृपा,हम दोनों अचानक उस दिन मिल गए। मैं अपने कार मे बैठने हीं वाली थी कि उसने आवाज दिया,सुना है आप कविताएं लिखती हैं, मुझे भी शौक है कविता पढने का ,क्या आप मुझे मेरे वाट्स ऐप पर भेजेगी।अगर आप चाहें तो उसने मेरी तरफ निवेदन भरी नजरों से देखते हुए कहा।और इस प्रकार मोबाइल नंबर का आदान-प्रदान हुआ।
मैनें रात को ही कुछ कविताएं भेजी और मानो वो इंतजार ही कर रहे थे,और बातों का सिलसिला सुरू हुआ।
मै कविता भेजती और वो कुछ ग़ज़लें। हमारी मैसेज भेजने का सिलसिला दिन रात चलता रहता
एक दिन हमारे रिश्तेदारों के संग उनका भी हमारा घर आना हुआ।
मुझे तो ऐसा लग रहा था धड़कनें
अब बंद हुई की तब।
continued