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गणतंत्र दिवस..
गणतंत्र दिवस ...
(ध्वजा रोहण)
(नेता जी के पास सेकेटरी का कॉल )
सेकेटरी-*हेलो, हेलो सर,, मेरी बात हो चुकी है कल गणतंत्र दिवस को आप जहाँ चाहते थे वहां ध्वजा रोहण आप ही करेंगे....!
नेता जी -वो मान गये ना... !
सेकेटरी-मानता क्यूँ नहीं सर.. आपकी धौस ही ऐसी है थर थर कांप गया.. !
मंत्री-अच्छा, सब चेकिंग कर लिए,
कहीं कोई झंडे में बम लगा ना उड़ा दे हमें..
सेकेटरी-मैंने पूरी पड़ताल कर ली है सर..!
और आपके कहे अनुसार अपने कुछ ख़ास छर्रों को जनता के बीच सेट कर रखा है जो आपकी जय जय कार और भाषण पर तालियां ठोकेंगे..
मंत्री-ज्यादा बजट तो नहीं आया..!
सेकेटरी-लगभग 50,000 की चपत लगी हमें, पर आप तो सब बसूल कर लेंगे ना सर..
मंत्री-सो तो है.. चलो ठीक है
सेकेटरी-ok सर..
तभी अचानक संस्था प्रमुख मंत्री जी से मिलने पहुंचे..
सेकेट्री- मंत्री जी के रूम में जाकर..
-अर्रे सर कमाल हो गया... आज तो पूरी टीम ही आपके पास चली आई..
मंत्री-कौन..?
सेकेट्री- अ ..रे सर उसी स्कूल की पूरी टीम जहाँ आपको झंडा फहराने की सेटिंग की है..
मंत्री- अच्छा.. वाह वाह.. हुम्म्म.. 🌝
अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे...!
ले आओ उन्हें.. देखें क्या कहना चाहते हैं..
(तभी टीम मंत्री जी के विलाशिता कक्ष में प्रवेश करती है.. टीम में चार सदस्य हैं प्रधानाचार्य, स्कूल कमेटी के अध्यक्ष, सचिव, औऱ शाला संरक्षक.. सभी मंत्री जी के सामने चेयर पर बैठे..
मंत्री जी उनके सामने अपने एक ख़ास अंदाज में ऐसा दिखाते हुये मानो कोई बड़ा तीर मार लिया हो.. बहुत इतराते हुये मंत्री जी ने कहा -
-हुम्म्म.. तो आख़िरकार आपने हमें झंडा फहराने के लिये राजी कर ही लिया.. आज आपने अपनी समझदारी का परिचय दिया है... आपकी संस्था पूरे देश विदेश में मशहूर है.. मगर ना जाने क्यूं सालों से तिरंगा फहराने के लिये.. कहाँ कहां से खोज कर नमूने ले आते थे आप लोग..
अरे तिरंगा है... कोई मजाक नहीं..
जितना फैमस आपका स्कूल है उसके हिसाब से तो वहाँ हम जैसे रौबदार मंत्री ही तिरंगा फहराने की काबलियत रखते हैं.. खैर चलो.. देर आये दुरुस्त आये... !!

वैसे सब इंतजाम तो पुख्ता रखे हैं ना आपने.. ! कहीं कोई लोचा तो नहीं होगा..

प्रधानाचार्य- मंत्री जी.. आप हमारी बात तो सुनिए.. बड़ी उम्मीद से आये हैं..

मंत्री जी-...