दुख, सुख और शांति: एक मननशील चिंतन
हमें दुखों की तुलना नहीं करनी चाहिए और न ही उनका अपमान करना चाहिए। हर किसी के दुख अलग-अलग होते हैं, और वे हमें उसी तरह से प्रभावित करते हैं जैसे हम उन्हें महसूस करते हैं। इसलिए, कोई दुख कम या ज्यादा नहीं होता, बस हम उन्हें कम या ज्यादा महसूस करते हैं। हम यह समझते हैं कि दुख हमें परेशान नहीं कर रहे, बल्कि हम खुद परेशान हो रहे हैं, लेकिन कुछ कर नहीं पाते। दुखों से छुटकारा पाने के लिए केवल समझ काफी नहीं है, हमें आत्मबल भी चाहिए होता है।
कई बार परिस्थितियाँ दुख की गंभीरता पर गहरा असर डालती हैं। कई बार आपके...
कई बार परिस्थितियाँ दुख की गंभीरता पर गहरा असर डालती हैं। कई बार आपके...