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दुख, सुख और शांति: एक मननशील चिंतन
हमें दुखों की तुलना नहीं करनी चाहिए और न ही उनका अपमान करना चाहिए। हर किसी के दुख अलग-अलग होते हैं, और वे हमें उसी तरह से प्रभावित करते हैं जैसे हम उन्हें महसूस करते हैं। इसलिए, कोई दुख कम या ज्यादा नहीं होता, बस हम उन्हें कम या ज्यादा महसूस करते हैं। हम यह समझते हैं कि दुख हमें परेशान नहीं कर रहे, बल्कि हम खुद परेशान हो रहे हैं, लेकिन कुछ कर नहीं पाते। दुखों से छुटकारा पाने के लिए केवल समझ काफी नहीं है, हमें आत्मबल भी चाहिए होता है।

कई बार परिस्थितियाँ दुख की गंभीरता पर गहरा असर डालती हैं। कई बार आपके आस-पास के लोगों के नजरिए और उनके आपके प्रति व्यवहार से भी असर पड़ता है। दुखों से निजात पाने के लिए कई किताबें लिखी गई हैं। बहुत से दर्शन दुनिया में आए। बौद्ध धर्म में शाक्य मुनि ने अपने उपदेशों में आठ मार्गों का जिक्र किया है। लगभग हर धर्म में दुखों से निजात पाने के अलग-अलग दर्शन देखने को मिलते हैं। अर्थात्, दुख आदि काल से चली आ रही समस्या है।

लगभग हर धर्म में दुख से छुटकारा पाने का सरल उपाय सन्यास को माना गया है और दुख का कारण मोह को बताया है, क्योंकि सन्यास का अर्थ ही है मोह से मुक्त हो जाना। इसलिए, सन्यास की अवधारणा में सीधा समस्या की जड़ यानी मोह को खत्म करने पर बल दिया गया है।

लेकिन यहाँ एक प्रश्न है; क्या सुख का अभाव ही दुख है? और क्या यह दुख की संकुचित परिभाषा है? क्या सुख के आ जाने से दुख स्वतः समाप्त हो जाएगा? मेरे ख्याल से इसका उत्तर सन्यास वाली अवधारणा में है। क्योंकि संन्यासी को सुख नहीं होता फिर भी वह दुखी नहीं रहता, उसका मन शांत होता है। और शांति से उपजता है सुख। यानी संन्यासी का सुख शांति में निहित है। अंतर्मन की अलौकिक शांति।

और यहाँ हम यह भी नहीं कह सकते कि दुख का अभाव ही सुख है। तो अगर हम किसी निष्कर्ष पर पहुंचे तो कह सकते हैं कि इन सब में सबसे महत्वपूर्ण जो चीज है वह है शांति।
किंतु शांति बहुत अस्थिर स्वभाव की होती है। शांति के इस अस्थिर स्वभाव को नियंत्रित कर पाने वाला ही सही अर्थों में संन्यासी है।

मेरा चिंतन त्रुटिपूर्ण हो सकता है, मैंने बस अपना अनुभव साझा किया है। इसमें कमियाँ भी हो सकती हैं। मेरी पंक्तियाँ बस अभिव्यक्ति हैं, न कि कोई उद्घोष। आशा है आपको यह चिंतन पसंद आया होगा। इसके साथ ही सुख, दुख, सन्यास और शांति को यदि कोई परिभाषित करना चाहता है तो उसका हार्दिक स्वागत है। 🌿🕊️
© Prashant Dixit