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बदनसीब माँ
"माँ!! आपने तो कहा था,कि इंसान अच्छे होते हैं!"
"यही सवाल उस हथिनी के अजन्मे बच्चे ने भी किया होगा, पर उसकी माँ क्या जबाब दे पाई होगी? वो तो खुद इंसान के रूप में एक हैवान से जो मिलकर आई थी। "
जब कल 03 जून को मैने खबर पढ़ी और पढ़ते ही मेरे आंखों में आँसू आ गए, मुझे इतनी बेचैनी हो रही थी कि रात भर में शायद मेरी पलक एक बार भी सोने को तैयार नहीं थी। मुझे मेरा मन बार बार बस एक ही सवाल किये जा रहा था कि आखिर क्यों?
क्या उस हथिनी ने खुद से खाना मांगा था? क्या वो किसी को तंग कर रही थी? क्या उसने भूखा होने के बाबजूद चोरी की थी? नहीं!!!!
फिर उस इंसानी हैवान को किसने ये अधिकार दिया था कि उसने बेजुबान को अन्नानास के फल में पटाखे रख कर खिला दिए बिना ये जाने कि परिणाम क्या होगा।
मेरे घर के बाहर रोज एक गाय आती है, जाहिर सी बात है कि कभी रोटी दे पाते हैं कभी नहीं। पर मैं उसे मारूंगी तो नहीं ना, कि ये रोज ही क्यों आती है। ऐसे ही, मैं कहना चाहती हूँ कि यदि कभी मदद नही हो पाती चाहे वह इंसान हो या जानवर!! तो मत करो परंतु उन्हें कष्ट भी तो मत दो! वो तो मूक हैं सह लेंगे, पर ऊपरवाला भी तो देख ही रहा है, वो नहीं सहेगा।
'वो बेजुवान बस अपने पेट मे पल रहे बच्चे के लिए खाना ढूंढ रही थी लेकिन उसे मिला क्या?? मौत !'
दर्द से निजात पाने के लिए 3 दिन तक पानी में खड़े रही, सोच भी सकते हो वो दर्द? ?
नहीं !!
"एक माँ से बच्चा छीन लिया और उस माँ से उसकी जान। "
मै ऐसी मानसिकता रखने वालों से पूछना चाहती हूं कि खुद को आईने में देखकर नज़रे मिला पाते हो?? यदि नहीं तो फिर हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की। और यदि हाँ तो फिर आप जैसे लोगो से तो समाज मे हमेशा डर रहेगा। आप इंसान कहलाने के लायक हो ही नहीं।
ये जो कल घटना हुई उससे लगभग सभी लोग आहत हुए हैं, और उससे सबक यही मिला है कि आँख बंद करके भरोसा मत करो "अब इंसान भी जानवरों से नीचे गिर चुका हैं"