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सफेद दाग
ये कहानी आधारित है सफेद दाग पर जो एक बीमारी है ऐसी बीमारी जिसको समाज थोड़ा घृणित दृष्टि से देखता है।
ये कहानी शुरु होती है एक मध्यम वर्गीय परिवार की एक मीडियम लड़की चारू स जो न ज्यादा सुन्दर थी और न ज्यादा खराब।
एक नार्मल लड़की थी। चारू ने एजुकेशन बहुत ही अच्छी ले रखी थी। कम्प्यूटर साइंस से बी.टेक. करने के बाद उसने टीचिंग में डिप्लोमा किया था और उसकी प्रारम्भिक परीक्षा भी उत्तीर्ण कर लिया था। जैसे ही जॉब की वैकेंसी आती उसका चयन होना ही था क्योंकि पढ़ने में काफी होनहार थी वो। उसके पिता प्राइवेट स्कूल में 10,000 रुपये पर पढ़ाते थे। पिता ने उसकी शादी के बारे में बात चलाना शुरू किया। एकबार उन्हें एक क्लर्क लड़का मिला जो पहले तो शादी के लिए तैयार था लेकिन जिस दिन चारू के घर वाले लड़के को देखने जाने वाले थे उससे एकदिन पहले लड़के ने फोन करके मना कर दिया कि उसे नौकरी वाली लड़की चाहिए।उस समय लड़की अभी डिप्लोमा कर रही थी। पिता ने वहाँ से हाथ खींच लिया। फिर दूसरी जगह कोशिश करने लगे लेकिन लड़की के दिल पर बहुत गहरा असर पड़ा था। फिर कुछ दिन लगभग दो साल बाद एक प्राइवेट जॉब वाले लड़के का रिश्ता आया उन लोगों ने लड़की पसंद कर ली और हर चीज होने के बाद फिर से वही जिस दिन लड़की के घरवाले लड़के के घर जाने वाले थे फिर से उससे दो दिन पहले लड़के वालों ने मना कर दिया और इस बार कारण बड़ा अजीब था जिसपर आधारित ये पूरी कहानी है। इस बार कारण ये था कि लड़के वालों को कहीं से पता चल गया था कि लड़की के पिता के हाथ और पैर पर सफेद दाग है। चूँकि लड़के वाले गाँव के थे उन्होंने कहीं से सुना और रिश्ता तोड़ दिया उन्होंने इस बात को लड़की के घरवालों से पूछ कर सही बात जानने की कोशिश भी नहीं की। शायद आपस में बातचीत कर लेते तो सही बात भी पता चल जाती और न जाने कितनी जिंदगियाँ तबाह होने से बच जातीं। सही बात यह थी कि लड़की के पिता को मछली और दूध एकसाथ खाने-पिने के वजह से रिएक्शन कर गया था,और उनको ये बस हाथ और पैर में ही था बाकी शरीर के किसी हिस्से में फैला नहीं था। लड़की के साथ एकबार पहले भी ऐसा हो चुका था इसीलिए वो इस चीज को बर्दाश्त न कर सकी और डिप्रेशन में चली गयी और आज किसी मेडिकेशन सेन्टर में ठीक होने का प्रयास कर रही है। हर सफेद दाग रोग नहीं होता इसीलिए चीजों को बात करके स्पष्ट कर लेना चाहिए और अगर रोग भी है तो इसे ठीक किया जा सकता है। ये रोग अनुवांशिक भी नहीं है जो माता-पिता से बच्चों में आ जायेगा। सफेद दाग तो जलने के कारण भी हो जाता है या और भी बहुत से कारण हो सकते हैं। समाज से ये कलंक समाप्त करने के लिए बहुत बड़े स्तर पर जागरूकता की आवश्यकता है।