...

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pal ek zindgi jesa
बात है उस पल की जब सुना सिर्फ नाम तेरा
मानो लगा कुछ तो तुझसे है नाता मेरा
धीरे धीरे तुझे और जान ना चाहा
जैसे तैसे सहारा लिया सोशल मीडिया का
ना जाने क्यों दिल ने एक खेल खेलना चाहा
वो था कुछ अलग सा
झूठी दुनिया में सच सा
दोगले लोगो में साफ मन सा
पर मैने क्यों उसे तराजू में तौलना चाहा
हर आयाम से उसका पलडा भारी पाया
हुई बाते बहुत उस से
पर उसे गवारा नहीं था एक झूठ मेरा
थोड़ा मुझे जाना उसने पर ना जाने क्या जाना उसने
बोला जब शुरुआत है झूठ है तो आगे जाना नहीं बनता मेरा
फिर क्या था कुछ ही पलों में आम से खास और खास से अनजान बना गया
जैसे एक ही पल में खुशी और गम
जीवन के अलग रंग सब कुछ समझा गया
एक गलती पे सब कुछ भुला गया
एक लड़का ज़िंदगी की कड़वाहट मिटा गया

© bate_ankahi__