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"आंटी: ममता की परछाई"
मैं उन्हें "आंटी" कहकर बुलाता हूँ, लेकिन मां की तरह वो मेरा खयाल रखती है, गाँव से दूर, इस अजनबी शहर में आंटी मेरे लिए खाना बनाती हैं। पहले मैं भी बाकी लड़कों की तरह मेस का खाना खाता था, लेकिन एक दिन मेरा पेट ऐसा बिगड़ा कि डॉक्टर ने साफ कह दिया, "बेटा, ये सब खाने का ही नतीजा है।" तब पापा की हिदायतों पर मैंने आंटी से खाना बनाने की गुजारिश की, और वो सहर्ष मान गईं। उन्होंने कहा, "मेरा भी एक बेटा है, जो बाहर पढ़ता है। उसका दर्द समझती हूँ। कल से आ जाऊंगी खाना बनाने।"

आंटी ने सिर्फ खाना नहीं बनाया, उन्होंने मेरे दिन...