मेरी पसंदीदा वाली किताबें
यह कुछ सालों बात पुरानी है, चमकती हुए धूप लहराते हुए पेड़ कभी-कभी ऐसा लगता है कि जैसे वे हमें देख कर मुस्कुरा रहे हो, खिल खिला रहे हो और रंग बिरंगी तितलियां नन्हे फूलों पर बैठकर फूलों के रस का आनंद ले रही हो। जैसे ही मैं तितली को पकड़ने गई अचानक से वो उड़ गई मेरे साथ मेरे कुछ दोस्त भी थे, जो मुझ पर बहुत हंस रहे थे। मैंने उनसे पूछा- तुम सब किस बात पर हंस रहे हो१ तो उन्होंने कहा - लगता है, तितली को तुम बिल्कुल भी पसंद नहीं ! शायद इसी वजह से तितली ने अपना रास्ता नाप लिया हो। दोपहर का समय होने ही वाला था कि उसी बीच हम लोगों ने एक योजना बनाया प्रगति मैदान जाने का जहां पर पुस्तक मेला लगा हुआ था। मेरे दोस्तों में बहुत उत्साह, जोश और उमंग दिखाई दे रहा था। लेकिन मुझ में ऐसा कुछ भी नहीं दिखा...! वह आश्चर्य होकर बोले, 'क्या हुआ'१ मैंने कहा तुम सब मिलकर जाओ लेकिन मैं नहीं जाऊंगी मेरे पास वैसे भी बहुत काम है करने के लिए ! मैंने अपने दोस्तों से कहा कि तुम भी देख लेना पुस्तक मेले में ज्यादा लोग नहीं होंगे। क्योंकि मैं किताबों में उतना दिलचस्प नहीं रखती शायद मेरा यही कारण था कि मुझे जाना नहीं था। लेकिन मेरे दोस्तों ने मुझे मनाने की पूरी कोशिश की और अंत में वैसा ही हुआ जैसे मेरे दोस्त...