एक प्रेम कहानी ऐसी भी
'प्यार ' इस शब्द से तो सभी वाकिफ़ हैं और लगभग सभी अपने जीवन में कभी ना कभी इस से रूबरू भी हुए होंगे। प्यार के मायने सभी के लिए अलग अलग होते हैं। किसी के लिए यह जीवन का मकसद तो किसी के जीवन का अंत बन जाता है। किसी को जीवन का सबक दे देता है तो किसी के जीवन का अंग बन जाता है। मैं खुद की बात करूँ तो प्यार मेरे लिए मौज मस्ती, घूमना-फिरना, समय बिताना और कुछ नहीं था। लेकिन प्यार में फीलिंग्स के क्या मायने होते हैं ये मैंने अपनी फ्रेंड ऋतु की प्रेम कहानी से जाना जिसे प्यार सिर्फ़ एक ढकोसला लगता था। उससे पहली नजर के प्यार की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। फिर ये सब कैसे हुआ! ऋतु पहली नजर के प्यार में ऐसे गिरफ्त हुई कि उसकी जिन्दगी ही बदल गई। ये कहानी आज से सत्रह साल पहले की है जब परिस्थितियां आज से बहुत अलग थी। मैं उसी की प्रेम कहानी का पहला भाग बताने जा रही हूँ..........
sssssssssssss sssssssssssss
मोबाइल की घंटी बजती है,,,,,
रितु जो आराम से सो रही होती है,,,,घंटी बजते ही गुस्सा हो जाती है,,,
कौन है यार,,,छुट्टी के दिन तो थोड़ी देर और सोने देते,,,,मै नही उठाती,,,,
पहली कॉल मिस हो जाती है,,,,
मोबाईल की घंटी फिर बजती,,,,
अब रितु अनमने ढंग से उठती है----दूसरी ओर उसकी बचपन की सहेली सुमिता चहकते हुए कहती है,,,,,,तुम आज मेरे साथ मेरे कॉलेज चल रही हो
पर मै क्यूं तेरे कॉलेज जाऊंगी,,,,वैसे भी आज मेरा कहीं जाने का मन नहीं हो रहा है
तुम चल रही हो,,,,मैं कुछ नहीं जानती,,,,
आज एग्रीकल्चर कॉलेज में फेस्ट है और हम वेटेरेनरी वालों को भी अपना स्टॉल लगाना है तुम साथ नहीं रहोगी न तो मैं तो बोर हो जाऊंगी, वैसे भी कल मैं बहुत पकी हूं आज नहीं पकना चाहती,और वो रचित हमेशा स्टॉल छोड़कर अपने दोस्तों के पास नजर आता है,,,,वो एक साँस में पूरी बात बोल जाती है।
ये रचित कौन है? रितु ने यह नाम उससे पहले नहीं सुना था,,,
अच्छा,,रचित,,मेरा बैच मेट है,यूपी का है
चल तो रही है उससे भी मुलाकात हो जायगी।
ओह, हैलो मैडम, आपकी कॉन्फिडेंस दिख रही मुझे, पर मैंने अभी तक जाने को हाँ नहीं कहा है और तुम्हारे बैचमेट से मैं क्यूँ मिलूँ ऋतु ने कहा।
छोड़ न ये सारी बातें,,,,,हम मिल रहें हैं ठीक 10 बजे
और सुमि ने कॉल कट कर दिया
रितु सोच में पड़ जाती है कि आज आखिर ये जिद क्यों कर रही है लगता है सचमुच बोर हो गयी है।
रितु और सुमि दोनों बचपन के साथी थे।जिद करना बहुत जल्दी गुस्सा हो जाना रितु की आदत थी। सुमि शांत रहती थी।अभी सिर्फ इतना अंतर था कि रितु जॉब में थी और सुमि अपनी मास्टर्स की पढाई कर रही थी।
चल रितु जब जाना ही है तो क्या सोचना,,,,कहकर वो उठ खड़ी होती है तभी उसकी मम्मी हंसते हुए कहती है कि कल तो कहा था कि आज मुझे कोई तंग नही करना,,, , फिर ,,,,कहाँ जाने कि तैयारी चल रही हैं?
अरे मम्मी,,,,,,देखो न,,,सुमि अपने कॉलेज फेस्ट में चलने को कह रही है। मना तो किया,पर पता नही क्यूं मान ही नही रही।रितु ने कहा
हमेशा तो मना ही करती हो,चली जाओ न।मां कि बात सुनकर रितु तैयार होने लगती है।
रितु एक सामान्य कद की थोड़ी गेंहुआ रंगत लिए प्यारी सी स्मार्ट लड़की थी। घर में सबसे छोटी थी लेकिन समझदारी में अपनी उम्र से भी बड़ी। पर अपने दोस्तों के बीच नकचढी के नाम से फेमस।छोटी छोटी बातों पर नाराज होना,गुस्सा करना बात नहीं करना ये उसकी आदत थी।सुमि तो हमेशा कहती थी गुस्सा तो इसकी नाक पर रहता है हमेशा।पर गुस्से में ज्यादा प्यारी लगती है,इसलिए चिढ़ाने का मन करता है।
रितु थोडी सोस्लाईज्ड नहीं थी।पर अपने दोस्तों के लिए समय निकाल ही लेती थी।अपने दोस्तों में सबसे पहले उसकी नौकरी लगी थी।लेकिन अपने दोस्तों के लिए वह पुरानी वाली ही रितु थी।
क्या पहनकर जाना चाहिए,,,,अरे यार,मैं क्यूं इतना सोच रही,,,इतना कहकर उसने एक ऑफ व्हाइट कॉटन की चूडीदार सलवार सूट निक।ला और कानों में छोटे छोटे बूंदे डाले।नाक में वह शुरू से हो छोटी सी नथ पहना करती थी।बालो को ढीला छोड़कर क्लच लगा लिया।अपनी साधारण सी वेशभूषा में भी वो बहुत प्यारी लग रही थी।
ठीक समय में वो सुमि के घर के पास वाली सड़क पर पहुंच जाती है।
फिर दोनों फेस्ट वेन्यू के लिए निकल पड़े हैं।
ऑटो से उस दूरी को तय करने में उन्हें करीब 45 मिनट लगने थे।रितु सुमि के कॉलेज की ओर पहली बार जा रही थी।आस पास के नजारे देखती ,चेहरे पर आये बालों को हटाती रितु को यह अंदेशा भी नहीं था कि भाग्य उसके साथ आज क्या खेल खेलने वाला है।
सुमि ने पहले कहा था कि सीधे फेस्ट में ही जायेंगे लेकिन अपने स्टॉल की कुछ चीज साथ नहीं ले जाने के कारण पहले वे उसके हॉस्टल गये। अपनी चीजों को समेटने में ज्यादा देर लगाती देखा तो ऋतु ने कहा, इतनी देर क्यूँ लगा रही जल्दी चलो तभी ना ज्यादा मजे करेंगे ।
सुमि: पिछले दो दिनों से मैं पक रही थी। आज उसे पकने दो। उसे भी तो पता चलना चाहिए न कि अकेले रहने से कितनी परेशानी होती है।
ऋतु: क्या बोले जा रही हो,और किसे परेशानी होगी।
सुमि: रचित को ...
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मोबाइल की घंटी बजती है,,,,,
रितु जो आराम से सो रही होती है,,,,घंटी बजते ही गुस्सा हो जाती है,,,
कौन है यार,,,छुट्टी के दिन तो थोड़ी देर और सोने देते,,,,मै नही उठाती,,,,
पहली कॉल मिस हो जाती है,,,,
मोबाईल की घंटी फिर बजती,,,,
अब रितु अनमने ढंग से उठती है----दूसरी ओर उसकी बचपन की सहेली सुमिता चहकते हुए कहती है,,,,,,तुम आज मेरे साथ मेरे कॉलेज चल रही हो
पर मै क्यूं तेरे कॉलेज जाऊंगी,,,,वैसे भी आज मेरा कहीं जाने का मन नहीं हो रहा है
तुम चल रही हो,,,,मैं कुछ नहीं जानती,,,,
आज एग्रीकल्चर कॉलेज में फेस्ट है और हम वेटेरेनरी वालों को भी अपना स्टॉल लगाना है तुम साथ नहीं रहोगी न तो मैं तो बोर हो जाऊंगी, वैसे भी कल मैं बहुत पकी हूं आज नहीं पकना चाहती,और वो रचित हमेशा स्टॉल छोड़कर अपने दोस्तों के पास नजर आता है,,,,वो एक साँस में पूरी बात बोल जाती है।
ये रचित कौन है? रितु ने यह नाम उससे पहले नहीं सुना था,,,
अच्छा,,रचित,,मेरा बैच मेट है,यूपी का है
चल तो रही है उससे भी मुलाकात हो जायगी।
ओह, हैलो मैडम, आपकी कॉन्फिडेंस दिख रही मुझे, पर मैंने अभी तक जाने को हाँ नहीं कहा है और तुम्हारे बैचमेट से मैं क्यूँ मिलूँ ऋतु ने कहा।
छोड़ न ये सारी बातें,,,,,हम मिल रहें हैं ठीक 10 बजे
और सुमि ने कॉल कट कर दिया
रितु सोच में पड़ जाती है कि आज आखिर ये जिद क्यों कर रही है लगता है सचमुच बोर हो गयी है।
रितु और सुमि दोनों बचपन के साथी थे।जिद करना बहुत जल्दी गुस्सा हो जाना रितु की आदत थी। सुमि शांत रहती थी।अभी सिर्फ इतना अंतर था कि रितु जॉब में थी और सुमि अपनी मास्टर्स की पढाई कर रही थी।
चल रितु जब जाना ही है तो क्या सोचना,,,,कहकर वो उठ खड़ी होती है तभी उसकी मम्मी हंसते हुए कहती है कि कल तो कहा था कि आज मुझे कोई तंग नही करना,,, , फिर ,,,,कहाँ जाने कि तैयारी चल रही हैं?
अरे मम्मी,,,,,,देखो न,,,सुमि अपने कॉलेज फेस्ट में चलने को कह रही है। मना तो किया,पर पता नही क्यूं मान ही नही रही।रितु ने कहा
हमेशा तो मना ही करती हो,चली जाओ न।मां कि बात सुनकर रितु तैयार होने लगती है।
रितु एक सामान्य कद की थोड़ी गेंहुआ रंगत लिए प्यारी सी स्मार्ट लड़की थी। घर में सबसे छोटी थी लेकिन समझदारी में अपनी उम्र से भी बड़ी। पर अपने दोस्तों के बीच नकचढी के नाम से फेमस।छोटी छोटी बातों पर नाराज होना,गुस्सा करना बात नहीं करना ये उसकी आदत थी।सुमि तो हमेशा कहती थी गुस्सा तो इसकी नाक पर रहता है हमेशा।पर गुस्से में ज्यादा प्यारी लगती है,इसलिए चिढ़ाने का मन करता है।
रितु थोडी सोस्लाईज्ड नहीं थी।पर अपने दोस्तों के लिए समय निकाल ही लेती थी।अपने दोस्तों में सबसे पहले उसकी नौकरी लगी थी।लेकिन अपने दोस्तों के लिए वह पुरानी वाली ही रितु थी।
क्या पहनकर जाना चाहिए,,,,अरे यार,मैं क्यूं इतना सोच रही,,,इतना कहकर उसने एक ऑफ व्हाइट कॉटन की चूडीदार सलवार सूट निक।ला और कानों में छोटे छोटे बूंदे डाले।नाक में वह शुरू से हो छोटी सी नथ पहना करती थी।बालो को ढीला छोड़कर क्लच लगा लिया।अपनी साधारण सी वेशभूषा में भी वो बहुत प्यारी लग रही थी।
ठीक समय में वो सुमि के घर के पास वाली सड़क पर पहुंच जाती है।
फिर दोनों फेस्ट वेन्यू के लिए निकल पड़े हैं।
ऑटो से उस दूरी को तय करने में उन्हें करीब 45 मिनट लगने थे।रितु सुमि के कॉलेज की ओर पहली बार जा रही थी।आस पास के नजारे देखती ,चेहरे पर आये बालों को हटाती रितु को यह अंदेशा भी नहीं था कि भाग्य उसके साथ आज क्या खेल खेलने वाला है।
सुमि ने पहले कहा था कि सीधे फेस्ट में ही जायेंगे लेकिन अपने स्टॉल की कुछ चीज साथ नहीं ले जाने के कारण पहले वे उसके हॉस्टल गये। अपनी चीजों को समेटने में ज्यादा देर लगाती देखा तो ऋतु ने कहा, इतनी देर क्यूँ लगा रही जल्दी चलो तभी ना ज्यादा मजे करेंगे ।
सुमि: पिछले दो दिनों से मैं पक रही थी। आज उसे पकने दो। उसे भी तो पता चलना चाहिए न कि अकेले रहने से कितनी परेशानी होती है।
ऋतु: क्या बोले जा रही हो,और किसे परेशानी होगी।
सुमि: रचित को ...