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उन्हें कोसो मत!
आज कहीं यह होते हुए देखा। माता पिता उस आठ वर्ष के बच्चे को मामूली गलती पर लगातार डांटे जा रहे थे। ऐसा अकेले में हुआ होता तो अलग बात थी परंतु चार मेहमानों के सामने ऐसा हो रहा था। बच्चा ज़मीन को घूरे जा रहा था। अपने पैर के अंगूठे से फर्श को कुरेदे जा रहा था।फिर वो धीरे-धीरे चलता हुआ अपने कमरे में चला गया और तब तक बाहर नहीं निकला जब तक मेहमान वापिस नहीं चले गए।

आखिर गलतियां कौन नहीं करता? गलतियां सुनहरे भविष्य और कामयाबियों के लिए वास्तव में मज़बूत बुनियाद का काम करती हैं। हम गलतियों से सीखते हैं। ह्यूमन मांइड शायद इसी तरह से programmed है। उदाहरण के लिए एक छोड़ा शिशु, जब तक एक आध बारी पलंग से या थोड़ी ऊंचाई से न गिरे तब तक वो समझता नहीं कि गिरने से चोट लगती है, दर्द होता है। और एक बार शिशु यह समझ जाता है तो फिर मां बाप को पलंग के किनारों पर तकिए लगाने की आवश्यकता नहीं रहती।

बाल मन बहुत संवेदनशील होता है। ऐसी चीज़ें, ऐसा व्यवहार ज़िन्दगी भर के लिए किसी बच्चे के स्वभाव पर नकारात्मक असर डाल सकता है। वो समय के साथ एक ढीठ, लापरवाह शख्सियत बन सकता है। No work, no mistakes— as simple as that! ऐसी सोच कितनी घातक होगी, आप स्वयं समझ सकते हैं।

वहीं अगर बड़े ल़ोग, बच्चों को दोस्ताना माहौल देते हुए अलग तरीके से पेश आएं और कुछ गलतियों को ignore कर दें तो कमाल के परिणाम आ सकते हैं। और गलतियों पर कुछ अच्छे उदाहरण देकर, अकेले में प्यार से समझाकर उनसे सकारात्मक परिणामों की आशा की जा सकती हैं।केवल सार्थक मार्गदर्शन काफ़ी है।कोसते रहने से तो पौधे-फूल तक मुरझा जाते हैं। जाने क्यों आज "मासूम" फिल्म का वो मासूम बच्चा (जुगल हंसराज) याद आ गया!

— Vijay Kumar
© Truly Chambyal