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मेरी प्यारी Nikku chapter 2
काश कुछ अल्फ़ाज़ मुझे लिखने आ जाएं ताकि तुम क्या हो मेरे लिए ये हम तुम्हे बता पाए कुछ पन्नो पे जिक्र तो तुम्हारी नही होगी मेरी अल्फ़ाज़ खत्म हो जाएगी पर फिर भी मैं तुम्हे लिखता रहूंगा,यू तो हम अक्सर बातें करते थे,पर दोस्ती मैं एक पहचान बन जायेगा ये पता नही था,ह वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त बन चुकी थी,अपने कपड़े से लेकर उसकी हर पसंद अब मिलने लगा था जैसे कि कलर हम दोनों का पसंद एक ही था उसे भी लाल ओर काला पसंद था ओर मुझे भी इसी तरह हम दोनों मैं बातें होती रहती थी एक दिन प्रेमी-प्रेमिका की बात चल रही थी तो उसने अपने प्रेमी के बाड़े मैं बताया उसका नाम अरुण था,वो उस से काफी बातें करती तो ओर उससे बहोत प्यार भी करती थी,मुझे वो सब बात बताने लगी थी,उसके प्रेमी के अलावा एक मैं ही वो शख्स था जिसपे वो बहोत भरोसा करती थी वो शुरू से ही मुझे पसंद करती थी केहती थी तुम ओर लड़के की तरह नही हो वो पहले मुझे भी बुरा समझती थी ओरो की तरह क्योंकि वो मुझे अच्छे से नही जानती थी शायद,पर जब मैंने अपनी मोहब्बत की कहानी सुनाई अपने बाड़े मैं बताया कुछ दिन बातें की तब जाके उसे विस्वास हुआ कि मैं सच्चा ओर अच्छा लड़का हु,वो मेरी तुलना अपने से करने लगी है वो केहने लगी कि मैं तो सोचती थी कि मेरा रिशव ही ऐसा है पर तुम भी थोड़ा अलग हो मेरे जैसे हो,थोड़ा अलग ओर अच्छे हो जैसा दोस्त मुझे चाहये था बिल्कुल वेसे हो तुम।एक दिन बातों ही बातों मैं उसने पूछ दिया कि आजतक किंतनी लड़कियों के साथ तुम मोहब्बत भरी बातें किये हो,मैं बोला कि दिल का अच्छा हु पर लड़कियों से मेरा पुराना रिश्ता है मतलब मैं उनसे ज़्यादा बातें करता था,ये बात निक्कू को भी नही पता कि उसके साथ भी रोज मैं प्यार वाली बातें किया करता था,ओर वो बोली कि क्या तुम प्रेमिका के बाद भी किसी ओर लड़की से बात करते थे तो मैंने बोला कभी नही क्योंकि मैं उस प्रकार का इंसान था कि अगर कोई भी लड़की मुझसे प्यार करे तो मैं बस उसके लिए जीता था उसके अलावा मुझे ओर कोई भी नही दिखता था ये सब सुन कर निक्कू को बहोत अच्छा लगा उसने मेरी प्रेमिका की तस्वीर मांगी मैंने बोला कि मैं भेज दूंगा फिर कहा अच्छा सुनो निक्कू उसने बोला क्या,मैंने बोला किसी को दिखाना नही तस्वीर ,उसने कहा ठीक है,मैं नही दिखाउंगी ओर कहने लगी कि जिस तरह तुम अपनी प्रेमिका से प्यार किये न वैसे ही मैं अपने रिशव से करती हूं,ओर पागल बोलती है कि वो नही मिला तो मैं मर जाउंगी मैंने उसे डांटा,फीर प्यार से समझाया ऐसा नही बोलते है वो मिल जाएगा तुम्हे, बस प्यार सच्चा होना चाहये,पर ये भी सच था कि हम भविष्य नही देख सकते बस उसका स्वागत कर सकते किसी को नही पता होता है आगे क्या होगा न मुझे ओर न ही निक्कू को वो सब तो बस ईश्वर के हाथों मैं है। मैं भी अपनी प्रेमिका से बहोत प्यार किया पर वो नही मिली,पर फिर भी मैं निक्कू का साथ दिया ये जानते हुए भी की रिशव कभी नही हो सकता,क्योंकि उसका कास्ट अलग था और ऊपर से वो हरयाणवी था और मेरी निक्कू बिहारी।।
उसे मैं बोला पागल अभी ये सब मत सोच और पढ़, पढाई पे ध्यान दे ये सब बाद मैं सोचना।
ये सब के लिए बहोत समय है और बहोत समय आएगा,फिर हम दोनों सुभरात्रि बोल के सो गए
एक सुबह के इंतज़ार मैं वो सुबह जिसकी इंतेज़ार हर किसी को होती है वो सुबह जिस से मेरी शुरुवात होती थी न जाने वो सुबह कहा गयी ।