#मानवता
आज कल जमाना बड़ा तेज गति से भागा जा रहा है ।लगता है, जो बिछड गया वह पिछड़ गया । ऐसे माहौल में हम थोडा सा अवलोकन करतें हैं , तो पता चल जाता है , कि लोगों में विवेक का स्तर घट रहा है । कदम हर कदम मनुष्यों में उतावलापन और बेसब्री दिखाई पडती है । पल पल का संघर्ष और विफलता शायद उसे आक्रामक बना रही है - धैर्य तो जैसे छूट ही गया हो ।
लोग मुलतः धर्म को लेकर कुछ ज्यादा ही कट्टर होते जा रहे हैं, बल्कि स्वयं के धर्मनुमासंप्रदाय को सर्वश्रेष्ठ ठहराने के लिए ही आक्रामक हो रहे हैं। वस्तुतः यह अनुचित है । हमारे धर्म में ऐसा कभी नहीं हुआ था क्योंकि यहाँ हर एक को अपना पक्ष रखने की छूट दी गई थी और इस जो सही नहीं लगा उसका खण्डन सलीके से करना भी लाजमी माना जाता था । शायद इसलिये ही इतने सारे मतमतांतर...