...

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कॉलेज के दिन


एक ख्वाब मिलकर सजाए थे
निभाएगे दोस्ती उम्रभर
साथ पढेंगे,साथ खेलेगे
कभी तुम आना घर मेरे
हम जाएगे तुम्हारे घर।।

साथ हँसी खुशी के बिताए कितने पल
बीत गए आधे दिन auto मे चल चल
वो चिढ़ना चिढाना,बात- बात पर रूठना मनाना
कभी किसी बात पर यूही आँखो से आँसू निकल जाना।
वो कॉलेज की हँसी ठिठोली और बातों की बोला बोली
फिर होती एक घड़ी सुहानी,जिसमे होता आहार पानी
Lunchbox खुलते एक साथ जिसमे जाते दस हाथ
किसी मे ढोकले,किसी मे नीम्बू का आचार और
चने की सब्जी होती मजेदार।
खाते-पीते मौज मनाते, फिर होती चाय की चुस्कियों पे
हाहाकार।
यूँही दिन बीत जाते थे जिसमे यादे कमाते थे
जिन्हे अपने फ़ोन मे एक क्रम मे सजाते थे।
पढ़ाई पूरी होने का समय आ गया था
कॉलेज के बाद भी मिलने का वादा किया गया था।
हर एक खुसी का नाता तुझसे ही जुडा होता था
पल भर की भी जुदाई का एहसास सहन नही होता था
पर अब वो दौर के पन्ने सिमटने से लगे है
सब अपने करियर की और बढ़ने चले है।
वक़्त कम होगा मिलने मिलाने को
तब वही यादो का पीटारा खोलने का वक़्त होगा
एक बड़ी सी मुस्कान सब यादे ताजा कर देगी
किसी दिन वक़्त मिलने पे जब मिल बेठेंगे चार यार
फिर वही से अपनी खुशियों की गाड़ी दौड़ने लगेगी।।।