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बरसात की वो मोहब्बत
ये कहानी एक प्यारी सी लड़की (प्रेरणा )पर अधारित है,वो एक छोटे से गाँव कि रहने वाली लड़की थी जिसे शहर के तौर तरीके नहीं पता
थे,साधारण सी लड़की थी, जिसे सादगी पसंद थी, वो शहर में पढ़ने के लिए आती है, अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए, वो दिन रात पढ़ाई करती और भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत करती, उसी कॉलेज में दीपक भी पढता था, उसे कालजे के वक़्त से ही प्रेम करता लेकिन उसकी सहेलियों से उसके सपनें के बारे में जान कर उसे अपने दिल कि बात कह नहीं पाता था,
क्योंकि वो नहीं चाहता था कि प्रेरणा अपने लक्छ्य से अवरुद्ध हो
मैं उसके रास्ते का रोड़ा बनु.

इसलिए दीपक उसे दूर से बैठ कर निहारता रहता, और आहे भरता रहता कभी उसके सामने भी नहीं आता, पर प्रेरणा उसे हर रोज उसकी हरकतों पर नज़र रखा करती थी, प्रेरणा भी कहीं ना कहीं उस से इश्क़ बेशुमार करती थी लेकिन इज़हार नहीं कर पाई कभी,
ऐसे ही एक दिन प्रेरणा लाइब्रेरी में बैठ कर किताबे पढ़ रही थी तभी दीपक का लिखा हुआ ख़त बरसती हुईं घनघोर बारिश में उड़ कर ज़मीन पर गिर जाता है,प्रेरणा के पढ़ने से पहले ही कागज़ के टुकड़े मे लिखे शब्द पानी कि बूँद से मिट जाते है.

तभी दीपक से भी वही सामना होता है प्रेरणा का,हवाएं भी बड़ी तेज चल रही थी चमकती हुईं बिजली कि गर्जना से डर कर प्रेरणा दीपक से लिपट जाती है,वही पर प्रेरणा दीपक से दिल कि बात कह देती है,
तब दीपक भी कहता है कि तुम्हे तो पहली नज़र में देख कर प्यार हो गया था, बस मैं तुम्हारे सपनों के बीच नहीं आना चाहता था.
इसलिए तुम्हे कुछ कहाँ नहीं, उस भीगती हुईं बरसात में दीपक ने वादा किया कि तुम्हारे सपनों के बीच मैं प्यार को आने नहीं दूँगा.
तुम अपनी पढाई पूरी करो मैं तुम्हे कभी यहाँ नज़र भी ना आऊंगा !

इसी तरह प्रेरणा अपने सपनें को पुरे करने में लग गई और भारतीय सैनिक में उसका चयन हो जाता है,इस खुशखबरी को सुनाने के लिए वो अपना जॉइनिंग लेटर (पद ग्रहण ) के साथ दौड़ती हुईं दीपक के घर जाती है,
उस दिन भी बहुत बारिश हो रही होती है लेकिन फिर भी प्रेरणा भीगते हुईं दीपक कि उस एक झलक के दीदार एवं इन्जार ख़त्म के ख़ुशी में वो खुद को रोक नहीं पाती और दौड़ती हुईं दीपक के घर पहुँच जाती है,तो वहाँ देखती है कि उसकी फोटो पर हार चढ़ा होता है, तो उस परिस्थिति में खुद को संभाल नहीं पाती, और वही पर फुट फुट कर रोने लगती है तो दीपक कि माता कहती है जाओ दीपक के उस रूम मे तुम्हारी यादों को सजोए रखा है दीपक ने, तो उस कमरे में जाते ही केवल प्रेरणा से जुड़ी हर छोटी बड़ी यादों को कैमरे में क़ैद कर रखा था उसे सजाया था. उन सभी यादों को गले लगाकर रो पड़ती है !

तब उसकी कहीं हुईं बात याद आती है कि तुम सपनों को पूरा करो तुम्हारे बीच प्यार का रोड़ा बन कर दीपक कभी खड़ा नहीं मिलेगा, उस वक़्त कि आख़री तस्वीर उसके आखो में झलकती है !

बाद में प्रेरणा को पता चलता है कि दीपक कि दोनों किडनिया ख़राब हो गई थी जिसके कारण वो संसार से विदा हो जाता है,
तब प्रेरणा ने भी किसी से शादी नहीं कि, भारतीय सैनिक में नौकरी के बाद वो दीपक के माता पिता का सहारा बनी और जीवन भर उनकी सेवा करने कि प्रतिज्ञा ली कि, जब तक रहूँगी इस संसार में इनकी ज़िम्मेदारी को उठाती रहूँगी,

क्योंकि दीपक से भले ही मेरी शादी ना हो पाई पर मोहब्बत तो उसी से कि थी मैंने तो उसके बेटे होने का हर फर्ज निभाऊंगी, यही मेरे माता पिता है,इनके एवं दीपक के यादों के सहारे अपनी जीवन गुज़ार दूगी!

अब जब भी बारिश होती है तो प्रेरणा बारिश के तले बैठ कर दीपक के साथ बिताए उन लम्हो को याद कर रो पड़ती है!
शायद प्रेरणा दीपक के प्यार को कभी भी ना भूल पाए, क्योंकि दोनों कि मोहब्बत सच्ची थी !

निष्कर्ष -

तो हर कहानी का अंत हमेशा दुःखद नहीं होता है. कुछ सुखद भी होता है, क्योंकि कहते है ना प्यार अँधा होता है जब दो दिल मिलते है तो ना ही जात दिखती है ना ही पात, ना ही मज़हब ना ही शिरत बस तो अनोखा एहसास है जिसमे दो प्रेमी एक दूसरे के प्यार में कहीं खो जाता है उसे कुछ नज़र नहीं आता है !

प्यार यदि एक ही इंसान से बेशुमार हो तो वो कितना भी दूर रहे उसके लिए प्रेम एवं सम्मान कभी कम नहीं होता सदैव उसकी खुशियों में ख़ुश होना चाहता है,प्रेम इंसान को बदल देता है!
प्रेम यदि सच्चा हो तो उसकी यादों के सहारे भी इंसान खुद को सवार सकता है !प्रेम मै त्याग, समर्पण, सब सीखा देता है !

बस मोहब्बत सच्ची होनी चाहिए निःस्वार्थ..

_Dolly Prasad ⭐
© Paswan@girl