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BACHPAN KA VADA
CHAPTER 25

शेखर जहां गाड़ी पार्क किया था वहां जाने लगता है। तभी वह गार्डन में एक लड़की को बैठे देखता है ।शेखर खुद से बोलता है इस समय

कौन अकेले पार्क में बैठा हुआ है ।जाकर देखता हूं कोई दिक्कत तो नहीं है ना।शेखर इतना बोलते ही उस लड़की के पास जाने लगता है।

पास जाकर देखता है कि मानवी बेंच पर बैठे ही बैठे सो गई है ।शेखर मन में बोलता है मानवी यहां क्या कर रही है ।फिर हैरान होते हुए

बोलता है क्या मानवी घर नहीं गई है लगता है वह निशा के वेट कर रही होगी। तभी शेखर देखता है मानवी का सर बार बार बार झुक रहा

है। वह जल्दी से जाकर मानवी के बगल में बैठकर उसका सर अपने कंधे पर रख लेता है ।शेखर को थोड़ा अजीब लग रहा था तभी मानवी

नींद में शेखर का हाथ पकड़ लेती है और शेखर के कंधों में आराम से अपना सर रख लेती है ।मानवी को ऐसे देखकर शेखर का हार्ट बीट

बढ़ने लगता है ।वह मन में बोलता है अब मैं क्या करूं क्या मैं मानवी को उठाओ ।फिर मानवी की और देखकर बोलता है यह तो पूरे नींद में

है अगर मैं उठाऊंगा तो उसका नींद खराब हो जाएगा ।फिर शेखर चारों और देखता है तो पार्क में कोई नहीं है फिर खुद से बोलता है मैं अभी

थोड़े देर ऐसे ही रहता हूं फिर बाद में इसे उठाऊं दूंगा ।फिर वह मानवी का जगने का इंतजार करने लगता है ।वह देखता है कि मानवी का

बाल उसके चेहरे पर आ रहा था। शेखर मानवी का बाल हटाते हुए मन में बोलता है कितना सुकून है से सोई है। इसे पता भी नहीं है यह

कहां सो रही है ऐसे तो समझदारी वाली बातें करती है लेकिन इसे इतना भी नहीं पता कि अकेले ऐसी जगह पर नहीं सोना चाहिए ।जब वह

उठेगी तब मैं उसे बताऊंगा ।तभी मानवी का फोन बजने लगता है जिससे शेखर खुद से बोलता है अब मैं क्या करूं ।तभी मानवी उठ जाती है

मानवी जब अपनी आंख खोलती है तो वह देखी है कि वह शेखर के कंधे पर सर रखकर सो रही थी ।वह जल्दी से खड़े होकर बोलती है तुम

यहां क्या कर रहे हो और और तुम मेरे बगल में क्यों बैठे हो। शेखर खड़े होकर हिच हिचकाते हुए बोलता है मै वह , में वो। फिर मन में

बोलता है मैं क्यों घबरा रहा हूं मैंने तो कोई गलत काम नहीं किया। फिर वह मानवी को गुस्से में नाटक करते हुए बोलता है क्या तुम...