आत्मग्लानि प्यार की अधुरी कहानी
उसका मरना सही था ,तो तू जिंदा क्यों है
उसकी मौत पे, तू शर्मिंदा क्यों है
तू डाल थी तो ,मरा वो परिंदा क्यों है
बेशक़ दुनिया उसे आशिक पागल कहे
भले ही वो मरकर दिलों में जिंदा न रहें
उसका तेरे दिल से निकल जाना सही था
बचा तेरे लिए उसमें अब कुछ भी नही था
लाल चुनरी तेरे लिए ,सफेद कफन तेरा उसके लिए
ओढ़ने को कब्र पे तेरा दिया कफन
वो पड़ा वहीं था
क्या तू उसकी नहीं थी
या वो तेरा एक सिर्फ वही था
उसका मरना सही था ,तो तू जिंदा क्यों है
उसकी मौत पे, तू शर्मिंदा क्यों है
तू डाल थी तो ,मरा वो परिंदा क्यों है
बेशक़ दुनिया उसे आशिक पागल कहे
भले ही वो मरकर दिलों में जिंदा न रहें
उसका तेरे दिल से निकल जाना सही था
बचा तेरे लिए उसमें अब कुछ भी नही था
© kuldeep rathore
उसकी मौत पे, तू शर्मिंदा क्यों है
तू डाल थी तो ,मरा वो परिंदा क्यों है
बेशक़ दुनिया उसे आशिक पागल कहे
भले ही वो मरकर दिलों में जिंदा न रहें
उसका तेरे दिल से निकल जाना सही था
बचा तेरे लिए उसमें अब कुछ भी नही था
लाल चुनरी तेरे लिए ,सफेद कफन तेरा उसके लिए
ओढ़ने को कब्र पे तेरा दिया कफन
वो पड़ा वहीं था
क्या तू उसकी नहीं थी
या वो तेरा एक सिर्फ वही था
उसका मरना सही था ,तो तू जिंदा क्यों है
उसकी मौत पे, तू शर्मिंदा क्यों है
तू डाल थी तो ,मरा वो परिंदा क्यों है
बेशक़ दुनिया उसे आशिक पागल कहे
भले ही वो मरकर दिलों में जिंदा न रहें
उसका तेरे दिल से निकल जाना सही था
बचा तेरे लिए उसमें अब कुछ भी नही था
© kuldeep rathore
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