कहानी जिंदगी की.....
कुछ हारी सी मैं हूँ, कुछ टूटे से सपने मेरे......
कुछ जिन्दा लाश सी,
कुछ निकलती साँसे मेरी....
दोपहर 12 बज रहे थे मैं कॉलेज की library में बैठी पढ रही थी तभी मैं आपने विचारों में खो गयी। एक पल में पूरी जिंदगी के बिना सही जाने वाले दर्दो से सामना...
कुछ जिन्दा लाश सी,
कुछ निकलती साँसे मेरी....
दोपहर 12 बज रहे थे मैं कॉलेज की library में बैठी पढ रही थी तभी मैं आपने विचारों में खो गयी। एक पल में पूरी जिंदगी के बिना सही जाने वाले दर्दो से सामना...